मुझे कुछ और करना है, तुम्हें कुछ और पाना है
मुझे इस ओर जाना है, तुम्हें उस ओर जाना है
कि अब मुमकिन नहीं लगता
कभी इक ठौर बैठें हम
हमें मंजिल बुलाती है, चलो अब अलविदा कह दें....
जहाँ संबोधनों के अर्थ भावों को न छू पाएं
वहाँ सपने कहो कैसे सहेजें और मुस्काएं ?
चलो उस राह चलते हैं जहाँ हों अर्थ बातों में
स्वरों में प्राण हो जिसके मुझे वो गीत गाना है....
बहुत मुश्किल हुआ मन में
घुटन को घोल कर हँसना
घुटन जब-तब रुलाती है, चलो अब अलविदा कह दें....
मुझे मालूम है मुश्किल बहुत है दूर हो पाना
मगर कुछ आदतों का अब ज़रूरी है बदल जाना,
तुम्हें मेरी ज़रुरत है! न मुझसे झूठ कहना तुम
मुझे खुद हार कर तुमसे तुम्ही को तो जिताना है....
न यूँ अनजान बन कर
और खींचें डोर रिश्तों की
कि डोरी टूट जाती है, चलो अब अलविदा कह दें....
तुम्हें क्या याद है जब तुम धड़कता मौन पढ़ते थे
बहुत से बन्ध उलझन के सुलझते थे उधड़ते थे,
मगर खामोशियाँ अब क्यों सुलगती हैं सिसकती हैं
मुझे इस प्रश्न का उत्तर ज़रा खुद को बताना है....
न चौंको तुम न कुछ बोलो
सरकती साँस की ये लय
सभी सच-सच बताती है, चलो अब अलविदा कह दें....
न मैं अब राह देखूँगी, न अब मुझको बुलाना तुम
न रूठूँगी कभी तुमसे, न अब मुझको मनाना तुम
मुझे हर बार बहलाकर यहीं तुम रोक लेते हो
मगर अब खोल दो बंधन मुझे अब दूर जाना है....
हमें उन्मुक्त उड़ना है
न बाँधें इन उड़ानों को
सुबह हमको जगाती है, चलो अब अलविदा कह दें....
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
जहाँ संबोधनों के अर्थ भावों को न छू पाएं
वहाँ सपने कहो कैसे सहेजें और मुस्काएं ? क्या बात है , आदरनीया प्राची जी , बहुत बढिया गीत रचना हुई , सच्चाई के क़रीब है बातें । आपको हार्दिक बधाइयाँ
आदरणीय समर साहब कमाल का विजन है आपका
'तुम्हें इस ओर जाना है,मुझे उस ओर जाना है' इस बारीक से अंतर पर आपकी टिप्पणी स्वागत योग्य है आैर संशोधन से भाव में निखार आ गया है । आपका आभार । सादर
न मैं अब राह देखूँगी, न अब मुझको पुकारो तुम
न अब उम्मीद होगी ये कि फिर मुझको सँवारो तुम
मुझे हर बार बहलाकर यहीं तुम रोक लेते हो
मगर अब खोल दो बंधन मुझे अब दूर जाना है....
हमें उन्मुक्त उड़ना है
न बाँधें इन उड़ानों को
सुबह हमको जगाती है, चलो अब अलविदा कह दें....
वाह आदरणीया डॉ. प्राची सिंह जी ... अंतर्द्वंद को आपने बहुत ही स्वाभाविक ढंग से चित्रित किया है। इस श्रेष्ठ प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें।
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