Tags:
Replies are closed for this discussion.
आदरणीय रवि जी, जीवन के दोनों पक्षों को रेखांकित करती बहुत सुन्दर प्रतीकात्मक लघुकथा हुई है. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर
एक अलग ही रंग लिये आपकी रचना सर जी.बधाई आपको
फिफ्टी शेड्स आॅफ ब्लैक ---- वाह ! शीर्षक ही बहुत मुखर है यहाँ । बुराई को अपने आस्तित्व की रक्षा करने के लिये नित नये तरीके से स्वंय को प्रतिपादित करने की जरूरत पडती है । सच्चाई भले कमजोर पड़ जाये लेकिन उसकी गति निर्बाध एक गति में सदा रहती है । ना कभी तेज ना ही कभी मंद । आपकी रचना का संदेश मन को आंदोलित करती है । " सच " वाकई में मृदुल ,कोमल होता है इसलिए बहला लिया जाता है क्षण भर को लेकिन उसका यह बहलाना भी क्षणभंगुर ही होता है । बहुत बहुत बधाई आपको इस सफलतम लघुकथा के लिए आदरणीय रवि जी ।
जनाब रवि प्रभाकर साहिब , रंग पर आधारित अच्छी लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
वाह , रवि जी। अनोखे शीर्षक और प्रतीकात्मक कथ्य बुना आपने। लघुकथा की थीम वह शाश्वत संघर्ष है , जो कभी ख़त्म नहीं होता।
हार्दिक बधाई आदरणीय रवि प्रभाकर जी!प्रतीकत्मक शैली की विशिष्ट प्रस्तुति!बेहद संतुलित और प्रभाव पूर्ण भाषा से ओतप्रोत सुंदर लघुकथा!
नेकी और बदी को प्रतीक बनाकर बाकमाल लघुकथा कही है अनुज रविI अच्छाई और बुराई दो ऐसी ऊर्जाएँ हैं जिनका अस्तित्व एक दुसरे पर निर्भर है, इसी बात को आपकी यह लघुकथा उजागर कर रही हैI कथानक में नयापन है, शैली व कथ्य अतुलनीय है, अत: लघुकथा एक अलग ही ऊंचाई प्राप्त कर गई हैI नवोदित लघुकथाकार इस रचना से बहुत कुछ सीख सकते हैंI अलबत्ता, इसका आंग्ल शीषक थोडा चुभ सा रहा हैI बहरहाल, इस अप्रतिम प्रस्तुति हेतु मेरी हार्दिक बधाई एवं प्रशास्तिवाद स्वीकार करेंI
भले ही अच्छाई की पकड़ ढीली हुई हो पर पकड़ तो बनी ही रहेगी बुराई की गर्दन पर, भले ही एक क्षणिक चमक आये दम्भी बुराई की आँखों में . २०१५ में ही रिलीज़ हुई मशहूर अंग्रेजी फिल्म के नाम का आपने बाखूबी इस्तेमाल किया शीर्षक में . सही यदि बुराई के पचास चेहरें होंगे तो वही अच्छाई के हज़ार. " जब तक मैं हूँ रहूँगा तभी तक इस दुनिया को तुम्हारी आवश्यकता रहेगी।" ये कह अन्धकार स्वयं को गलत मान ही रहा है. " तुमने मुझे मार डाला तो तुम भी मेरी ही श्रेणी में ही गिने जाओगेI" ये कह अन्धकार हारी हुई बाजी पलटने हेतु आखिरी चाल चल रहा है. अच्छाई-बुराई की अच्छी-रोचक वार्तालाप प्रस्तुत किया आपने.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
    © 2025               Created by Admin.             
    Powered by
    
    
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |