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आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह आयोजन लगातार क्रम में इस बार 90 वां आयोजन है.   

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

27 अक्टूबर 2018 दिन शनिवार से 28 अक्टूबर 2018 दिन रविवार तक
 
इस बार के छंद हैं - 

हरिगीतिका छंद और शक्ति छंद  

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.  छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है,  चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

साथ ही, रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो छन्द बदल दें.   

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

हरिगीतिका छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

शक्ति छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

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आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो  27 अक्टूबर 2018 दिन शनिवार से 28  अक्टूबर 2018 दिन रविवार तक यानी दो दिनों के लिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

आदरणीया प्रतिभाजी

हृदय से धन्यवाद आभार बहुत विस्तार से और उत्साहवर्धक आपकी प्रतिक्रिया और रचना की प्रशंसा के लिए।

आ. भाई अखिलेश जी, चित्रानुसार सुंदर छंद हुए है । हार्दिक बधाई ।

आदरणीय लक्ष्मण भाई

हृदय से धन्यवाद आभार आपकी प्रतिक्रिया और रचना की प्रशंसा के लिए।

प्रिय भैया अति सुन्दर भावपूर्ण रचना. बधाई स्वीकार करें

आदरणीय विवेकराज  भाई

हृदय से धन्यवाद आभार आपकी प्रतिक्रिया और रचना की प्रशंसा के लिए।

जनाब अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी आदाब,प्रदत्त चित्र को सार्थक करते अच्छे छन्द हुए हैं,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

आदरणीय  समर कबीर  भाईजी

हृदय से धन्यवाद आभार आपकी प्रतिक्रिया और रचना की प्रशंसा के लिए।

प्रदत्त चित्र में अभिव्यक्त और अव्यक्त को बढ़िया आयाम देते हुए बेहतरीन हरिगीतिका छंदाधारित आग़ाज़ हेतु हार्दिक बधाई और आभार आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहिब। आप सभी सुधीजन की रचनायें पढ़कर, छंद समझकर हम हिंदी काव्य समझने और सीखने की कोशिश इस सम्मानित मंच पर करते हैं।

आदरणीय शेख  शहजाद भाई

सच है सीखने सिखाने का यह सबसे बडा मंच है । हृदय से धन्यवाद आभार बहुत विस्तार से और उत्साहवर्धक आपकी प्रतिक्रिया और रचना की प्रशंसा के लिए।

गीत [  हरिगीतिका छंद ]

 

सुन ओ  बता  भगवान  कैसे 

हाल हैं  तेरे वहाँ 

 

 

कल रात नेता जी हमारी 

झुग्गियों  में कह गये 

हर हाथ होंगे फोन अब दिन 

हैं तरक्क़ी के नये 

रेलें हवा से तेज़ होंगी 

पटरियों पर देखना 

सब दर्द होंगे दूर पर चुन 

कर हमें ही भेजना 

 

 

बैठा हुआ मैं पटरियों पर 

बुन  रहा  सपने  यहाँ 

 

 

ना भोर बीतेगी  किसी की

झेंप डर  के साथ में 

वो कह गए विश्वास  रख दो 

बस हमारे हाथ में 

तू हँस  रहा सब  देखकर  ये 

बात  मुझको है पता 

झूठे सही पर ख़्वाब मीठे 

क्यों न देखूँ   तू बता 

 

 

बच्चा अभी हूँ पर पता है 

ख़्वाब सच होते कहाँ

 

 

मौलिक व् अप्रकाशित 

  

 

 

अन्यतम ! 

आदरणीया प्रतिभा जी, चित्र को जो आयाम आपने दिया है, वह आपकी सकारात्मक सोच और सक्षम रचनात्मकता का सुंदर उदाहरण है। 

कसी हुई बुनावटों में शब्दों का सुगढ़ प्रयोग प्रदत्त चित्र को बेहतर शाब्दिक कर रहा है। 

आपकी प्रस्तुति ने आयोजन के प्रारंभ में ही एक मानक तय कर दिया है। देखें, कितने रचनाकार इस कसौटी को स्वीकारते हैं। अभी तो कइयों ने चित्र ही देखा होगा। 

सादर

आपको रचना प्रभावित कर पाई , लेखन सफल हुआ  हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ पांडेय जी  दीपोत्सव की अग्रिम शुभकामनाएँ  स्वीकार कीजिये  

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