For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

July 2022 Blog Posts (32)

मैं जताना जानता तो

मैं जताना जानता तो बन बैरागी यूं ना फिरता 

मेरे ही ख़िलाफ़ ना होता आज ये उसूल मेरा 

मैं ठहरना जानता तो बन के यूं भंवरा ना फिरता 

मेरे पग को बांध लेता फिर कोई अरमान मेरा 

 

मैं बताना जानता तो दाग़ लेकर यूं ना…

Continue

Added by AMAN SINHA on July 6, 2022 at 11:40am — No Comments

शब्द - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

दोहे

****

मुख सा सम्मुख और के, रखिए शब्द सँवार

सुन्दर  शब्दों  के  बिना, कहते  लोग  गँवार।१।

*

युद्ध शब्द  से  जन्मते, और  शब्द से शान्ति

महिमा अद्भुत शब्द की, जिससे होती क्रांति।२।

*

कोई शब्दों में भरे, अद्भुत सहज मिठास I

कोई रीता रख उन्हें, देता अनबुझ प्यास।३।

*

कोई सज्जन कह  गया, बात  बड़ी गम्भीर।

जीवन घायल मत करो, शब्दों को कर तीर।४।

*

कोई छाया दे  सदा, कर शब्दों को पेड़।

कोई शब्दों से यहाँ , बखिया देत…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 6, 2022 at 5:30am — No Comments

कालिख दिलों के साथ में ठूँसी दिमाग में - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२

*

पथ में कोई सँभालने वाला नहीं हुआ

ये पाँव जानते थे जो छाला नहीं हुआ।।

*

कैसा तमस ये साँझ ने आगोश में भरा

इतने जले चराग उजाला नहीं हुआ।।

*

कालिख दिलों के साथ में ठूँसी दिमाग में

ऐसे ही मुख ये आप का काला नहीं हुआ।।

*

नेता ने क्या क्या पेट में ठूँसा है देश का

बस आदमी ही उसका निवाला नहीं हुआ।।

*

कोशिश बहुत की वैसे तो बँटवारे बाद भी

यह घर किसी भी राह शिवाला नहीं हुआ।।

*

मौलिक/अप्रकाशित

लक्ष्मण धामी…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 5, 2022 at 2:19pm — 3 Comments

दोहा मुक्तक .....

दोहा  मुक्तक ........

कड़- कड़ कड़के दामिनी, घन बरसे घनघोर ।

   उत्पातों  के  दौर  में, साँस का  मचाए  शोर  ।

        रात   बढ़ी  बढ़ते   गए,  आलिंगन   के   बंध -

           पागल दिल को भा गया , दिल का प्यारा चोर ।

                       * * * * *

एक दिवानी को हुआ, दीवाने  से  प्यार ।

     पलकों में सजने लगा, सपनों का संसार ।

           गुपचुप-गुपचुप फिर हुए, नैनों में संकेत  -

                चरम पलों में हो  गए, शर्मीले  अभिसार…

Continue

Added by Sushil Sarna on July 4, 2022 at 9:38pm — 2 Comments

भोर सुख की निर्धनों ने पर कहीं देखी नहीं -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर'

२१२२/२१२२/२१२२/२१२

*

जब कोई दीवानगी  ही  आप ने पाली नहीं

जान लो ये जिन्दगी भी जिन्दगी सोची नहीं।।

*

पात टूटे  दूब  सूखी   ठूठ  जैसे  हैं  विटप

शेष धरती का कहीं भी रंग अब धानी नहीं।।

*

भर रहे हैं सब हवा में आग जब देखो सनम

फूल होगा याद  में  बस  गन्ध  तो होगी नहीं।।

*

तैरती है प्यास आँखों में सभी के रक्त की

हो गये हैं  लोग  दानव  पी  रहे पानी नहीं।।

*

राजशाही  साम्यवादी  लोकशाही  दौर  सब

भोर सुख की निर्धनों ने पर कहीं देखी…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 4, 2022 at 7:22pm — 2 Comments

गजल

212  212  212  22 

इक वहम सी लगे वो भरी सी जेब 

साथ रहती मेरे अब फटी सी जेब 

ख्वाब देखे सदा सुनहरे दिन के 

आँख खुलते मिली बस कटी सी जेब 

चैन आराम सब खो दिया तुमने 

पास…

Continue

Added by gumnaam pithoragarhi on July 4, 2022 at 9:30am — 6 Comments

सब एक

सब एक



उषा अवस्थी



सत्य में स्थित



कौन किसे हाराएगा?

कौन किससे हारेगा?

जो तुम, वह हम

सब एक



ज्ञानी वही अज्ञानी भी वही…

Continue

Added by Usha Awasthi on July 3, 2022 at 6:56pm — No Comments

होना जहाँ को आज भी साकेत चाहिए-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२

*

पानी  नहीं  नदी  से  जिन्हें  रेत चाहिए

रचने को सेज अन्न का हर खेत चाहिए।२।

*

औषध नहीं पहाड़ से पत्थर खदान कर

कंक्रीट के नगर  को  वो समवेत चाहिए।२।

*

दो पल के सुख दे छीनले पूरी सदी को जो

सब को विकास  नाम  का  वो प्रेत चाहिए।३।

*

छाया से पेड़ की नहीं लकड़ी से प्यार है

कुर्सी को जंगलों  की  सभी बेत चाहिए।४।

*

धरती को नोच चाँद को रौंदा उन्हें यहाँ

रीती  नदी  में  नीर  का  संकेत चाहिए।५।

*

वैभव नगर का साथ में…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 3, 2022 at 6:40am — No Comments

कहतें हैं वोट शक्ति का पर्याय है अगर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२

*

अब  झूठ  राजनीति  में  दस्तूर  हो गया

जिस का हुआ विरोध वो मशहूर हो गया।१।

*

जनता के हक में बोलते जो काम बोझ है

नेता के हक में  काम  वो  मन्जूर हो गया।२।

*

कहते हो वोट  शक्ति  का पर्याय है अगर

क्यों लोक आज देश का मजबूर हो गया।३।

*

जो चाहे मोल दे  के  करा लेता काम है

कानून  जैसे  देश का  मजदूर  हो गया।४।

*

जनता न राजनीति की मन्जिल बनी कभी

उपयोग उस  का  राह  सा  भरपूर हो गया।५।

*

होता भला न…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 2, 2022 at 3:30am — 2 Comments

सत्य

सत्य

उषा अवस्थी

असत्य को धार देकर

बढ़ाने का ख़ुमार हो गया है

स्वस्थ परिचर्चा को 

ग़लत दिशा देना

लोगों की आदत में 

शुमार हो गया है।

 

असत्य के महल खड़े कर

खिल्ली मत उड़ाओ

अनेकानेक झूठ को

सत्य से,धूल चटाओ

शास्त्र वाक्यों को दोराकर

अभिमान मत जताओ

कर्म में परिणित करो

व्यर्थ मत,समय गँवाओ

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Usha Awasthi on July 1, 2022 at 7:05pm — 2 Comments

किराए का मकान

दीवारें हैं छत हैं

संगमरमर का फर्श भी

फिर भी ये मकान अपना घर नहीं लगता

चुकाता हूँ

मैं इसका दाम, हर तारीख पहली…

Continue

Added by AMAN SINHA on July 1, 2022 at 11:30am — No Comments

कभी तो पढ़ेगा वो संसार घर हैं - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२२

*

सियासत को आता है तलवार पढ़ना

उसे भी सिखाओ तनिक प्यार पढ़ना।।

*

किसी दिन सभी कुछ यहाँ फूक देगा

सिखाओ न अब तुम ये अंगार पढ़ना।।

*

वही झूठ हर  दिन  वही  दुख भरा है

सुखद कब लगेगा ये अखबार पढ़ना।।

*

शिखर खोजते है बहुत लोग लेकिन

किसी को न भाता है  आधार पढ़ना।।

*

कभी  तो  पढ़ेगा  वो  संसार  घर हैं

जिसे आ गया घर को संसार पढ़ना।।

*

जमाने को अच्छा अगर कर न पाये

समझ लो हुआ सबका बेकार…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 1, 2022 at 2:53am — 9 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service