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तरही ग़ज़ल : साफ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं

2122  1122  1122  22/112

कोई पूछे तो मेरा हाल बताते भी नहीं,
आशनाई का सबब सबसे छुपाते भी नहीं।

शेर कहते हैं बहुत हुस्न की तारीफ़ में हम

पर कभी अपनी ज़बाँ पर उन्हें लाते भी नहीं।

जब भी देते हैं किसी फूल को हँसने की दुआ,
शाख़ से ओस की बूंदों को गिराते भी नहीं।

ये तुम्हारी है अदा या है कोई मजबूरी,
प्यार भी करते हो और उसको जताते भी नहीं।

सिर्फ़ अल्फ़ाज़ से पहचान करोगे कैसे,
बात करते  हो मगर बात बताते भी नहीं।

ये मरासिम का अजब मोड़ है जिस पर तुमको,
याद हम करते नहीं दिल से भुलाते भी नहीं।

तिश्नगी दीद की वो और बढ़ा देते है,
"साफ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं।

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment by Balram Dhakar on October 24, 2018 at 10:54pm

आदरणीय रवि शुक्ल जी, शेर दर शेर के साथ दिली मुबारक़बाद क़ुबूल फ़रमाएं। बहुत खूब ग़ज़ल हुई है।

सादर।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 11, 2018 at 7:53pm

वाह वाह, उम्दा गजल आदरणीय रवि सर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 7, 2018 at 3:23pm

वाह आदरणीय शुक्ला जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 21, 2018 at 2:30pm

आदरणीय रवि शुक्ल जी, आपकी ग़ज़ल के हर शेर पर दाद दे रहा हूँ. उपयुक्त सुझावों से शेर और निखर कर सामने आ रहे हैं. 

शुभ-शुभ

Comment by Ravi Shukla on September 2, 2018 at 11:39pm

आदरणीय बसंत कुमार जी ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति से उत्साहित हूं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद

Comment by Ravi Shukla on September 2, 2018 at 11:38pm

आदरणीय लक्ष्मण जी गजल की सराहना के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद

Comment by Ravi Shukla on September 2, 2018 at 11:38pm

आदरणीय अजय तिवारी जी ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति से बहुत खुशी हुई शेर आपको पसंद आया बहुत-बहुत धन्यवाद

Comment by Ravi Shukla on September 2, 2018 at 11:37pm

आदरणीय समर साहब आदाब गजल को आपका आशीर्वाद मिला तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं दोनों शेर पर जो आपने इस्लाह दी उसे मूल प्रति में सही कर लिया है पुनः बहुत-बहुत धन्यवाद

Comment by Ravi Shukla on September 2, 2018 at 11:36pm

आदरणीय सुरेंद्र नाथ जी ग़ज़ल आपको पसंद आई इसकी सराहना के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद

Comment by Ravi Shukla on September 2, 2018 at 11:35pm

आदरणीय सत्यम जी ग़ज़ल पर आपकी सराहना का बहुत-बहुत धन्यवाद

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