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परोथन – लघुकथा -

 "अरे छुटकी, देख तो कौन है दरवाजे पर"?

"कोई भिखारिन जैसी लड़की है अम्मा"।

"बिटिया, एक कटोरा गेंहू दे दे उसे”|

“अम्मा, वह तो बोल रही है कि उसे केवल आटा ही चाहिये”।

"अरे तो क्या हुआ छुटकी, एक कटोरा आटा ही दे दे बेचारी को"।

"पर अम्मा, आटा तो एक बार के लिये ही था तो सारा गूँथ लिया"।

"एक कटोरा भी नहीं बचा क्या"?

"ऐसे तो है, एक कटोरा, पर वह परोथन के लिये है"।

"अरे तो वही देदे मेरी बच्ची। हम लोग एक दिन बिना परोथन की, हाथ की रोटी खा लेंगे"।

"अम्मा, हमारे से नहीं बनती बिना परोथन की रोटी। हम केवल परोथन वाले फ़ुलके हीबना पाते हैं"।

"कोई बात नहीं बिटिया। आज हम बना देंगे हाथ की रोटी"।

"पर अम्मा, आपको तो चूल्हे पर ज़मींन पर बैठने में घुटना दर्द करता है"।

"एक ही दिन की तो बात है , झेल लेंगे थोड़ी तक़लीफ़"।

"पर उसको आटा देना इतना ज़रूरी है क्या"?

"हाँ बिटिया, नवरात्रे में दरवाजे से कोई कन्या खाली हाथ लौट जाय तो अशुभ होता है"।

मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by TEJ VEER SINGH on October 3, 2017 at 5:51pm

हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।आदाब।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 28, 2017 at 8:44pm
मुहतरम जनाब तेजवीर साहिब ,संदेश देती सुन्दर लघुकथा हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें
Comment by TEJ VEER SINGH on September 28, 2017 at 8:36pm

हार्दिक आभार आदरणीय डॉ विजय शंकर जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on September 28, 2017 at 8:35pm

हार्दिक आभार आदरणीय महेंद्र कुमार जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on September 28, 2017 at 8:34pm

हार्दिक आभार आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी।

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 28, 2017 at 9:29am
आदरणीय तेजवेरर सिंह जी , सुन्दर प्रेरक , लघु-कथा , बधाई , सादर।
Comment by Mahendra Kumar on September 27, 2017 at 7:58pm

"हाँ बिटिया, नवरात्रे में दरवाजे से कोई कन्या खाली हाथ लौट जाय तो अशुभ होता है"। मतलब नवरात्र के बाद कोई खाली हाथ लौटे तो लौट जाए. भय से उत्पन्न नैतिकता पर अच्छा व्यंग्य किया है आपने आ. तेज वीर सिंह जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Hariom Shrivastava on September 27, 2017 at 6:09pm
वाहह,वाहहहह,बहुत सुंदर लघुकथा। सुंदर संदेश।
Comment by TEJ VEER SINGH on September 27, 2017 at 12:23pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह "कुशक्षत्रप" जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on September 27, 2017 at 12:21pm

हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी।

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