For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Featured Blog Posts – June 2012 Archive (9)

सानिध्य में सुदूर

 

      सानिध्य में सुदूर हर बात से मजबूर 

      सजग चिंतित, विराग अनुराग !

      प्रतिकूल  मंचन, मुलाक़ात सज्जन 

      फिर वहीँ आचार विचार संचन !

      दिशाहीन नाव, अथाह सागर 

      मस्ती तूफ़ान ज्यों यादगार मगर !

      अद्वैत, असहाय , निरुपाय 

      कुमकुम  की कली तेज धुप अलसाय !

      मधुर मिलन फिर वही चिंतन 

      अनुराग अपार तेजधार बहाव !

      धूमिल क्षितिज , कलरव 

      अभिनव राग हज़ार बार !

      हरित निष्प्राण मंद वायु यार

 …

Continue

Added by Raj Tomar on June 20, 2012 at 10:58pm — 12 Comments

उगता सूरज -धुंध में

उगता सूरज -धुंध में

-----------------

कर्म फल -गीता

क्रिया -प्रतिक्रिया

न्यूटन के नियम

आर्किमिडीज के सिद्धांत

पढ़ते-डूबते-उतराते

हवा में कलाबाजियां खाते

नैनो टेक्नोलोजी में

खोजता था -नौ ग्रह से आगे

नए ग्रह की खोज में जहां

हम अपने वर्चस्व को

अपने मूल को -बीज को

सांस्कृतिक धरोहर को

किसी कोष में रख

बचा लेंगे सब -क्योंकि

यहाँ तो उथल -पुथल है

उहापोह है ...

सब कुछ बदल डालने की

होड़ है -कुरीतियाँ… Continue

Added by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on June 16, 2012 at 1:01pm — 39 Comments

बाल श्रम (लघु कथा)

कितने ही प्रतिष्ठित समाजसेवी संगठनों में उच्च पद-धारिका तथा सुविख्यात समाज सेविका निवेदिता आज भी बाल श्रम पर कई जगह ज़ोरदार भाषण देकर घर लौटीं. कई-कई कार्यक्रमों में भाग लेने के उपरान्त वह काफी थक चुकी थी. पर्स और फाइल को बेतरतीब मेज पर फेंकते हुए निढाल सोफे पर पसर गई.  झबरे बालों वाला प्यारा सा पप्पी तपाक से गोद में कूद आता है.

"रमिया ! पहले एक ग्लास पानी ला ... फिर एक गर्म गर्म चाय.........." 

दस-बारह बरस की रमिया भागती हुई पानी लिये सामने चुपचाप खड़ी हो जाती है.

"ये…

Continue

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 15, 2012 at 12:00pm — 20 Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
मोहब्बत के कदम

बादलों पे
थिरकता है हुस्न
अरमानों की
मखमली चादर ओढ़े...
कजरारे नशीले नैन
मासूमियत से मुस्कुराते हैं,
निगाहों निगाहों में 
बूझ पहेलियाँ...
होठों पर लहराती
गुनगुनाती हँसी
सागर की चंचल लहरों सी,
करती है अठखेलियाँ...
गीले चमकीले
मोतियों के चिराग
झिलमिलाते है रिमझिम
गेसुओं…
Continue

Added by Dr.Prachi Singh on June 13, 2012 at 11:09pm — 20 Comments

= जीवन सन्दर्भ =

= जीवन सन्दर्भ =

खेत की मुंडेर पर चहकते पक्षियों की ढेर सारी बातें,

गेहूँ की बालियों के आँचल की मदमाती भीनी-भीनी सुगंध,

सर्दी की धूप का मेरी पीठ पर रखा दोस्ताना हाथ,

एक लय होकर काम करते हुए अनेक जीवन,

बैलों के गले की घण्टियों का राग,

यहाँ वहाँ उछलकूद करते बछड़े,

रंभाती गायें,

इन परिदृश्यों का स्वार्गिक…

Continue

Added by डॉ. नमन दत्त on June 12, 2012 at 5:02pm — 6 Comments

ठोकरें ज़माने की

ये सज़ा मिली मुझको तुमसे दिल लगाने की

मिल रही हें बस मुझको ठोकरें ज़माने की

 

फैसला हे ये मेरा मैं तुम्हें भुला दूंगा

तुमको भी इजाज़त हे मुझको भूल जाने की

 

ख़ाब अब मुहब्बत के मैं कभी न देखूँगा

ताब ही नहीं मुझमे फिर से ज़ख्म खाने की

 

रह गयी उदासी हीअब तो मेरे हिस्से में

अब…

Continue

Added by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on June 11, 2012 at 12:44pm — 14 Comments

संकुचित पर्यावरण हो रहा बाबाजी

यह जो शहरीकरण हो रहा बाबाजी

हरियाली का  हरण हो रहा बाबाजी



चीलें, कौए, चिड़ियाँ, तोते, तीतर संग

वनजीवन का…

Continue

Added by Albela Khatri on June 6, 2012 at 12:00pm — 20 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
मौज कोई सागर के किनारों से मिली

मौज कोई सागर के किनारों से मिली  

 साँसे अपनी दिल के इशारों से मिली  

सोंधी सी महक बारिश का इल्म देती है 

गुलशन की खबर ऐसे बहारों से मिली 

आंधी ने नोच डाले हैं दरख्तों से पत्ते 

जुदाई की भनक आती बयारों से मिली 

चाँद खुश है रोशन करेगा बज्मे- जानाँ   

आस नभ में चमकते सितारों से मिली 

हरेक  लब उसे अकेले में गुनगुनायेंगे   

ऐसी कोई नज्म संगीतकारों से मिली 

पंहुच गई है परदेश में निशा की डोली 

खबर भोर में आते…

Continue

Added by rajesh kumari on June 3, 2012 at 9:03pm — 27 Comments

रूप घनाक्षरी

प्रति चरण ३२ अक्षर, १६-१६ पर दो विश्राम, इक्त्तीस्वां (३१ वाँ) दीर्घ, बत्तीसवां (३२ वाँ ) लघु

शारदा कृपा कर दो मुझको नादान जान

भरो खाली झोली माता ज्ञान का दो वरदान



मैं तेरा ध्यान कर के छंद की रचना करूँ

देश देश गायें सब भारत की बढे शान



छंद मेरे पढ़ें जो भी…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 3, 2012 at 7:00pm — 11 Comments

Featured Monthly Archives

2025

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service