For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Naveen Mani Tripathi's Blog – April 2017 Archive (9)

ग़ज़ल।--हो गई बात कुछ इशारों से ।

2122 1212 22

फूल ढूढे गए किताबों से ।

हो गयी बात कुछ इशारों से ।।



कुछ गलत फहमियां हुई होंगी ।।

उस से मिलता कहाँ मै वर्षों से ।।



फेसबुक से उसे भी नफरत है ।

डर उसे है अनाम रिश्तों से ।।



कुछ तो है वो खफा ख़फ़ा शायद ।

लग गया बेलगाम बातों से ।।



आशिकी का नशा हुआ महंगा ।

रिन्द घटने लगे हैं खर्चों से ।।



बाद मुद्दत के जब मिले उस से ।

दर्द छलका तमाम आंखों से ।।



हो यकीनन जफ़ा के काबिल तुम ।।

शर्म तुमको… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on April 30, 2017 at 8:03am — 3 Comments

ग़ज़ल

2212-1212-2212-12

थोड़ी तसल्लियों में मेरा इंतजार हो ।

माना कि आज तुम जियादा बेकरार हो ।



वह मैकदों के पास से गुजरा नहीं कभी ।

गर चाहते हो रिन्द को तो इश्तिहार हो ।।



निकला है आज चाँद शायद मुद्दतों के बाद ।

अब वस्ल पर वो फैसला भी आरपार हो ।।



आया शिकार पर न् वो खुद ही शिकार हो ।

इतना खुदा करे उसे बेगम से प्यार हो ।।



लिख्खा दरख़्त पर किसी पगली ने कोई नाम ।

शायद गरीब दिल की कोई यादगार हो।।



हालात हैं खराब क्यों…

Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on April 30, 2017 at 7:30am — 4 Comments

ग़ज़ल -- मौत से वह बहुत लड़ा होगा ।।

2122 1212 22



उसके चेहरे पे कुछ लिखा होगा ।

पढ़ने वालों ने पढ़ लिया होगा ।।



यूँ…

Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on April 21, 2017 at 10:00am — 8 Comments

उसके आँचल उड़ा नही करते

2122 1212 22



बेसबब वह वफ़ा नहीं करते । खत मुझे यूँ लिखा नहीं करते ।।



है मुहब्बत से वास्ता कोई । उस के आँचल उड़ा नहीँ करते ।।



लूट जाते हैं जो मेरे घर को। गैर वह भी हुआ नहीं करते ।।



बात कुछ तो जरूर है वर्ना । तुम हक़ीक़त कहा नही करते ।।



न्याय बिकता है इस ज़माने में । बिन लिए फैसला नही करते ।।



वह गवाही भी बिक गई कब की ।

अब भरोसा किया नही करते ।।



जश्न लिखता हयात को बन्दा ।

जिंदगी से डरा नहीँ करते ।।



है… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on April 15, 2017 at 11:56pm — 5 Comments

हो सके मुस्कुरा दीजिये

212 212 212

चाहतों का सिला दीजिये ।

हो सके मुस्कुरा दीजिये ।।



टूट जाए न् ये जिंदगी।

हौसला कुछ बढा दीजिये।।



गफलतें हो चुकी हैं बहुत ।

रुख़ से पर्दा हटा दीजिये ।।



देखिए हाल बेहाल क्यूँ ।

आप ही कुछ दवा दीजिये ।।



बेवफा कह दिया क्यो उसे ।

राज है क्या बता दीजिये ।।



लूट कर ले गई सब नजर ।

यह रपट भी लिखा दीजिये ।।



टूटकर वह बिखर ही गई ।

जाइये घर बसा दीजिये ।।



है जरूरी मुलाकात भी… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on April 15, 2017 at 1:00pm — 8 Comments

कहीं ये नीयत फिसल न् जाए

121 22 121 2 2 121 22 121 22



नई जवानी नई अदाएं

कहीं ये नीयत फिसल न् जाए ।।

जरा सँभालो अदब में पल्लू

कोई इरादा बदल न् जाए ।।



कबूल कर ले सलाम मेरा

ऐ हुस्न वाले तुझे है सज़दा ।

मेरी मुहब्बत का दौर यूं ही

तेरी ख़ता से निकल न् जाए ।।



बड़ी तमन्ना थी महफ़िलो की

ग़ज़ल में उसके पयाम होगा ।

उधर है दरिया में बेरुखी तो

इधर समंदर मचल न् जाए ।।



है क़त्ल का गर तेरा इरादा

तो दर्द देकर गुनाह मत कर ।

हराम होगा ये इश्क़… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on April 13, 2017 at 10:13pm — 11 Comments

गज़ल --आशिको के पास जाकर देखिये

2122 2122 212



मैकदों के पास आकर देखिये ।

तिश्नगी थोड़ी बढ़ाकर देखिये ।।



वह नई उल्फ़त या नागन है कोई ।

गौर से चिलमन हटाकर देखिये ।।



सर फरोसी की तमन्ना है अगर ।

बेवफा से दिल लगाकर देखिये ।।



आपकी जुल्फें सवंर जायेगी खुद ।

आशिकों के पास जाकर देखिये ।।



आस्तीनों में सपोले हैं छुपे ।

हाथ दुश्मन से मिलाकर देखिये ।।



जल न् जाऊँ मैं कहीं फिर इश्क़ में ।

इस तरह मत मुस्कुराकर देखिये ।।



होश खोने का…

Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on April 10, 2017 at 5:30pm — 9 Comments

ग़ज़ल

2122 1122 1122 22

अब दुवाओं के लिए हाथ उठाया जाए ।

तेरे सर से न् कभी इश्क़ का साया जाए ।।



हुस्न मगरूर हुआ है ये सही है यारों ।

आइनॉ को न् उसे और दिखाया जाए ।।



होश खोना भी जरूरी है मुहब्बत के लिए ।

सुर्ख होठों पे कोई जाम सजाया जाए ।।



पूछ मत दर्द से रिश्तों की कहानी मेरी ।

ज़ह्र देना है तो बेख़ौफ़ पिलाया जाए ।।



एक हसरत के लिए जिद भी कहाँ है वाजिब ।

गैर चेहरों को चलो दिल में बसाया जाए ।।



बिक गई आज निशानी भी जो तुमने… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on April 6, 2017 at 11:14pm — 5 Comments

ग़ज़ल रोज़ मुकरते किरदारों से क्या लेना

22 22 22 22 22 2



रंग बदलते रुख़सारों से क्या लेना ।

रोज मुकरते किरदारों से क्या लेना ।।



गंगा को मैली करती हैं सरकारें ।

उनको जग के उद्धारोँ से क्या लेना ।।



खूब कफ़स का जीवन जिसको भाया है ।

उस पंछी को अधिकारों से क्या लेना ।।



जंतर मंतर पर बैठा वह अनसन में ।

राजा को अब लाचारों से क्या लेना ।।



टूट चुका है उसका अंतर मन जब से ।

जग में दिखते मनुहारों से क्या लेना ।।



फुटपाथों पर जिस्म बिक रहा खबरों में…

Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on April 1, 2017 at 10:30pm — 5 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service