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All Blog Posts Tagged 'दोहे' (70)

वर्ना फिर पछताय

अंधी जीवन दौड़ में, व्यथा करो न होड़        
ज्यादा धन की दौड़ में,है तनाव का मौड़ ।
 
लूट लूट कर घर भरा, जोड़े लाख करोड़,
साथ न वह ले जा सका,गया यही पर छोड़
  

घातक तनाव जो करे,…
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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 14, 2012 at 12:30pm — 4 Comments

जागरूक कर जाय

लूट व् भ्रष्टाचार से, भरा पड़ा अखबार,
ह्त्या, बलात्कार से, ख़बरों की भरमार ।
 
घोटालों की भरमार, जनता को सब भान
जाँच करा लिपापोती, सरकार की ये शान ।
 
सुर्खियों में रहना ही, नेता समझे शान,
चर्चा में हरदम रहे,  नेता उसको जान…
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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 1, 2012 at 1:30pm — 14 Comments

बदल गयी तरकीब

काकी आई शहर से, सुनो शहर का हाल,

फ़ार्म हाउस बन रहे, धनवानों की चाल ।



धनवानों की चाल है, खेती का क्या काम

बचजाये बस आयकर,ये ही उनका काम ।



फार्म हाउस में हो रहे, कैसे कैसे काम,

नेता बने किसान है, छलक रहे है जाम ।



किसान खेतहीन हुए, जमींदार सब नाथ,

बँट में खेत जोत रहे, घरवाली के साथ ।



घरवाली को साथ ले, खेतो में जुट जाय,

दुपहरी की रोटी भी, छाँव तले ही खाय ।



जनता के इस राज में, बदल गयी तरकीब,

नेता सब मालिक बने, देखा… Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 24, 2012 at 10:00am — 13 Comments

पाँच दोहे आँसू भरे

राजनीति के मंच पर, चढ़ गए आज दबंग

फूट फूट कर रो रहे, ध्वज के तीनों रंग



गधा जो देखन मैं चला, गधा न मिलया मोय

तब इक नेता ने कहा, मुझसा गधा न कोय



उजली खादी पहन के, करते काले काम…

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Added by Albela Khatri on September 12, 2012 at 9:30pm — 18 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
दोहे – कालजयी साहित्य

मान और सम्मान की,नहीं कलम को भूख

महक  मिटे  ना पुष्प  की , चाहे जाये सूख |

 

खानपान  जीवित  रखे , अधर रचाये पान

जहाँ  डूब कान्हा मिले , ढूँढो वह रस खान |…

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Added by अरुण कुमार निगम on September 11, 2012 at 12:00am — 14 Comments

रक्तदान के दोहे



प्यारे मित्रो ! आगामी 17 सितम्बर को तेरा पंथ युवक परिषद् ने द्वारा देश भर में रक्तदान का अभियान आयोजित किया है . एक लाख बोतल रक्त का लक्ष्य है ......उनके इस पुनीत कार्य के समर्थन में मैंने अहमदाबाद के संयोजक श्री सुनील वोहरा और अखिल भारतीय संयोजक श्री राजेश सुराणा के लिए कुछ दोहे लिखे हैं जो वे बैनर्स पर काम लेंगे.......आप भी पढ़ कर बताइये ..कैसे लगे ?



रक्तदान के…

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Added by Albela Khatri on September 6, 2012 at 8:50pm — 4 Comments

नौहा समझो तो नौहा, दोहा समझो तो दोहा

पहले से ही त्रस्त हैं, सीधे सादे लोग

मत फैलाओ भाइयो, अफवाहों का रोग



जन जन आशंकित हुआ, नख से लेकर केश

अफवाहों की आँच में, झुलस न जाये देश



देश हमारा  ताज है,  देशधर्म सरताज

जब तक इसकी लाज है, तब तक अपनी लाज



किसके सिर में चल रही, हिंसा की खुजलाट

मुझको गर दिख जाये वो, मारूँ  उसे चमाट



कर्णाटक हो या असम, चाहे महाराष्ट्र

एक हमारी भावना, एक हमारा राष्ट्र 



बीज न बोयें द्वेष का, रखिये मन में नेह

आपस में…

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Added by Albela Khatri on August 17, 2012 at 1:30am — 23 Comments

मित्रता दिवस को समर्पित छह दोहे

सारे रिश्ते देह के, मन का केवल यार

यारी जब से हो गई , जीवन है गुलज़ार



मन ने मन से कर लिया आजीवन अनुबन्ध

तेरी मेरी मित्रता  स्नेहसिक्त सम्बन्ध



मित्र सरीखा कौन है, इस…

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Added by Albela Khatri on August 5, 2012 at 1:00pm — 38 Comments

रक्षा-बन्धन के दोहे........



सभी भाइयों और सभी बहनों को  अलबेला खत्री  की ओर से राखी के त्यौहार पर 

लाख लाख बधाइयां और अभिनन्दन !



अधरों पर मुस्कान है, आँखों में उन्माद

रक्षा बन्धन आ गया, लेकर नव आह्लाद



आजा बहना बाँध दे, लाल गुलाबी  डोर

तिलक लगा कर पेश कर, मुँह में मीठा कोर…



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Added by Albela Khatri on August 1, 2012 at 9:47pm — 31 Comments

दोहे:-तंगी नट भैरव हुई

तंगी नट भैरव हुई और भूख मदमाद ,

महंगाई के कंठ से फूटे अभिनव राग.



हांथी की चिंघाड से दहके सब आधार,

साइकिल पंचर हो गयी और कमल बेकार.



महंगाई बढती गयी नहीं बड़ी तनख्वाह,

अभिनव इस सरकार को बहुत लगेगी आह.



योजना के संदूक पर बैठे सौ सौ नाग,

भूखा पेट गरीब का कैसे गाये फाग.



राजनीति के खेल में कैसी शह और मात,

संसद में सुबह हुई हवालात में रात.



स्वयं मलाई खा रहे हमें सिखाते योग,

सन्यासी के भेस में कैसे कैसे लोग.

(बाबा… Continue

Added by Abhinav Arun on October 16, 2010 at 3:30pm — 1 Comment

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