For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुण्डलिया [ प्यार ]

कर लो सब से दोस्ती, छोड़ो अब तकरार
जिंदगानी दो दिन की बांटो थोड़ा प्यार //
बांटो थोड़ा प्यार, यही है दौलत असली
प्यार स्नेह को मान ,बाकी सभी है नकली
धन दौलत सब छोड़ ,जीवन में प्यार भर लो
रहे कोई न गैर ,सब से दोस्ती कर लो //

................मौलिक व अप्रकाशित..........

Views: 707

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 26, 2013 at 10:44am

आ० सरिता जी 

अब शिल्प को और गहनता और सूक्ष्मता से देखिये समझिये और गेयता के अनुरूप उसका निर्वहन कीजिये..

आदरणीय सौरभ जी नें बहुत ही विस्तार पूर्वक सम्यक जानकारी दी है आप उसका अवश्य ही लाभ उठाएं.. ऐसी शुभ अपेक्षाएं हैं 

प्रयास के लिए हार्दिक बधाई

Comment by Sarita Bhatia on September 23, 2013 at 10:34am

अरुण आपने ठीक कहा मुझसे उम्मीदें बढ़ गई हैं 

आपकी उम्मीदों पर खरी उतर पायूं इसकी पूरी कोशिश रहेगी ,शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on September 23, 2013 at 10:33am

शालिनी जी शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on September 23, 2013 at 10:32am

आदरणीय सौरभ जी हार्दिक अभिनन्दन आपने पुनः विस्तार से इसे समझा दिया है , मेरी पूरी कोशिश रहेगी की आपको अब निराश ना कर मात्रिक विन्यास के साथ साथ गेयता पर पूरा ध्यान दूंगी 

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 20, 2013 at 2:29pm

आदरणीया सरिता जी अब आपसे उम्मीदें बढ़ गई हैं आप मात्रा गणना में निपुण हो गई हैं प्रवाह और शब्द चयन पर ध्यान दें केवल भाव अच्छे होंने से काम नहीं चलेगा.

Comment by shalini rastogi on September 20, 2013 at 12:04pm

सरिता जी 

आपकी यह कुण्डलिया बहुत सुन्दर भावों को संप्रेषित कर रही है ... बाकी छंद विधान पर बोलने का तो मेरा सामर्थ्य ही नहीं ... गुरुजनों की बात शिरोधार्य  कर प्रयास करते रहें |

साभार!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 20, 2013 at 11:06am

आदरणीया सरिताजी, आपकी दोहा या कुण्डलिया छंदों पर हुई कोशिश प्रेरक है.

किन्तु मैंने अक्सर देखा है कि चरणों या पदों में कुल मात्रिकता का आप निर्वहन तो करती हैं लेकिन शब्द-संयोजन गेयता के अनुसार न होने के कारण आपके छंदों का वाचन सदा से लय-कटु होता है.

आपको संभवतः स्मरण हो एक बार आपको किसी आयोजन में मैंने दोहा के चरणों के शब्दों के विन्यास पर कुछ सुझाव दिये थे.आप उसका अनुसरण कीजिये अन्यथा प्रयास सटीक नहीं होता दिख रहा है. 

उसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए मैं दोहा और रोला के चरणॊं के विन्यास पर जिन पर कुण्डलिया छंद निर्भर है, अपनी बातें कह रहा हूँ जोकि शास्त्र सम्मत हैं -

जो दोहा विषम शब्दों से प्रारम्भ होता है उसके विषम चरण का विन्यास मान्य रूप से ३, ३, २, ३, २ होता है. अर्थात त्रिकल के पीछे त्रिकल फिर द्विकल पर त्रिकल और पुनः द्विकल हो. चौथा त्रिकल ऽ। (गुरु लघु) ही हो ऐसा मान्य है अन्यथा गेयता के टूटने की पूरी संभावना बनी रहती है.

अब आप अपने उपरोक्त छंद के दोहे वाले भाग को दखिये, क्या ज़िन्दगानी  शब्द मुआफ़िक है ? ज़िन्दगानी  के ज़िन्द  यानि त्रिकल के बाद गानी  के चौकल का आना तुरत लयभंग की स्थिति बना रहा है. उसके आगे के तो सारे शब्द क्या सम्भालेंगे ?  

दूसरा नियम, जो दोहा सम शब्दों यानि गुरु गुरु (ऽऽ) या लघु लघु (। ।) से प्रारम्भ हो तो उसके विषम चरण का विन्यास मान्य रूप से ४, ४, ३, २ होता है. चौकल के पीछे चौकल फिर त्रिकल पर द्विकल. त्रिकल ऐसे में कभी ।ऽ (लघु गुरु) न हो.

दोहे का सम चरण मुख्यतः ४, ४, ३  और ३, ३, २, ३ के विन्यास पर होता है. इसका त्रिकल मात्र और मात्र ऽ। (गुरु लघु) ही हो सकता है.

इसी तरह रोला वाले भाग के विषम चरण जोकि कुल ११ मात्राओं का होता है दोहे के सम चरण का आइडेंटिकल होता है अतः कोई परेशानी नहीं है.  किन्तु, सम चरण का विन्यास जो कि कुल १३ मात्राओं का होता है, ३, २, ४, ४ या ३, २, ३, ३, २ होता है.

इस हिसाब से बाकी सभी हैं नकली  जैसा चरण कैसे लय या गेयता का निर्वाह करेगा ? कोई कारण ही नहीं बनता. शुरुआत में त्रिकल का आना अवश्य-अवश्य है, लेकिन आपने लिया है चौकल यानि बाकी.

इसीतरह है  जीवन में प्यार भर लो.  जी ना, यह चरण भी ख़ारिज़ है.  जीवन  शब्द चौकल होने से रोला के सम चरण के प्रारम्भ में स्वीकार्य ही नहीं होगा. 

आगे आप स्वयं गणना करें आदरणीया, और स्वयं साझा करें कि प्रस्तुत छंद के कौन-कौन से पद नियमानुसार दुरुस्त हैं.

सादर

Comment by रविकर on September 20, 2013 at 10:36am

बहुत बढ़िया भाव-

शुभकामनायें आदरेया- 

Comment by Sarita Bhatia on September 20, 2013 at 8:49am

आदरणीय गिरिराज जी आभारी हूँ 

Comment by Sarita Bhatia on September 20, 2013 at 8:49am

आदरणीय अन्नपूर्णा जी शुक्रिया 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
6 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
18 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service