For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्वप्न साधना ....

स्वप्न साधना ....

निस्सीम प्रीत के
मधुपलों में
हो समर्पित
चिर सुख की
मिलन वेला में
खो गयी मैं
और हार के
स्वयं को स्वयं से
अमर जीत
हो गयी मैं

करती रही
क्षण क्षण संचित
एकांत वास में
अपने प्रिय के
प्रीतपाश का

विस्मृत कर
विभावरी के
अंतकाल को
श्वास स्पंदन
की मिलन गंध को
विभावरी के
शेष पलों में
जीती रही मैं

शून्य हुआ
तुम बिन हर पल
श्वास मेरी भी
शून्य हुई
बंध अनुबंध
सब गौण हुए
और जीत हार भी
शून्य हुई
तुम विलीन हुए नभ में
मैं अनंत निद्रा में
लीन हुई

थी अपूर्ण मैं
तुमसे पहले
तुमसे मिलकर
पूर्ण हुई
कर समर्पित
तुम में
स्वयं को
मेरी स्वप्न साधना
पूर्ण हुई


सुशील सरना
मौलिक अप्रकाशित

Views: 576

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on May 22, 2017 at 2:19pm

आदरणीय  Mahendra Kumar  जी रचना के भावों को आपने आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से शुक्रिया।

Comment by Mahendra Kumar on May 22, 2017 at 9:20am

बहुत अच्छी भावपूर्ण कविता है आदरणीय सुशील सरना जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Sushil Sarna on May 19, 2017 at 3:04pm

आदरणीय  vijay nikoreसाहिब रचना के भावों को आपने आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से शुक्रिया।

Comment by vijay nikore on May 19, 2017 at 6:57am

//और जीत हार भी
शून्य हुई
तुम विलीन हुए नभ में
मैं अनंत निद्रा में
लीन हुई//

वाह, वह। बहुत अच्छे भाव हैं। आनन्द आ गया। आपको हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील जी

Comment by Sushil Sarna on May 18, 2017 at 8:22pm

आदरणीय narendrasinh chauhan जी सृजन के भावों को मान देने का शुक्रिया।

Comment by narendrasinh chauhan on May 16, 2017 at 5:50pm

खूब सुन्दर रचना। ...

Comment by Sushil Sarna on May 16, 2017 at 3:39pm

आदरणीय समर कबीर साहिब रचना के भावों को आपने आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on May 16, 2017 at 3:39pm

आदरणीय मोहित मुक्त जी सृजन के भावों को मान देने का शुक्रिया।

Comment by Samar kabeer on May 16, 2017 at 3:07pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत सुंदर कविता हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service