For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य-प्रेमियो,

सादर अभिवादन.

 

ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 43 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ

21 नवम्बर 2014 से 22 नवम्बर 2014,  दिन शुक्रवार  से दिन शनिवार

 

इस बार के आयोजन के लिए जिस छन्द का चयन किया गया है, वह है –  हरिगीतिका छन्द

 

एक बार में  अधिक-से-अधिक तीन हरिगीतिका छन्द प्रस्तुत किये जा सकते है.

 

ऐसा न होने की दशा में प्रतिभागियों की प्रविष्टियाँ ओबीओ प्रबंधन द्वारा हटा दी जायेंगीं.

 

 

हरिगीतिका छन्द के आधारभूत नियमों को जानने हेतु यहीं क्लिक करें.

 

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 21 नवम्बर 2014 से 22 नवम्बर 2014 यानि दो दिनों के लिए रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

[प्रयुक्त चित्र अंतरजाल (Internet) के सौजन्य से प्राप्त हुआ है] 

अति आवश्यक सूचना :

  • आयोजन की अवधि के दौरान सदस्यगण अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक के हिसाब से पोस्ट कर सकेंगे. ध्यान रहे प्रति दिन एक प्रविष्टि, न कि एक ही दिन में दो प्रविष्टियाँ.
  • रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  • सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध करें.  आयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  • आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  • इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  • रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  • रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

 

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 7342

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय सत्यनारायण शर्मा जी 

बहुत खूबसूरत भाव, तदनुरूप बहुत ही सुन्दर शब्द चयन... इन खूबसूरत हरिगीतिका छंदों के लिए हार्दिक बधाई 

आ. डॉ प्राची जी सादर 

       अनुमोदन हेतु आपका आभारी हूँ आदरणीया 

हरिगीतिका :

 

फुटपाथ पर जन्मे पले , फुटपाथ से ममता मिली

आँखें खुलीं सूरज दिखा हर रात को निंदिया मिली

जाने लड़कपन गुम हुये कितने यहाँ, कुछ जी गये

कुछ पीर से घबरा गये,फिर पय समझकर पी गये

 

इनको समझने के लिये, फुरसत भला किसको यहाँ

इनका  तपोवन  भी  यहीं  , इनके  यहीं पर दो जहाँ

धरती  यहीं   है  आसमाँ ,  इनकी  यहीं   जागीर  है

इनके  लिये  मनमीत  है , सबके  लिये  जो  पीर है

 

कैसा  पिता  होता  जगत  में , सर्वथा अंजान है

यह है बड़ा   मासूम  वय से भी बहुत  नादान है

मन को कभी बहला रहा यह चित्र माँ का खींच के

कर  कल्पना  सोने चला है नयन दोनों  मींच के

 

[मौलिक व अप्रकाशित]

कैसा  पिता  होता  जगत  में , सर्वथा अंजान है

यह है बड़ा   मासूम  वय से भी बहुत  नादान है

मन को कभी बहला रहा यह चित्र माँ का खींच के

कर  कल्पना  सोने चला है नयन दोनों  मींच के

मार्मिक भाव आदरणीय अरुण सर 

कैसा  पिता  होता  जगत  में , सर्वथा अंजान है

यह है बड़ा   मासूम  वय से भी बहुत  नादान है

मन को कभी बहला रहा यह चित्र माँ का खींच के

कर  कल्पना  सोने चला है नयन दोनों  मींच के------हृदय स्पर्शी पंक्तियाँ 

बहुत बहुत सुन्दर छंद रचा है प्रदत्त चित्र के अनुरूप ...हार्दिक बधाई आपको आ० अरुण निगम जी .

 

मन को कभी बहला रहा यह चित्र माँ का खींच के

कर  कल्पना  सोने चला है नयन दोनों  मींच के ----- बहुत सुन्दर लाइनें लगीं , आदरणीय अरुण भाई , बढ़िया छ्न्द रचना के लिये दिली बधाइयाँ ।

रचना गूढ चिंतन की उत्कृष्ट अभिव्यक्ति प्रस्तुत कर रही है। 

आदरणीय निगम जी, आपको इस मर्मस्पर्शी रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई 

सादर धन्यवाद  

अरुण जी

मोहिनी हरिगीतिका i

मन को कभी बहला रहा यह चित्र माँ का खींच के

कर  कल्पना  सोने चला है नयन दोनों  मींच के-------- बेहतरीन i

भाई अरुण ने चित्र के संदर्भ में है जो कहा
सबकुछ सधा संप्रेष्य है मन को द्रवित करता हुआ  
इस चित्र से निर्गत तभी हर भाव से अभिभूत हैं
भाई अरुण.. माँ शारदे.. अत्यंत प्यारे पूत हैं

इस सार्थक छन्द रचना के लिए हृदय से धन्यवाद आदरणीय और हार्दिक शुभकामनाएँ

सौरभ  करे जब स्पर्श  तो  सुरभित पवन होने लगे

कंटक  चुभन को  भूल कर , मानों सुमन होने लगे

अभिभूत हूँ इस स्नेह से पुलकित ह्रदय मन गात है

हेमंत  में   उष्मा   लिये    होने   लगी   बरसात है  ||

सादर...........

आदरणीय भाई साहब ! बधाइयां --

फुटपाथ का बालक नहीं, फुटपाथ पर लेकिन पड़ा । 

ना मातु की ममता मिली, होता रहा लेकिन बड़ा । 

रेखा खिंची टेढ़ी मगर अभ्यास वह करता कड़ा ॥ 

कर कर्म पढ़ने का गढ़े वह भाग्य जो आगे खड़ा । 

गमगीन होकर क्या करे हिम्मत बढ़ाना चाहिए । 

हरिगीतिका में भाव बढ़िया यूँ ही आना चाहिए । 

अरुणिम छटा आभा विभा हर ओर छाना चाहिए । 

आये निगम भाये निगम छाये निगम, क्या चाहिए ॥ 

हुदहुद सरीखे आ गये, मन -गुदगुदी करने लगे

निर्झर बने मृदु-भाव का, चारों दिशा झरने लगे

लंबे समय की बाद देखा, मन मुदित होने लगा

हरिगीतिका मधु छन्द पढ़ आनंद में खोने लगा ||

सादर .........

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service