For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Shashi Ranjan Mishra
Share on Facebook MySpace

Shashi Ranjan Mishra's Friends

  • Atendra Kumar Singh "Ravi"
  • Er. Ambarish Srivastava
  • raj jalan
  • Anita Maurya
  • arvind pathak
  • vikas rana janumanu 'fikr'
  • Noorain Ansari
  • Rajesh Kumar Singh
  • rupesh mishra
  • Avanish Tiwari
  • Saurabh Pandey
  • आशीष यादव
  • Meera Trivedi
  • Neelam Upadhyaya
  • sanjiv verma 'salil'
 

Shashi Ranjan Mishra's Page

Latest Activity

Shashi Ranjan Mishra and Pankaj Trivedi are now friends
Sep 5, 2023

Profile Information

Gender
Male
City State
Delhi
Native Place
Bihar

Shashi Ranjan Mishra's Photos

  • Add Photos
  • View All

Shashi Ranjan Mishra's Blog

मेरा कुत्ता मुझपर ही भौंकता है...

मेरा कुत्ता मुझपर ही भौंकता है

मेरे हर आहट पर चौंकता है

कटकटाता है, गुर्गुराता है

जबड़े को भींच, लाल आँखें दिखाता है

उसके सफ़ेद नुकीले दांतों में मैं अपने 

मांस का टुकड़े देखता हूँ

अपनी अंतड़ियों को काट-काट

उसकी ओर फेंकता हूँ

मेरे आस्तित्व को मिटाने के लिए

अपनी सारी उर्जा झोंकता है

मेरा कुत्ता ही अब मेरा मालिक है

मुझ पर भौंकता है

 

लेकिन जब अहम की भूख

सांझ…

Continue

Posted on November 30, 2011 at 9:00am — 5 Comments

मेरी पहचान



 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

अन्वेषण स्वयं का 

जैसे 

अनंत शून्य में भटकना 

क्या सत्य है मेरा ,

या कोई मिथ्या 

अंतरद्वंद या छलावा 

मैं बुद्ध नहीं 

महावीर भी नहीं हूँ 

जो संसार के कष्टों से भाग चलूँ |

नहीं बैठ सकता कंदराओं में…

Continue

Posted on April 21, 2011 at 6:39pm — 10 Comments

कुत्ते हैं आवाम का...

(आज देश की हालत ये है कि हर नुक्कड़ पर के आवारा दोपाये अपने आपको नेता समझ बैठे हैं, देश के शीर्ष भवन  में बैठ ये विभिन्न सुरों में भौंकते हैं |  इस तस्वीर को देश समझें और टूटते झोपडी को देश का संसद...

इस कविता/व्यंग्य का भाव दोपायों के लिए है | चौपायों से क्षमाप्रार्थी हूँ उनकी इस…
Continue

Posted on February 24, 2011 at 8:50am

लंगड़े कुत्ते का भाषण

बड़े-बड़े दरबारों में दुम हिलाया है

मालिकों के मलाईदार जूठे को खाया है

भौंक-भौंक कर किया कपालभाति

कभी लेट कर किया वज्रासन…

Continue

Posted on February 22, 2011 at 8:00am — 9 Comments

Comment Wall (5 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 2:33pm on August 18, 2011, Rash Bihari Ravi said…

janamdin mubarak ho

At 12:04am on August 18, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

At 10:39pm on October 6, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 10:36pm on October 6, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…

At 10:29pm on October 6, 2010, Admin said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
8 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
21 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service