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हिसाब बराबर .

कुछ आंसू छुपाके रखे थे मैंने..

सबसे कठिन वक़्त के लिए..
खुद को मज़बूत बनाने के लिए..
हर वक़्त मुस्कुराने के लिए..
लेकिन.. तुमने छीन…
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Added by Lata R.Ojha on February 18, 2011 at 8:10pm — No Comments

जरा इधर भी करें नजरें इनायत

(1) समारू - न्यायालय ने ए. राजा को घर की दवा तथा खाना खाने की अनुमति दी है।

पहारू - ए. राजा के पास खाने के लिए नोटों की गड्डी है, ना।

 

(2) समारू - असम में मुख्मंत्री व मंत्रियों से अधिक संपत्ति उनकी पत्नियों के पास है।

पहारू - मंत्रियों की कमाई पर पहला अधिकार तो उन्हीं का है।

 

(3) समारू - प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि मैं मजबूर हूं, मेरा कोई नहीं सुनता।

पहारू - हम जैसे गरीबों का भी कौन सुनता है ????



(4) समारू - छग सरकार कह रही है,…

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Added by rajkumar sahu on February 18, 2011 at 11:22am — No Comments

Khuda se Guzarish hai

Yaron ne ruswa kiya, Ishk ne gham diya, Imtihanon ne toh kahin ka na chhoda,

tab khuda tera khayal aya , ab teri inayat karta hun mai , ab tujhse guzarish karta hu main, yaron ne toh choda hai , par tune kisko chhoda hai, ab meri fariyad sun le tu, ab beda paar kar de tu, jo beet gaya sab bhul chuka , fir se bigdi bana de tu, ek naya…

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Added by Rohit Dubey "योद्धा " on February 18, 2011 at 10:41am — 1 Comment

Tanhai ki Daastan

Kya sunaye tumhe tanhayi ki dastaan, uski yadon me use kabhi dekhte hai kabhi sochte he , kabhi uske balon se kabhi uske galon ko sehlate toh kabhi chumte he, Jab milegi hame uski ankhon me dub jaynge, na piyenge kabhi sharaab ,haan uske ansu jaroor pee lenge, Uske hothon ko chukar har talab ki kami mita lenge, Lekin aye tanhai,tu ye bata mere yaar tujhse haseen hai ya tu mera naseeb hai, ya wo mera naseeb… Continue

Added by Rohit Dubey "योद्धा " on February 18, 2011 at 10:35am — No Comments

जरा इधर भी करें नजरें इनायत (6)

(1) समारू - छत्तीसगढ़ सरकार शराब की दर बढ़ा रही है ?

पहारू - दो रूपये किलो में चावल है, न !!!!!!





(2) समारू - प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने कहा है - मजबूर हूं ।

पहारू - भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवानी ने कहा है - कमजोर हैं।



(3) समारू - संजारी बालोद उपचुनाव में कौन जीतेगा ?

पहारू - कोई भी जीते, लेकिन कांग्रेस का एक धड़ा हारेगा, जरूर।



(4) समारू - बालोद क्षेत्र में शराब की बिक्री बढ़ गई ?

पहारू - फोकट में मिलेंगे, तो पीएंगे… Continue

Added by rajkumar sahu on February 17, 2011 at 6:09pm — No Comments

मेरा रंग उसके रंग पर चड़नें लगा है...........


बड़ी मुश्किल से पहचाना उन्हें इस बार होली में
गुलाबी हो गये साँबलें सरकार होली में..................
        

Added by अमि तेष on February 17, 2011 at 5:52pm — 1 Comment

जब बेटी घर से विदा हो जायेगी..

जब बेटी घर से विदा हो जायेगी..

   - शमशाद इलाही अंसारी "शम्स"

 

ये घर दरो दीवार सब तरसेंगे

जब बर्तन खन खन…

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Added by Shamshad Elahee Ansari "Shams" on February 17, 2011 at 5:00am — 18 Comments

ek ghazal

 

 

एक ग़ज़ल 

 

धुंधले हैअक्स सारे,कुछ तो दिखाइये

इस  बोदे  आईने  को  थोडा  हटाइये

 

सावन के आप अंधे,दीखेगा ही हरा

 

रुख दूसरे के जानिब चेहरा घुमाइये

 

अरायजनवीस लाखों जीते तो मिल गये

 

अब हार की सनद ये किस से लिखाइये

 

कैसे करेंगे अब हम खेती गुलाब की 

गमलों की है रवायत,कैक्टस उगाइये 

 

खाली हुई चौपाल और उजड़ा हुआ अलाव 

हुक्का है…

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Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on February 17, 2011 at 1:09am — 1 Comment

dohe rajasthani mati ke

 

आंधी थी जो कर गयी,आँगन आँगन रेत

आई थी तो जायेगी,कहाँ रेत को हेत 

 

रात चांदनी दूर तक टीलों का संसार 

अळगोजे*की तान में बिखरा केवल प्यार 

 

हडकम्पी जाड़ा पड़े,चाहे बरसे आग 

सहज सहेजे मानखा माने सब को भाग 

 

सतरंगी है ओढ़नी,पचरंगी है पाग

जीवन चाहे रेत हो मनवा खेले फाग 

 

सुबह हुई कुछ और था,सांझ हुई कुछ और

आदम  की नीयत हुआ,इन टीलों का तौर   

 …

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Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on February 17, 2011 at 12:49am — No Comments

महान देश के मजबूर प्रधानमंत्री

दो बरस पहले जब यूपीए-2 गठबंधन की सरकार बनी तो यही कयास लगाया जाने लगा था कि पहली बार की तरह सरकार के लिए यह साल ठीक रहेगा और चुनाव के पहले, जो दावे कांग्रेस ने किए थे, उस पर अमल किया जाएगा। यहां दिलचस्प पहलू यही रहा कि महंगाई जैसी गंभीर समस्या से आम लोगों को निजात देने की बात कहने वाली सरकार, लगातार बयानबाजी में ही उलझी हुई नजर आई। महंगाई से निपटने अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री से लेकर सरकार के मंत्री तक असहाय नजर आए। कभी किसी ने यह कहकर अपने दायित्वों से मुंह मोड़ लिया कि महंगाई तो ग्लोबल वार्मिंग… Continue

Added by rajkumar sahu on February 17, 2011 at 12:23am — No Comments

और कितने भूखे हैं ये

कहा जाता है की पुरे भारत की बागडोर दिल्ली में बैठने वालों के हाथ में होती है और शायद यही सत्य भी है.साल २०१० "महंगाई" और "भ्रष्टाचार" से बदनाम रहा.ये दो शब्द ऐसे शब्द है जो की २०१० में कितने महापुरुषों को स्टार बना दिया तो कितनो की मुहं की निवाले छीन गयी .एक तरफ ए.राजा(पूर्व दूरसंचार मंत्री),सुरेश कलमाड़ी(राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के अध्यछ),ललित मोदी(इंडियन प्रिमिअर… Continue

Added by Ratnesh Raman Pathak on February 16, 2011 at 6:42pm — No Comments

‘शराब दुकान हटाओ, छत्तीसगढ़ बचाओ’

‘शीशी-बोतल तोड़ दो, दारू पीना छोड़ दो’, ‘शराब दुकान हटाओ, छत्तीसगढ़ बचाओ’, ‘सरकार को जगाना है, नशामुक्त समाज बनाना है’ जैसे कई नारे लगाते हुए नवागढ़ की सैकड़ों महिलाएं शराब दुकान बंद कराने सड़क पर उतर आईं। महिलाआंे ने कचहरी चौक जांजगीर से रैली की शुरूआत की, जो विवेकानंद मार्ग होते हुए बीटीआई चौक पहुंची और फिर कलेक्टोरेट पहुंची। यहां कलेक्टर को महिलाओं ने एक ज्ञापन सौंपा और शराब दुकान को अगले वित्तीय वर्ष से बंद कराने की मांग की। यहां कलेक्टर ब्रजेश चंद्र मिश्र ने मामले में राज्य षासन को अवगत कराने…

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Added by rajkumar sahu on February 16, 2011 at 12:47pm — No Comments

तब और अब



तब और अब

कुशल छेम पूछत रहे , दिल में राखी सनेह I


चले गए वे लोग सब, तजि मानुष के देह II

समय समय का खेल यह, भला बुरा न होय I

कारन सदा अदृश्य है, जानि  सके न कोय II

चला गया सो चला गया , वर्तमान को जान I

आगे क्या फिर आएगा , उसको भी पहचान…

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Added by R N Tiwari on February 16, 2011 at 12:17pm — No Comments

उलझन

दीदार ए अजीमत से हम शर्माए बहुत हैं

बढ़ने से कदम मेरे घबराये बहुत हैं



गर भटक गया आदम तो चोंकना कैसा

जिंदगी रस्ते में तेरे दोराहे बहुत हैं



वो तो आसमां ही था जो नसीब ना हुआ

पिंजड़े में परिंदे फडफडाए बहुत हैं… Continue

Added by Bhasker Agrawal on February 15, 2011 at 9:30pm — No Comments

प्यार

हाँ प्यार मेने भी किया बचपन से ले कर आज तक ...हाँ मुझे पता है प्यार अँधा होता ,,एक मा अपने बेटे से प्यार करती है और फिर वही बेटा उसकी पत्नी से..फिर वही पत्नी उसके बेटे से...बड़ा अजीब लगता ह सुनने मे... चलो मे अब बात करता हूँ की प्यार क्या होता है:-प्यार मे एक दूसरे का सम्मान होता है, जिसे प्यार करो उसकी फ़िक्र  होती है, उसकी चिंता होती है , उसकी बहुत याद आती हाई ,प्यार को तो महसूस किया  जाता है , प्यार कभी भी एक तरफ प्यार नही होता ,सामने वाला भी आपसे उमीद करता की आप भी बदले मे उसे तोड़ा बहुत… Continue

Added by Rohit Singh Rajput on February 15, 2011 at 4:30pm — 3 Comments

एक मिश्रण

इक और गुज़रा दिन समेटा याद में इसको;

...दफ़न हो जाएँगी अब ये मेरे मन कि दराजों में;

जो आये वक़्त परिचित तब मिलेगी रूह फिर इनको;

नहीं तो सिलवटें पड़ती रहेंगी इन मजारों में.

-----------------------------------------------------------------------------------------

वेदना कुछ भी नहीं, तब ह्रदय इतना मौन क्यों है;

क्यों हम अब भी स्वप्नते हैं, स्मृतियाँ भूली भुलाई ;

आस भी है, प्यास भी है, रौशनी कुछ ख़ास भी है;

मन हैं इतने पास अपने, हाथ लेकिन दूर क्यों… Continue

Added by neeraj tripathi on February 15, 2011 at 4:07pm — No Comments

कुछ अहसास

कुछ अहसास हर अहसास से परे

 कुछ अरमान उम्मीदो से भरे

 गम है लिखे मुक्कदर में सभी

केमहबूब का साथ हर गम हरे



किताब की लिखावट तो नीरस

हैशब्दों की बनावट भी नीरस है

गुलाबों सा महकता महबूब का प्रेम पत्र

लिये जिंदगी का हर रस है  



दुनिया में अस्तित्व हीन हूँ

सनम ही मेरी दुनिया है

 उसी में डुबा रहूँ ताउम्र 

सनम ही मेरा अस्तित्व हैं

 

मिलन यामिनी में साथ बैंठे

खुला आसमा ताकते है

चाँद को…

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Added by Mayank Sharma on February 15, 2011 at 3:30pm — No Comments

हर चेहरा लगता है पत्रकार !

यह बात सही है कि आज मीडिया का हर क्षेत्र में दखल है और शहर से लेकर गांवों तक मीडिया ने पहुंच बना ली है। इस तरह कहा जा सकता है कि मीडिया का भी समय के साथ विकेन्द्रीकरण हुआ है। पहले पिं्रट व इलेक्ट्रानिक मीडिया का संपर्क महानगरों के पाठकों व दर्शकों तक होता था, मगर आज हालात काफी बदल गए हैं। मीडिया का चाहे वह पिं्रट माध्यम हो या फिर इलेक्ट्रानिक मीडिया, किसी न किसी तरह से प्रत्येक घरों तक अपनी पैठ जमा ली है। जाहिर सी बात है कि जब मीडिया का प्रसार होगा तो रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे, ऐसा हुआ भी है और… Continue

Added by rajkumar sahu on February 15, 2011 at 1:19am — No Comments

पिताजी की डायरी से..

पिताजी की डायरी से..…















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Added by R N Tiwari on February 14, 2011 at 5:57pm — No Comments

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