For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल --आशिको के पास जाकर देखिये

2122 2122 212

मैकदों के पास आकर देखिये ।
तिश्नगी थोड़ी बढ़ाकर देखिये ।।

वह नई उल्फ़त या नागन है कोई ।
गौर से चिलमन हटाकर देखिये ।।

सर फरोसी की तमन्ना है अगर ।
बेवफा से दिल लगाकर देखिये ।।

आपकी जुल्फें सवंर जायेगी खुद ।
आशिकों के पास जाकर देखिये ।।

आस्तीनों में सपोले हैं छुपे ।
हाथ दुश्मन से मिलाकर देखिये ।।

जल न् जाऊँ मैं कहीं फिर इश्क़ में ।

इस तरह मत मुस्कुराकर देखिये ।।

होश खोने का इरादा है अगर ।
ज़ाम साकी को पिलाकर देखिये ।।

दाग लग जाते हैं दामन पर यहां ।
यह तमाशा दूर जाकर देखिये ।।

फिर नशेमन पर गिरी हैं बिजलियाँ ।
बादलों को तिलमिलाकर देखिये ।।

हो रहा वह हुस्न भी नीलाम अब ।
बोलियां महँगी लगाकर देखिये ।।

चाहते गर लाश जिन्दा देखना ।
रात कोठों पर बिताकर देखिये ।।

--नवीन मणि त्रिपठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 574

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on April 12, 2017 at 10:07pm
मेरी मिहनत उस वक़्त सार्थक होगी जब आप पटल पर इसे संशोधित करें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 12, 2017 at 9:18pm

आदरनीय नवीन भाई , अच्छी गज़ल की है . बधाइयाँ आपको.... आ. समर भाई जी की इस्लाह के बाद कुछ कहना नही रह जाता ... बस उनकी बातों का खयाल कीजिये ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on April 12, 2017 at 8:43pm
आ0 कबीर सर सादर आभार अति महत्वपूर्ण इस्लाह हेतु हार्दिक नमन ।
Comment by Samar kabeer on April 12, 2017 at 6:25pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

'वो नई उल्फ़त या नागन है कोई
ग़ौर से चिल्मन हटाकर देखिये '
इस शैर के ऊला मिसरे में आपने 'उल्फ़त'को 'नागन'से जो तशबीह दी है वो सही नही है ,'ज़ुल्फ़'को नागन से तशबीह दी जाती है ।

तीसरे शैर के ऊला मिसरे में 'सरफरोसी'को "सरफ़रोशी" कर लें ।

'होश खोने का इरादा है अगर
जाम साक़ी को पिलाकर देखिये'
साक़ी को जाम पिलाकर होश कैसे खोएंगे भाई ?

'दाग़ लग जाये न दामन पर यहां
ये तमाशा दूर जाकर देखिये'
कौन सा तमाशा ?
सानी मिसरा यूँ करें :-
"हर तमाशा दूर जाकर देखिये"

'बोलियां मंहगी लगाकर देखिये'
बोलियों के लिये 'मंहगी'शब्द मुनासिब नहीं,ये मिसरा यूँ करें :-
"बोलियां ऊँची लगाकर देखिये "
बाक़ी शुभ शुभ ।
Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on April 11, 2017 at 7:30pm

वाह वाह ...आदरणीय नवीन मणि साहेब ...... बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है.....बधाई स्वीकार करें 

Comment by Naveen Mani Tripathi on April 11, 2017 at 12:51pm
आ0 मोहम्मद आरिफ़ सादर आभार । सहमत हूँ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on April 11, 2017 at 12:49pm
आ0 लक्ष्मण धामी साहब सादर आभार ।
Comment by Mohammed Arif on April 11, 2017 at 12:08pm
आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब, बहुत उम्दा ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए । कुछ वर्तनीगत अशुद्धियाँ है जैसे-सरफरोसी/सरफरोशी,सवंर/संवर,अशिको/आशिक़ों,दाग/दाग़,जिन्दा/ज़िन्दा । देखियेगा ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 11, 2017 at 11:40am

आदरणीय भाई नवीन जी, इस सुंदर गजल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
10 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service