For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शाम आना है सुब्ह जाना है-- ग़ज़ल सलीम रज़ा रीवा

                  || ग़ज़ल ||

शाम आना  है  सुब्ह     जाना है ||

दिल सितारों  से क्या लगाना है ||
 
दिल ये कहता है तुम चले आओ ||
आज  मौसम  बड़ा  सुहाना  है ||
 
उनसे मिलकर  ही मैंने जाना है ||
ज़िन्दगी  का    सफ़र  सुहाना है ||
 
प्यार उल्फत वफ़ा मुहब्बत सब ||
ये तो  जीने  का    इक बहाना है ||
 
सच कहाँ   होती ख़्वाब  की बातें ||
ख़्वाब  होता    मगर  सुहाना है ||
 
ग़म  फ़क़त है नहीं मेरे संग में ||
चंद  खुशिओं का भी  खज़ाना है ||
 
ऐ  ''रज़ा''    हौसला  रहे  कायम ||
चोट  खाकर  भी  मुस्कुराना है  || 
 

Views: 438

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by mrs manjari pandey on February 28, 2013 at 11:26pm

शाम आना है सुब्ह  जाना है . दिल सितारों से क्या लगाना है।" आदरणीय साली म राजा जी अच्छा लगा .

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on February 26, 2013 at 11:53pm

सलीम साहब बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है....दिल के बेहद करीब। ख़ास कर ये शेर तो बहुत उम्दा है॥

सच कहाँ होती ख़्वाब की बातें 
ख़्वाब होता मगर सुहाना है ...

दिली दाद कुबूल करें !

Comment by SALIM RAZA REWA on February 26, 2013 at 4:21pm

नादिर ख़ान JI bahut bahut shukriya

Comment by नादिर ख़ान on February 26, 2013 at 4:14pm

शाम आना है सुब्ह जाना है 
दिल सितारों से क्या लगाना है 

उनसे मिलकर ही मैंने जाना है 
ज़िन्दगी का सफ़र सुहाना है 

प्यार उल्फत वफ़ा मुहब्बत सब 
ये तो जीने का इक बहाना है 

सच कहाँ होती ख़्वाब की बातें 
ख़्वाब होता मगर सुहाना है 

क्या कहने सलीम जी,

उम्दा गज़ल के लिए बधाई सभी शेर एक से बढ़कर एक

बहुत खूब...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
19 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service