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रहे अब लाख पेचीदा सफ़र तै कर लिया है

रहे अब लाख पेचीदा सफ़र तै कर लिया है

न छोडूंगा मुहब्बत की डगर तै कर लिया है

 

ज़माना भी खड़ा है हाथ में शमशीरें लेकर

मैंने भी सरफरोशी का इधर तै कर लिया है

 

गुज़ारिश है रुको कुछ देर तन्हाई मिटादो

चले जाओ कि जाने का अगर तै कर लिया है

 

उदासी  की फटी चिलमन हटाकर फैंक दूंगा

जिऊँगा अब तबस्सुम  ओढ़कर तै कर लिया है

 

हवाओं सब चरागों को बुझादो ग़म नहीं कुछ

अँधेरे में जलाऊंगा जिगर तै कर लिया है

 

खड़ा बाज़ार में तन्हा कबीरा एक युग से

अदीबों फूंक दूंगा आज घर तै कर लिया है

 

हक़ीक़त के बियाबाँ में न भटकूंगा अकेला

बसाऊंगा तसव्वुर का नगर तै कर लिया है

 

मुखालिफ़ मैं रहूँगा ज़ुल्म का हरदम अज़ीज़ों

हरावल में रहूँगा पेशतर तै कर लिया है

 

करूँगा रोशनी ‘खुरशीद’ बनकर शाम तक तो

जलूँगा शमा’ बनकर रात भर तै कर लिया है

 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by khursheed khairadi on November 10, 2014 at 1:59pm

आदरणीय अजय शरमा साहब ,गणेश जी बागी साहब ,जितेंदर जी ,गोपालनारायण साहब लडीवाला जी ,उमेश जी ,विजयशंकर साहब ,एवं आदरणीय योगराज जी आप सभी गुणीजनों का ह्रदय से आभारी हूं |आप सभी का स्नेह अनमोल है |आशीर्वाद बनाये रखियेगा |सादर 

Comment by ajay sharma on November 7, 2014 at 10:38pm
हक़ीक़त के बियाबाँ में न भटकूंगा अकेला
बसाऊंगा तसव्वुर का नगर तै कर लिया है
wah wah sher ///////////////////sabhi sher umda huye hai.n

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 6, 2014 at 11:38am

//मैंने भी सरफरोशी का इधर तै कर लिया है//

यह मिसरा मुझे उलझता महसूस हो रहा है।

बाकी सभी अशआर खूबसूरत लगें, बधाई इस ग़ज़ल की प्रस्तुति पर।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 6, 2014 at 8:26am

बेहतरीन गजल, आदरणीय खुर्शीद साहब

गुज़ारिश है रुको कुछ देर तन्हाई मिटादो

चले जाओ कि जाने का अगर तै कर लिया है.....इस शेर पर आपको विशेष बधाई

 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 5, 2014 at 4:37pm

वह ----- वह ------वाह

जवाब नहीं  i क्या खूबसूरत गजल है  i किस शेर की तारीफ करू i सभी सवा शेर है i  बधाई हो i

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 5, 2014 at 11:45am

रहे अब लाख पेचीदा सफ़र तै कर लिया है

न छोडूंगा मुहब्बत की डगर तै कर लिया है  - वाह ! बहुत खूब होंसला और जज्बा कमाल का | तै कर लिया है का सुंदर निर्वाह हुआ है हर एक अश;आर में | हार्दिक बधाई आ, खुर्शीद खैराडी जी 

Comment by umesh katara on November 5, 2014 at 9:03am

हरिक शेर लाजबाब है बधाई सर

वाहहहहहहहहहहह

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 5, 2014 at 1:03am

हवाओं सब चरागों को बुझादो ग़म नहीं कुछ
अँधेरे में जलाऊंगा जिगर तै कर लिया है
दम है ग़ज़ल में, आकर्षण भी , आदरणीय खुर्शीद खैरादी जी बधाई।


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 3, 2014 at 3:05pm

बहुत आला कलम आ० खुर्शीद खैराड़ी साहिब, बहुत अलग सी रदीफ़ चुनी लेकिन उसको बड़ी उम्दगी से निभाया भी। हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

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