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dilbag virk's Discussions (601)

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"ओ बी ओ प्रबंधन का इस सम्मान के लिए बहुत-बहुत आभार"

dilbag virk replied Aug 28, 2012 to 'चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अंक -१७' का निर्णय

39 Sep 8, 2012
Reply by aashukavi neeraj awasthi

"वाह ............... कवि सचमुच मुठ्ठी में अंगार ही रखता है"

dilbag virk replied Aug 20, 2012 to 'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१७

1027 Aug 21, 2012
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"बिना मात्रा पूरा छंद लाजवाब................... "

dilbag virk replied Aug 20, 2012 to 'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१७

1027 Aug 21, 2012
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"सुंदर वैसे प्रथम चार छंद पकैया चित्र का बखान नहीं कर रहे "

dilbag virk replied Aug 20, 2012 to 'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१७

1027 Aug 21, 2012
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"हौंसला अफजाई और सुझावों के लिए सभी सुधीजनों का आभार"

dilbag virk replied Aug 20, 2012 to 'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१७

1027 Aug 21, 2012
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"सुंदर संदेशपरक कंडलिया"

dilbag virk replied Aug 20, 2012 to 'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१७

1027 Aug 21, 2012
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"करें नियंत्रित चित्त को, आये ऐसी दृष्टि||---आमीन"

dilbag virk replied Aug 20, 2012 to 'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१७

1027 Aug 21, 2012
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"छन्न पकैया,छन्न पकैया,मत पीयो तुम हाला |बंद मुट्ठी में सुलगे आग , उगले धुंआ काला ||-…"

dilbag virk replied Aug 20, 2012 to 'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१७

1027 Aug 21, 2012
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"कुंडलिया खतरे से डरना नहीं, लो मुठ्ठी में आग अब लाना बदलाव है, उठे क्रांति का राग ।…"

dilbag virk replied Aug 20, 2012 to 'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१७

1027 Aug 21, 2012
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"कुंडलिया भारी पडता प्यार पर, नफरत का व्यापार जहर भरा है सोच में, मुठ्ठी में अंगार ।…"

dilbag virk replied Aug 20, 2012 to 'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१७

1027 Aug 21, 2012
Reply by Er. Ambarish Srivastava

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