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तुम्हारे ही भरोसे हूँ

 1 2 2 2   1 2 2 2
कभी यूँ पास आ जाना
किया वादा निभा जाना /


गजब की यह फकीरी है
इसे तुम अब हटा जाना /


गरीबी हो अमीरी हो
कसम अपनी निभा जाना /


तुम्हारी आस आने की
जरा दिल में जगा जाना /

तुम्हारे ही भरोसे हूँ
भरोसा यह बढ़ा जाना /


दिलों को खोल कर अपने
गिले शिकवे मिटा जाना /

नहीं तकरार करना अब
हमें झट से मना जाना /


तुम्हें हम कह नहीं सकते
दिलों को अब मिला जाना //


..................................

मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment by Dr.Prachi Singh on September 26, 2013 at 10:54am

छोटी बहर पर सुन्दर ग़ज़ल प्रयास आ० सरिता जी 

हार्दिक बधाई 

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on September 23, 2013 at 10:26am

कभी यूँ पास आ जाना
किया वादा निभा जाना /


गजब की यह फकीरी है
इसे तुम अब हटा जाना /

वाह वाह सुन्दर ग़ज़ल आदरणीया सरिता जी !

Comment by Sarita Bhatia on September 23, 2013 at 10:21am

आदरणीया मीना पाठक जी एवं आदरणीया सावित्री जी हार्दिक अभिनन्दन 

Comment by Sarita Bhatia on September 23, 2013 at 10:20am

भाई वीनस केसरी जी 

मन प्रुफुल्लित हो उठा आपकी उत्साहित टिप्पिनी पाकर ,मेरा गजल लिखना सार्थक हुआ 

Comment by Sarita Bhatia on September 23, 2013 at 10:18am

भाई जितेन्द्र जी एवं आदरणीय डॉ. आशुतोष जी ह्रदय से आभारी हूँ आपको अशआर पसंद आए 

Comment by Sarita Bhatia on September 23, 2013 at 10:17am

आदरणीया अन्नपूर्णा जी एवं महिमा श्री जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on September 23, 2013 at 10:16am

हार्दिक आभार अरुण ऐसे हि उत्साहित एवं स्नेहिल टिप्पिनीओं की आशा है आपसे 

Comment by Sarita Bhatia on September 23, 2013 at 10:15am

आदरणीय रविकर जी आप किसी भी विधा में टिप्पिनी कीजिए बस आपका आशीर्वाद मिलता रहे यही कामना है 

Comment by Sarita Bhatia on September 23, 2013 at 10:13am

शालिनी जी शुक्रिया 

Comment by Savitri Rathore on September 22, 2013 at 5:29pm

सरिता जी, सुन्दर ग़ज़ल ,बधाई हो।

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