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आदरणीय मित्रों !

नमस्कार|

'चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अंक -१०' में आप सभी का हार्दिक स्वागत है ! 

दोस्तों !

इस चित्र को दिखकर डॉ० अल्लामा मोहम्मद इकबाल की यह पंक्तियाँ याद आ रही हैं "मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम वतन है हिदोस्तां हमारा .......  सारे जहां से अच्छा हिदोस्तां हमारा .......जरा देखिये तो सही .....भाई सलीम का यह स्कूटर जिस पर बैठी समीना की गोद में कृष्ण कन्हैया के रूप में यह बालक, जो संभवतः उनका पुत्र ही होगा .....ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे यह बच्चा अपने स्कूल के किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम में कन्हैया की भूमिका निभाकर अपनी यशोदा माँ की गोद में सीधा अपने घर चला जा रहा है........धन्य हैं इस बालक के माता-पिता जो इस रूप में सांप्रदायिक एकता व सद्भाव का अनुपम संदेश दे रहे हैं .......

 इस प्रतियोगिता हेतु आदरणीय योगराज प्रभाकर जी द्वारा सर्वसहमति से ऐसे चित्र का चयन किया गया है जो कि हम सभी के लिए अत्यंत ही प्रेरणादायक है!

आइये तो उठा लें आज अपनी-अपनी कलम, और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण ! 


और हाँ इस बार से ओ बी ओ प्रबंधन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि यह प्रतियोगिता सिर्फ भारतीय छंदों पर ही आधारित होगी साथ-साथ इस प्रतियोगिता के तीनों विजेताओं हेतु नकद पुरस्कार व प्रमाण पत्र की भी व्यवस्था की गयी है ....जिसका विवरण निम्नलिखित है :-


"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता हेतु कुल तीन पुरस्कार 
प्रथम पुरस्कार रूपये १००१
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali
A leading software development Company 

 
द्वितीय पुरस्कार रुपये ५०१
प्रायोजक :-Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali
A leading software development Company

तृतीय पुरस्कार रुपये २५१
प्रायोजक :-Rahul Computers, Patiala

A leading publishing House

नोट :-

(1) १७ तारीख तक रिप्लाई बॉक्स बंद रहेगा, १८  से २० तारीख तक के लिए Reply Box रचना और टिप्पणी पोस्ट करने हेतु खुला रहेगा |

(2) जो साहित्यकार अपनी रचना को प्रतियोगिता से अलग  रहते हुए पोस्ट करना चाहे उनका भी स्वागत हैअपनी रचना को"प्रतियोगिता से अलग" टिप्पणी के साथ पोस्ट करने की कृपा करे 

(3) नियमानुसार "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक- के प्रथम व द्वितीय स्थान के विजेता इस अंक के निर्णायक होंगे और नियमानुसार उनकी रचनायें स्वतः प्रतियोगिता से बाहर रहेगी |  प्रथम, द्वितीय के साथ-साथ तृतीय विजेता का भी चयन किया जायेगा | 

सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो, रचना पद्य की किसी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है | हमेशा की तरह यहाँ भी ओ बी ओ  के आधार नियम लागू रहेंगे तथा केवल अप्रकाशित एवं मौलिक कृतियां ही स्वीकार किये जायेगें |

 

विशेष :-यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें


अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता  अंक-१०, दिनांक १८  जनवरी से २० जनवरी की मध्य रात्रि १२ बजे तक तीन दिनों तक चलेगी, जिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य   अधिकतम तीन पोस्ट ही दी जा सकेंगी साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि  नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा विलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |

  • मंच संचालक: अम्बरीष श्रीवास्तव

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Replies to This Discussion

आपका बहुत बहुत धन्यवाद सर |

बहुत सुन्दर ब्रज भूषण चौबे  जी|

बढ़िया रचना, ब्रिजभूषण जी. 

भाई बृज भूषण, बहुत अच्छा लगा आपको फिर से इस मंच पर देख कर, और इस बार तो एक सुन्दर रचना के साथ....आनंद आ गया पढ़ कर. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये

आदरणीय बृजमोहन जी... वाह! वाह! आनंद आ गया आपके सवैया छंद को पढ़कर.... वाह!

सादर बधाई स्वीकारें..

               कुंडलिया छंद 

सब जन होते एक से , ना है कोई भेद |
ये उपदेश कुरान का , यही सिखाते वेद ||
यही सिखाते वेद , सीख लेना तुम इसको |
पा लोगे भगवान , पूजना चाहे जिसको ||
भेदभाव सब छोड़ , साफ रखना अपना मन ।
कहे विर्क कविराय , रूप ईश्वर का सब जन ||

भारत ऐसा देश है , जिसमें रंग अनेक ।
गाएं तराना प्यार का , है ऐका की टेक ।।
है ऐका की टेक , एक माला के मोती ।
हिन्दू-मुस्लिम साथ , बांटकर खाते रोटी ।।
दे सबको सम्मान , नाद गूंजे है भगवत ।
कहे विर्क कविराय , देश ऐसा है भारत ।।

भाई - भाई हैं सभी , हैं जो भी इंसान |
जाति-धर्म में बांटते , हमें सियासतदान ||
हमें सियासतदान , करें हैं उल्लू सीधा |
भुगत रहा है देश , बहुत ही बुरा नतीजा ||
सबको वेद कुरान , एक ही बात सिखाई |
मानस की इक जात , सभी हैं भाई - भाई ||

                -------- दिलबाग विर्क 
सब जन होते एक से , ना है कोई भेद |
ये उपदेश कुरान का , यही सिखाते वेद |

जाति-धर्म में बांटते , हमें सियासतदान ||

है ऐका की टेक , एक माला के मोती ।...teeno kundaliya lajwab hai..Dilbag bhai.

सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं आपने .......बधाई .....

भाई दिलबाग़जी, आपकी कुण्डलिया उम्दा बन पड़ी हैं. इस हेतु हार्दिक बधाई.

’चित्र से काव्य तक’ में चित्र को संतुष्ट करती रचना होनी चाहिये ऐसा आशय होता है.  इस लिहाज से आपकी कुण्डलियाँ की कुछ पंक्तियाँ चित्र की परिधि को अवश्य स्पर्श करती होनी चाहिये. 

वैसे, मैं आपके रचना-प्रयास का हार्दिक अनुमोदन करता हूँ. यह एक शुभ संकेत है रचना-कर्म के गहन होने का. पुनश्च बधाई.

 

तीनो कुंडलियाँ बहुत ही सुन्दर बनी हैं आदरणीय दिलबाग जी, हार्दिक बधाई स्वीकार करें. 

आदरणीय विर्क जी, एक से बढ़ कर एक कुण्डलिया दिए हैं आपने....बहुत उम्दा! हार्दिक बधाई प्रेषित करता हूँ और आपकी लेखनी को सलाम करता हूँ.

सर्व धर्म समभाव पर सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा है आदरणीय दिलबाग भाई...

सादर बधाई स्वीकारें...

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