For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- लोगों को ईद पर खुशी होगी।

चाँद की आँख में नमी होगी

लोगों को ईद पर खुशी होगी

 

चाँद हर रोज देखता है तुम्हें,

आपकी आज बेबसी  होगी

 

जिंदगी रोज खून से लथपथ,

आज कैसे ये जिंदगी होगी

 

गर्दनें काट कर दिखाते हो,

क्या खुशी फिर भी ईद की होगी

 

अन्ध-विश्वास से लडाई है,

अब लडाई ये रोकनी होगी 

 

छोड दो अपना-अपना कहना उसे,

इस तरह खत्म दुश्मनी होगी

 

आज इनसानियत है खतरे में,

क्या वजह है ये सोचनी होगी

 

इस तरफ ओट करके बैठे हो,

इस तरफ कैसे रोशनी होगी

 

छोड दो अपना कहना दुनिया को,

सारी दुनिया फिर आपकी होगी ।

………….सूबे सिंह सुजान..29.07.2014...

मौलिक व अप्रकाशित

 

 

Views: 755

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 8, 2014 at 10:41pm

भुवन निस्तेज , जी आपकी मेहरबानी है साहब, शुक्रिया

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 8, 2014 at 10:39pm

 Madan Mohan saxena  , आपका हृदय से आभारी हूँ।

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 8, 2014 at 10:38pm

rajesh kumara , राजेश जी, ापकी टिप्पणी बहुत सराहनीय है। गल्तियओं को सुधार के लिये धन्यवाद ,बहुत सही कहा आपने व गिरिराज जी ने, आपकी आभारी हूँ। अब मैं इन शेरों को दुरूस्त करके फिर से यंही पर पोस्ट कर सकता हूं कया एडिट हो जाएगा।।

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 8, 2014 at 10:35pm

 gumnaam pithoragarhi ,   गुमनाम जी, आप तो बहुत नामी हो, आपने मेरी गजल पर अपनी नजरेइनायत की , बहुत बहुत शुक्रिया....

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 8, 2014 at 10:32pm

savitamishra , जी हृदय से आभारी हूं ।

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 8, 2014 at 10:31pm

डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव ,     जी , आपका आभारी हूँ।

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 8, 2014 at 10:30pm

 गिरिराज भंडारी

जी आपकी बात सही है , जो दो शेर आपने बताये कि फिर से देखिये , बिल्कुल जो कहना चाह रहा था वो थोडी सी जल्दबाजी के कारण , कुछ उल्ट ही अर्थ प्रकट कर गये,

आपकी विशेष टिप्पणी के लिये मैं हृदय से आभारी हूँ।

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 8, 2014 at 10:27pm

 Dr Ashutosh Mishra,

जी आपको गजल अच्छी लगी तहे दिल से शुक्रिया

Comment by भुवन निस्तेज on July 31, 2014 at 10:50pm

इस हसीं गज़ल के लिए दाद कबूल फरमाएं आदरणीय....

Comment by Madan Mohan saxena on July 31, 2014 at 12:27pm

चाँद हर रोज देखता है तुम्हें,
आपकी आज बेबसी होगी

बहुत खुबसूरत गजल ,बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service