For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-113

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 113वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब  फरहत एहसास साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

"मुझे अब चारों जानिब से पुकारा जा रहा है"

1222     1222      1222    122

मुफाईलुन   मुफाईलुन    मुफाईलुन  फ़ऊलुन

(बह्र: हजज़ मुसम्मन महजूफ )

रदीफ़ :- जा रहा है।
काफिया :- आरा( पुकारा, नज़ारा, हारा, किनारा, इशारा आदि)

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 22 नवंबर दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 23 नवंबर दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

 

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 22 नवंबर दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 6360

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

मुहब्बत में नफ़ा है या ख़सारा जा रहा है
कभी सोचा न हमने क्या हमारा जा रहा है

ये क्या कम है कि उस पर नाम लिक्खा है तुम्हारा
मेरे सीने में जो ख़ंजर उतारा जा रहा है

तुम्हारी याद के लम्हों में ख़ुद को बन्द कर के
उन्हीं के साथ हर लम्हा गुज़ारा जा रहा है

लिया अपनी ज़ुबाँ से नाम तक जिसने न मेरा
उसे अब नाम से मेरे पुकारा जा रहा है

खुले हाथों से पूरी ज़िन्दगी को ख़र्च कर के
बही खातों को अपने अब सुधारा जा रहा है

बना कर फिर किसी की याद में इक ताज देखो
किसी की चाह को दौलत से मारा जा रहा है

नहीं ये जंग है कोई कि इसको जीत लूँ मैं
मुहब्बत में वो जीतेगा जो हारा जा रहा है

कोई बतला दे ये मुझको कि मैं किस ओर जाऊँ
"मुझे अब चारों जानिब से पुकारा जा रहा है"

अभी भी वक़्त है हिन्दोस्ताँ वालो बचा लो
तुम्हारे हाथ से सबकुछ तुम्हारा जा रहा है

(मौलिक व अप्रकाशित)

आद0 महेन्द जी उम्दा ग़ज़ल कही आपने, मुशायरे का प्रारम्भ  एक बेहतरीन ग़ज़ल से करने पर आपको बहुत बहुत बधाई। 

बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेन्द्र जी. हृदय से आभारी हूँ. सादर.

बहुत बढ़िया ग़ज़ल आदरणीय महेंद्र कुमार जी। मुशायरे का आग़ाज़ करने के लिए भी बहुत-बहुत बधाई।

आभारी हूँ आदरणीय अजय जी. बहुत-बहुत धन्यवाद. सादर.

आ. भाई महेंद्र जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई स्वीकारें ।

हृदय से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. बहुत-बहुत शुक्रिया. सादर.

जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,धमाके दार वापसी हुई आपकी ओबीओ के मुशायरे में,बहुत उम्द: ग़ज़ल से मुशायरे का आग़ाज़ किया आपने,मज़ा आ गया,हर शैर अपनी मिसाल आप है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

'तुम्हारी याद के लम्हों में ख़ुद को बन्द कर के'

इस शैर के दोनों मिसरों में 'लम्हों' और 'लम्हा' शब्द खटक रहे हैं,इस मिसरे को उचित लगे तो यूँ कर लें:-

'तुम्हारी याद के ज़िंदाँ में ख़ुद को क़ैद कर के'

'बना कर फिर किसी की याद में इक ताज देखो'

इस मिसरे में 'ताज' से मतलब आपने 'ताज महल' लिया है,लेकिन सवाल ये पैदा होता है कि क्या 'ताज' शब्द 'ताज महल' का (short form) है,जवाब है,नहीं,क्योंकि 'ताज' अपने आप में एक शब्द है और इसका अर्थ है शाही टोपी,इस बिंदु पर थोड़ा विचार करें ।

'मुहब्बत में नफ़ा है या ख़सारा जा रहा है'

एक बात बताना भूल गया था कि इस मिसरे में 'नफ़ा' शब्द ग़लत है,सहीह शब्द है "नफ़'अ" और इसका वज़्न 21 होता है ।

सादर आदाब आदरणीय समर कबीर सर. लगभग 9 महीने बाद मैंने कोई ग़ज़ल लिखी है इसलिए इसे पोस्ट करने से पहले मैं बेहद डर रहा था पर आपकी इस उत्साहवर्धक टिप्पणी से बेहद ख़ुशी हुई कि प्रयास निष्फल नहीं गया. आपकी इस्लाह के सन्दर्भ में मेरी दो जिज्ञासाएँ हैं :

1. क्या हम छंद-भंग से बचने के लिए "नफ़'अ" को "नफ़ा" की तरह प्रयोग कर सकते हैं? 

2. क्या ताज को इनवर्टेड कॉमा या सिंगल कोटेशन मार्क ('ताज') में रखकर काम चलाया जा सकता है?

यदि नहीं तो फिर मैं इन दोनों मिसरों को किसी दूसरी तरह से कहने का प्रयास करता हूँ. सादर.

//1. क्या हम छंद-भंग से बचने के लिए "नफ़'अ" को "नफ़ा" की तरह प्रयोग कर सकते हैं? 

2. क्या ताज को इनवर्टेड कॉमा या सिंगल कोटेशन मार्क ('ताज') में रखकर काम चलाया जा सकता है?//

आपके पहले प्रश्न का उत्तर है ,नहीं ।

दूसरे प्रश्न के बारे में इतना कहूँगा कि कुछ लोगों ने 'ताज महल' को "ताज" कहकर अशआर कहे ज़रूर हैं,लेकिन मेरी नज़र में ये उचित नहीं है,कारण अपनी पहली टिप्पणी में लिख चुका हूँ ।

बहुत-बहुत शुक्रिया सर. मैं आयोजन के बाद दोनों मिसरे बदलता हूँ. सादर.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
8 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service