For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुझे भी कुछ कहना है – लघुकथा -

 मुझे भी कुछ कहना है –  लघुकथा -

 "माँ, मुझे कुछ पल अकेला छोड़ दो। मुझे एकांत चाहिये"।

"ठीक है नीरू, पर तू अंधेरे में क्या कर रही है? तेरे दिमाग में कुछ ऐसा वैसा तो नहीं चल रहा"।

"माँ, आपकी बेटी इतनी कमजोर नहीं है"।

"मैं जानती हूँ। इसीलिये तो डर लगता है। तू यह लिखना छोड़ क्यों नहीं देती"?

"माँ, आप कैसी बात कर रहे हो? वह मेरी गुरू थी। मेरी आदर्श थी। उसे गोलियों से उड़ा दिया।  और मैं चुप हो कर बैठ जाऊँ। असंभव"।

"बेटी, मुझे तेरी जान की चिंता है। जिस काम में जान का खतरा हो उसे छोड़ देना चाहिये"।

"माँ, तो फिर एक काम करो।  सबसे पहले भैया की सेना की नौकरी छुड़वा दो। उनकी जान को तो और भी ज्यादा खतरा है। उनकी तो अभी पोस्टिंग भी बार्डर पर है"।

"नीरू, तेरा भाई देश के दुश्मनों से लड़ रहा है"।

"माँ, मैं भी वही कर रही हूं। ये दुश्मन बाहरी दुश्मनों से भी ज्यादा खतरनाक हैं"।

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 516

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on September 11, 2017 at 10:07am

हार्दिक आभार आदरणीय सलीम राज़ा साहब जी।

Comment by SALIM RAZA REWA on September 10, 2017 at 10:37pm
आ. तेज वीर जी ख़ूबसूरत संदेश देती हुई, लघुकथा के लिए बधाई,
Comment by TEJ VEER SINGH on September 10, 2017 at 9:59pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब  जी।आदाब।

Comment by TEJ VEER SINGH on September 10, 2017 at 9:58pm

हार्दिक आभार आदरणीय महेंद्र कुमार जी

Comment by Samar kabeer on September 10, 2017 at 9:14pm
जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mahendra Kumar on September 10, 2017 at 8:09pm

बढ़िया लघुकथा है आ. तेज वीर सिंह जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. एक बार शीर्षक को पुनः देख लीजिएगा. सादर.

Comment by TEJ VEER SINGH on September 10, 2017 at 11:32am

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on September 10, 2017 at 11:31am

हार्दिक आभार आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 9, 2017 at 10:37pm
महिला सैनिक पुलिस के लिए वर्तमान में बनी सकारात्मक परिस्थितियों पर बढ़िया प्रेरक प्रस्तुति के लिए सादर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं आदरणीय तेजवीर सिंह जी।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 9, 2017 at 10:11pm
बहुत बढ़िया लघुकथा सीधे दिल से सम्बाद करती है इस रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
13 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service