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तुम्हारे ही भरोसे हूँ

 1 2 2 2   1 2 2 2
कभी यूँ पास आ जाना
किया वादा निभा जाना /


गजब की यह फकीरी है
इसे तुम अब हटा जाना /


गरीबी हो अमीरी हो
कसम अपनी निभा जाना /


तुम्हारी आस आने की
जरा दिल में जगा जाना /

तुम्हारे ही भरोसे हूँ
भरोसा यह बढ़ा जाना /


दिलों को खोल कर अपने
गिले शिकवे मिटा जाना /

नहीं तकरार करना अब
हमें झट से मना जाना /


तुम्हें हम कह नहीं सकते
दिलों को अब मिला जाना //


..................................

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 611

Comment

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Comment by Meena Pathak on September 22, 2013 at 8:00am

दिलों को खोल कर अपने
गिले शिकवे मिटा जाना /

अति उत्तम रचना .. बधाई आ० सरिता जी

Comment by वीनस केसरी on September 21, 2013 at 11:05pm

तुम्हारी आस आने की
जरा दिल में जगा जाना /

तुम्हारे ही भरोसे हूँ
भरोसा यह बढ़ा जाना /


दिलों को खोल कर अपने
गिले शिकवे मिटा जाना /

नहीं तकरार करना अब
हमें झट से मना जाना /


छोटी बहर पर ऐसी शानदार ग़ज़ल पढ़ कर आनंद आ गया
हार्दिक बधाई  स्वीकारें

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 21, 2013 at 4:21pm

दिलों को खोल कर अपने 
गिले शिकवे मिटा जाना बेहतरीन ग़ज़ल का ये शेर मुझे बेहद भाया ..आदरणीया सरिता जी आपको हार्दिक बधाई 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 20, 2013 at 11:25pm

तुम्हारे ही भरोसे हूँ
भरोसा यह बढ़ा जाना

बहुत खुबसूरत गजल , बहुत बहुत बधाई आदरणीया सरिता जी

Comment by MAHIMA SHREE on September 20, 2013 at 8:41pm

बहुत ही प्यारी और मधुर  गज़ल आदरणीया सरिता जी बधाई आपको

Comment by annapurna bajpai on September 20, 2013 at 6:10pm

आ0 सरिता जी बहुत खूबसूरत गजल कही आपने आपको बहुत बधाई ।

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 20, 2013 at 3:55pm

वाह वाह आदरणीया सरिता जी छोटी बहर में बेहद सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने सभी अशआर पसंद आये सुन्दरता से निभा गए आपने बधाई स्वीकारें.

Comment by रविकर on September 20, 2013 at 2:53pm

सुन्दर आदरेया-

गजल पर टिप्पणी करना-
हमें आया नहीं अबतक |
बहुत सुन्दर बड़ी अच्छी -
कहूँ आखिर यहाँ कब तक |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 20, 2013 at 1:30pm

आदरणीय सरिता जी , छोटी बह्र मे बहुत अच्छी गज़ल कही आपने , ढ़ेरों बधाई !!!!

Comment by shalini rastogi on September 20, 2013 at 12:33pm

बहुत खूब सरिता जी ... ग़ज़ल विधा में एक अच्छा प्रयास !

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