For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

ओपन बुक्स ऑनलाइन के सभी सदस्यों को प्रणाम, बहुत दिनों से मेरे मन मे एक विचार आ रहा था कि एक ऐसा फोरम भी होना चाहिये जिसमे हम लोग अपने सदस्यों की ख़ुशी और गम को नजदीक से महसूस कर सके, इसी बात को ध्यान मे रखकर यह फोरम प्रारंभ किया जा रहा है, जिसमे सदस्य गण एक दूसरे के सुख और दुःख की बातो को यहाँ लिख सकते है और एक दूसरे के सुख दुःख मे शामिल हो सकते है |

धन्यवाद सहित
आप सब का अपना
ADMIN
OBO

Views: 71690

Reply to This

Replies to This Discussion

अपने उद्देश्य की दिशा में समर्पण व कर्मठता से निरंतर आगे बढ़ रही साहित्यिक वेबसाइट ई-पत्रिका "ओपन बुक्स ऑनलाइन" // www.openbooksonline.com // के स्थापना दिवस पर तहे दिल से बहुत बहुत मुबारकबाद सभी पदाधिकारियों, कार्यकारिणी सदस्यगण, सहभागी रचनाकारों व पाठकगण को! सीखने-सिखाने के क्रम में ओबीओ की मर्यादा व संस्कार और आदर्शों को बरकरार रखते हुए आशा है नववर्ष में कुछ नवीन सार्थक प्रयोग किए जाएंगे नव रचनाकारों के हितार्थ भी।

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के स्थापना दिवस की सभी सम्मानीय सदस्यों को हार्दिक बधाई  

‘ओपन बुक्स ऑनलाइन’, संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक, प्रधान सम्पादक , टीम प्रबंधन , कार्यकारिणी सदस्य एवं समस्त आत्मीय सदस्यों को. मंच के सप्तम स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई. ओ बी ओ ने जिसतरह लगातार मंच सदस्यों के लिए छंद काव्य, गजल, नवगीत और लघुकथा जैस लेखन विधा की साहित्यिक जानकारियाँ उपलब्ध करायी हैं तथा प्रयास और सुधार के अवसर उपलब्ध कराये हैं उसकी जितनी  भी प्रशंसा की जाए कम है. पुनः सभी को इस शुभ अवसर की हार्दिक बधाई.

 

छह वर्षों से दे रहा, सबको ख़ुशी अपार |

छंद गीत हर काव्य का, ‘ओ बी ओ’ भण्डार ||

‘ओ बी ओ’ भण्डार, नहीं यह है इक सागर,

नित्य बुझाता प्यास, ज्ञान की भरता गागर,

कहता यही ‘अशोक’ , भाव के  उत्कर्षों से,

रहे सैकड़ों साल, रहा ज्यों छह वर्षों से ||

बहुत ख़ूब वाह,

Obo ज़िंदाबाद ।

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार को स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के स्थापना दिवस की सभी सम्मानीय सदस्यों को अनेकानेक बधाईयां एवम् शुभ कामनाएं! प्रभु से प्रार्थना है की इसकी सफलता का परचम चहुँ दिशा में अपना नाम रोशन करें। ओ बी ओ के पूरे प्रबंधन मंडल, वरिष्ठ गुणीजनों एवं सदस्यों को इस सफल यात्रा की हार्दिक बधाई। ये कारवाँ यूँ ही बढ़ता रहे और  चलता रहे।  हार्दिक बधाई। 

उन्नत साहित्यिक यात्रा के छह वर्ष पूर्ण होने पर ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सभी एडमिन्स एवं सदस्यों को हार्दिक बधाई और शुभकामनायें| यह यात्रा ऐसे ही चलती रहे और साहित्य के नित नये शिखर छुए, यही ईश्वर से प्रार्थना है|

बीत गये कुल वर्ष छः,  ओबीओ  के  यार
समय-नदी बहती रही, सदा प्रवहमन धार
सदा प्रवहमन धार, सतत अभिनव ओबीओ
हर  रचना का  मान, विधा चाहे जो  भी  हो
चर्चा है अब आम - ग़ज़ब का साहित्यिक-पुल
धन्य-धन्य परिवार,  वर्ष छः  बीत गये कुल

साहित्य के परिपाटी पर " ओबीओ " का जन्म एक ऐतिहासिक पल है । " ओबीओ " मंच पर यह गौरव का पल आज स्थापना -दिवस के रूप में मन में सामारोह - सा भाव जगा रहा है ।

इस सार्थक सफर के कर्णधारों जिन्होंने अपनी लगन और समर्पण से इस मुकाम पर आकर सार्थकता का परचम फहराये है उन सभी ‘ओपन बुक्स ऑनलाइन’मंच के संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक जी , प्रधान सम्पादक जी , टीम प्रबंधन के साथ समस्त कार्यकारिणी सदस्य सहित सभी रचनाकार मित्रजनों को हृदय से बधाई प्रेषित है ।

हैप्पी बर्थ डे टू यू डियर ओबीओ !

तुम जियो हजारों साल ,साल के दिन हो " पचास " ! .....हजार के हजारों साल ।
हैप्पी बर्थ डे टू यू !
__/\__/\__/\__
साहित्यिक यात्रा के छह वर्ष पूर्ण होने पर ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सभी एडमिन्स एवं सदस्यों को हार्दिक बधाई और शुभकामनायें|
ओबीओ के 6 वर्ष पूरे होने पर कलाम-ए-तहनियत :-

ख़ुदा बढ़ाऐ तेरी आन-बान ओबीओ
दुआ है ऊँची रहे तेरी शान ओबीओ

हर इक विधा के यहाँ जानकार हैं मौजूद
बहुत बड़ा है तेरा ख़ानदान ओबीओ

यहाँ पे कोई बड़ा है,न कोई है छोटा
तेरी नज़र में हैं सब इक समान ओबीओ

तेरे बग़ैर तो जीना मुहाल है मेरा
कि तुझ में बसती है अब मेरी जान ओबीओ

ख़ुदा के फ़ज़्ल से छः साल हो गए पूरे
दुआ है महके यूँही गुलसितान ओबीओ

"समर कबीर"

वाह वाह वाह 

शानदार 

जय ओबीओ 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
7 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
15 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
15 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service