For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ६१

2122 1122 1122 112/22

--------------------------------

जिसको भी चाहा मुहब्बत में हमारा न हुआ
दिल हमारा किसी सूरत भी गवारा न हुआ //1

मेरे क़िरदार में पाने की लियाक़त नहीं थी 
मुझपे जो फैज इनायत का दुबारा न हुआ //2

आज फिर बाम पे छाई थी अमावस काली 
आज फिर बिन्ते अशीयत का नज़ारा न हुआ //3

है जईफी तो सताती है हमें तन्हाई 
जब जवाँ थे तो मुहब्बत का इशारा न हुआ //4

मौजें उठतीं है मगर रोक लेता है साहिल 
दोस्त दरिया का कभी उसका किनारा न हुआ //5 

 

जाने क्या दिल में कमी थी कि भटकते ही रहे 

जिस ठिये पर भी गए वाँ पे गुज़ारा न हुआ //6

 

नस्ले फ़रदा ये बतायेगी बड़ी हैरत से

राज़ के जैसा कोई दर्द का मारा न हुआ //7

~राज़ नवादवी 

"मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 622

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on October 17, 2018 at 11:28am

आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. इस्लाह का बहुत बहुत शुक्रिया. अमल में लाता हूँ. बिन्ते अशीयत- रात की बेटी, मैंने चाँद से अर्थ लिया है. सादर 

Comment by Samar kabeer on October 15, 2018 at 11:17pm

जनाब राज़ नवादवी साहिब आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।


'जिसको भी चाहा मुहब्बत में हमारा न हुआ
दिल मेरा क्यों किसी सूरत भी गवारा न हुआ'

मतले में शुतरगुर्बा दोष है,सानी मिसरा यों करें तो ये ऐब निकल जायेगा:-

"दिल हमारा क्यों किसी तौर गवारा न हुआ'

'आज फिर बिन्ते अशीयतका नज़ारा न हुआ '

इस मिसरे में "बिन्ते अशीयत" का क्या अर्थ है?

'अब बुढ़ापे में सताती है मुझे तन्हाई
जब जवाँ थे तो मुहब्बत का इशारा न हुआ'

इस शैर के ऊला मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर है और शैर में शुतरगुर्बा दोष है,देखिये ।

मुझको मालूम है क्यों झोली मेरी है ख़ाली
मेरी किस्मत में कोई टूटता तारा न हुआ--इस शैर में क्या कहना चाहते हैं?

जाने क्या दिल में कमी थी कि भटकते ही रहे
जिस भी ठीये पे रहे वाँ पे गुज़ारा न हुआ--इस शैर का सानी यों कर लें:-

'जिस ठिये पर भी गये वाँ पे गुज़ारा न हुआ'

नस्ले फ़रदा ये बतायेंगी बड़ी हैरत से
राज़ के जैसा कोई दर्द का मारा न हुआ--इस शैर के ऊला में 'बताएंगी' को "बतायेगी" कर लें ।

~राज़ नवादवी

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 33

You Might Be Interested In ...

Comment

Comment by राज़ नवादवी 7 hours ago

आदरणीय लक्ष्मण धामी साहब, आदाब। ग़ज़ल में शिरकत और सुख़न नवाज़ी का ह्रदय से आभार। 

Comment by राज़ नवादवी 7 hours ago

आदरणीय मुहम्मद आरिफ़ साहब, आदाब। ग़ज़ल में शिरकत और सुख़न नवाज़ी का ह्रदय से आभार। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'10 hours ago

आ. भाई राजनवादवी जी, सुंदर गजल हुयी है ।  हार्दिक बधाई ।

Comment by Mohammed Arif 10 hours ago

आदरणीय राज़ नवादवी जी आदाब,

                             बहुत ही लाजवाब ग़ज़ल लेकिन बहुत दिनों के बाद पढ़ने को मिल रही है । शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद । बाक़ी गुणीजन आपनी राय देंगे ।

Comment by राज़ नवादवी 14 hours ago

आदरणीय ब्रजेश जी, सुखन नवाज़ी का तहेदिल से शुक्रिया. सादर. 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज'yesterday

बहुतखूब आदरणीय राज साहब बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

LATEST ACTIVITY

Samar kabeer commented onV.M.''vrishty'''s blog post मौत की उम्मीद पर (ग़ज़ल)
"चेहरा पैमाना बना है खूबियों का आज-कल' ये मिसरा तो ठीक है,राज़ साहिब,"पैमाना" का अर्थ…"
26 minutes ago
Samar kabeer commented onराज़ नवादवी's blog post राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ६२
"//हिन्दुओं में मृत्यु के पश्चात लाश को नहाने की परंपरा है, मेरा अभिप्रेय इसी से है// मरने के पश्चात…"
33 minutes ago

Comment by राज़ नवादवी on October 15, 2018 at 3:22pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी साहब, आदाब। ग़ज़ल में शिरकत और सुख़न नवाज़ी का ह्रदय से आभार। 

Comment by राज़ नवादवी on October 15, 2018 at 3:20pm

आदरणीय मुहम्मद आरिफ़ साहब, आदाब। ग़ज़ल में शिरकत और सुख़न नवाज़ी का ह्रदय से आभार। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 15, 2018 at 12:08pm

आ. भाई राजनवादवी जी, सुंदर गजल हुयी है ।  हार्दिक बधाई ।

Comment by Mohammed Arif on October 15, 2018 at 11:51am

आदरणीय राज़ नवादवी जी आदाब,

                             बहुत ही लाजवाब ग़ज़ल लेकिन बहुत दिनों के बाद पढ़ने को मिल रही है । शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद । बाक़ी गुणीजन आपनी राय देंगे ।

Comment by राज़ नवादवी on October 15, 2018 at 8:33am

आदरणीय ब्रजेश जी, सुखन नवाज़ी का तहेदिल से शुक्रिया. सादर. 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 14, 2018 at 7:21pm

बहुतखूब आदरणीय राज साहब बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service