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इक सिर्फ तुझको देखूँ डगर में - शिज्जु

22- 1212- 1122

हर रात ख़्वाब के मैं सफ़र में

इक सिर्फ तुझको देखूँ डगर में

 

कुछ आज मखमली सी लगी धूप

क्या बात है न जाने सहर में

 

अंगारों पे चला मैं सहम के

इक हौसला भी था मेरे डर में

 

यूँ हैरतों से देखे मुझे लोग

है मेरा नाम आज खबर मे

 

हर शै पे हर मुकाम पे तू थी

तन्हा हुआ न तेरे नगर में

 

-मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by शिज्जु "शकूर" on December 12, 2013 at 3:25pm

आदरणीय अभिनवजी आपका आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 12, 2013 at 3:24pm

आदरणीया किरण जी आपका आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 12, 2013 at 7:38am

आदरणीय शिज्जू भाई , हमेशा की तरह आपकी ये ग़ज़ल भी बहुत खूबसूरत है !!!! आपको हार्दिक बधाइयाँ !!!!

Comment by Priyanka singh on December 11, 2013 at 10:26pm

अंगारों पे चला मैं सहम के

इक हौसला भी था मेरे डर में.....

यूँ हैरतों से देखे मुझे लोग

है मेरा नाम आज खबर मे......

वाह सर .....खूब कहा अपने ....लाजवाब .....बधाई सर ....

Comment by MAHIMA SHREE on December 11, 2013 at 8:42pm

कुछ आज मखमली सी लगी धूप

क्या बात है न जाने सहर में

 

अंगारों पे चला मैं सहम के

इक हौसला भी था मेरे डर में..... बेहद उम्दा आ. शिज्जू जी हार्दिक बधाई आपको

Comment by ram shiromani pathak on December 11, 2013 at 7:43pm

इस  सुन्दर ग़ज़ल हेतु हार्दिक बधाई आपको भाई सिज्जू   जी। ...   सादर 

Comment by Tapan Dubey on December 11, 2013 at 5:43pm
बेहतरीन गजल के लिए बधाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 11, 2013 at 4:56pm

आदरणीय शिज्जू भाई , बेहतरीन गज़ल कही है , आपको तहे दिल से मुबारक बाद !!!!!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 11, 2013 at 4:51pm

आदरणीय शिज्जू जी ..ये ग़ज़ल भी हमेशा की तरह शानदार है ..मेरी तरफ से ढेरों शुभकामनाएं ..हा आदरणीय सिर्फ और सिर्फ अपनी जिज्ञासा वश एक सवाल जो मेरे जेहन में है उसे पूंछने के हिम्मत कर पा रहा हूँ ..

अंगारों पे चला मैं सहम के

इक हौसला भी था मेरे डर में......आपके हौसले के साथ चले हैं उसमे थोडा डर हो सकता है आप सहम के अंगारों पे चलते तो डर में हौसला लगता .थोडा उलझा हुआ हूँ ..शायद मैं गलत ही हूँ ..बस आपकी सोच की आवृति तक आना चाहता हूँ ..कृपया अन्यथा न लीजियेगा ..सादर 

Comment by coontee mukerji on December 11, 2013 at 4:48pm

अंगारों पे चला मैं सहम के

इक हौसला भी था मेरे डर में...........बहुत खूब.

बधाई शिज्जू जी.

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