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SALIM RAZA REWA's Blog (70)

ग़ज़ल -- मोतिओं की तरह जगमगाते रहो --सलीम रज़ा रीवा

फ़ाएलुन / फ़ाएलुन / फ़ाएलुन / फ़ाएलुन 

212 // 212 // 212 // 212

मोतिओं की तरह जगमगाते रहो 
बुलबुलों की तरह चहचहाते…
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Added by SALIM RAZA REWA on May 6, 2014 at 10:00pm — 19 Comments

बेटी से खुशनुमा है --नज़्म -सलीम रज़ा

बेटी
बेटी से  खुशनुमा  है  ये  संसार  दोस्तो
रौशन इसी से सारा  है घर-बार  दोस्तो 
.........
बेटी  कही पे माँ  कही  बहना  के  रूप में …
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Added by SALIM RAZA REWA on February 24, 2014 at 9:00pm — 13 Comments

ग़ज़ल-- सलीम रज़ा

२२१ २१२१ १२२१ २१२

रिश्ते वफ़ा सब से निभाकर तो  देखिए 
सारे जहाँ को अपना बनाकर तो देखिए
 
इसका मिलेगे अज़्र खुदा  से  बहुत  बड़ा 
भूखे  को एक रोटी  खिलाकर तो देखिए …
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Added by SALIM RAZA REWA on December 18, 2013 at 9:30am — 13 Comments

ग़ज़ल - मेरे महबूब कभी मिलने मिलाने आजा ( सलीम रज़ा रीवा )

मेरे  महबूब  कभी  मिलने  मिलाने  आजा !

मेरी   सोई   हुई   तक़दीर  जगाने   आजा !!

तेरी आमद को समझ लूँगा मुक़द्दर अपना !

रूह बनके मेरी   धड़कन मे समाने आजा !!

मैं तेरे  प्यार  की   खुश्बू  से महक जाऊगा !

गुलशने  दिल को मुहब्बत से सजाने आजा !!

 

तेरी    उम्मीद   लिए    बैठे    हैं    ज़माने  से !

कर  के  वादा  जो  गये  थे वो निभाने आजा !!

बिन तेरे सूना है ख़्वाबो का ख़्यालो का महल !

ऐसी    वीरानगी  …

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Added by SALIM RAZA REWA on October 17, 2013 at 9:30am — 16 Comments

ग़ज़ल - सलीम रज़ा रीवा

ग़ज़ल 

.

क्यूँ  कहते हो कोई कमतर होता है !
दुनिया  में  इन्सान बराबर होता है !
 
पाकीज़ा  जज़्बात  है  जिसके सीने में !
उसका  दिल  भरपूर मुनौअर होता है !…
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Added by SALIM RAZA REWA on August 10, 2013 at 9:30am — 19 Comments

कहीं पे चीख होगी और कहीं किलकारीयाँ होंगी ( सलीम रज़ा रीवा )

कहीं  पे  चीख होगी और कहीं किलकारीयाँ  होंगी !
अगर हाकिम के आगे भूख और लाचारियाँ होंगी  !!
अगर हर दिल में चाहत हो शराफ़त हो सदाक़त हो !
मुहब्बत  का  चमन होगा ख़ुशी की क्यारियाँ  होंगी !!…
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Added by SALIM RAZA REWA on April 18, 2013 at 9:30pm — 18 Comments

GAZAL-मेरा मज़हब यही सिखाता है !! SALIM RAZA REWA

                   ग़ज़ल 
मेरा  मज़हब  यही  सिखाता है !!
सारी  दुनिया  से    मेरा…
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Added by SALIM RAZA REWA on March 1, 2013 at 9:17pm — 6 Comments

शाम आना है सुब्ह जाना है-- ग़ज़ल सलीम रज़ा रीवा

                  || ग़ज़ल ||

शाम आना  है  सुब्ह     जाना है ||

दिल सितारों  से क्या लगाना है…
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Added by SALIM RAZA REWA on February 25, 2013 at 9:00pm — 4 Comments

GAZAL-हमसफ़र तुमसा प्यारा मिले न मिले ! SALIM RAZA REWA

                ||ग़ज़ल|

हमसफ़र तुमसा प्यारा मिले न मिले !

साथ मुझको तुम्हारा मिले न मिले !

इश्क़ का कर दे इज़हार तन्हा है वो !

ऐसा मौक़ा दुबारा मिले न मिले !

जीले खुशिओं की पतवार है हाँथ में…

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Added by SALIM RAZA REWA on February 15, 2013 at 7:00pm — 13 Comments

जिस दम सूरज ढल जाएगा - SALIM RAZA REWA

22 22 22 22 -

जिस दम सूरज ढल जाएगा

रात  का  जादू  चल जाएगा

-

सँभल के चलना सीख लें वर्ना

कोई  तुझको  छल  जाएगा

-

दुनिया  का  दस्तूर  यही है…

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Added by SALIM RAZA REWA on February 3, 2013 at 10:30pm — 9 Comments

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