For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार बासठवाँ आयोजन है.

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

17 जून 2016 दिन शुक्रवार से  18 जून 2016 दिन शनिवार तक

इस बार गत अंक में से तीन छन्द रखे गये हैं - 

दोहा छन्द, कुण्डलिया छन्द और सार छन्द

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.

इन छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना करनी है. 

प्रदत्त छन्दों को आधार बनाते हुए नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.  

[प्रस्तुत चित्र अंतरजाल से प्राप्त हुआ है]

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो तीनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.   

 

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

दोहा छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

  

कुण्डलिया छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

सार छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

 

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 17 जून 2016 दिन शुक्रवार से  18 जून 2016 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों केलिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  5. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  6. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  7. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 13410

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

मोहतरम जनाब अखिलेश  साहिब   ,छन्दों में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया

तीनों ही छंद जबरदस्त हुए हैं आ० तस्दीक जी दोहावली तो ग़ज़ब की हुई है सार छंद में --लिए एक अखबार है पढता इस चरण को देख लें 

कुण्डलिया भी बहुत सुन्दर हुई हैं 

दिल से बहुत बहुत बधाई लीजिये 

मोहतरमा राजेश कुमारी   साहिबा    ,छन्दों में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया

बहुत सुंदर रचना, बधाई आदरणीय .सादर 

मोहतरम जनाब श्याम नारायण  साहिब , छन्दों में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का  बहुत बहुत शुक्रिया। .....

आ. तस्दीक अहमद साहब  तीनों  विधाओ  के  द्वारा चित्र को सार्थक करती प्रस्तुतियों के लिए हार्दिक बधाई ! 

मोहतरम जनाब सचिन देव   साहिब , छन्दों में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का  बहुत बहुत शुक्रिया। .....

आदरणीय तस्दीक जी, एक ग़ज़ल अभ्यासी के छंद पढ़कर मुग्ध हो गया हूँ. आपने दोहा छंद को खूब साधा है और बढ़िया दोहे लिखे है. कुण्डलिया छंद में भी बढ़िया प्रयास हुआ है बस इन दो विषम चरणों को देखिये. इस चरण में दोहा के चरण को उल्टा करना है-

 मतलब इसे है क्या,कौन है झूठा सच्चा ( मतलब क्या है जा, कौन है झूठा सच्चा) (झूठा सच्चा कौन है, मतलब क्या है जान)

     

इन्सां नहीं है यह, ज़ात है इसकी बन्दर ( ना समझो इंसा,  ज़ात है इसकी बन्दर )  (इसकी बन्दर ज़ात है, ना समझो इंसा)

(नोट-यह संशोधन केवल अपनी बात स्पष्ट करने के लिए हैं)

इसी प्रकार सार छंद का यह चरण जिसमें 'है' की मात्रा गिराई जा रही है- 

लिए एक अखबार 'है' पढता ,हाल जगत का बन्दर । ( इक अखबार लिए है पढ़ता, हाल जगत का बन्दर)

आपकी इस शानदार प्रस्तुति पर दिल से बधाई.

मोहतरम जनाब मिथिलेश   साहिब , छन्दों में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का  बहुत बहुत शुक्रिया। .....
उर्दू शेरों का असर न चाहते हुए भी आजाता है ,  हर्फ़ गिराने की आदत छन्द विद्या में धीरे धीरे जाएगी , आपके मार्ग दर्शन
पर अमल होगा ,  सादर 

आभार 

आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी,
आपकी तीनों प्रस्तुतियाँ अच्छी हुई हैं. आप शिल्प् की दृष्टि से मेहनत भी खूब कर रहे हैं. लेकिन कथ्य के तौर तनिक और रचनात्मक होना था. इसे आपभी स्वीकारेंगे.


अलबत्ता कई जगह अब भी है आदि को गिराना अनायास हो जा रहा है जो अरूज़ की परम्परा में आपका रचा-बसा होना स्मरण करा देता है. :-))

एक बात,

आपने हनुमान को हनूमान  की तरह लिया है. यह दो कारणों से उचित नहीं है.

एक, प्रोपर नाउन (व्यक्ति वाचक संज्ञा) में कोई परिवर्तन मान्य नहीं होता. आपने भी देखा होगा मकते के तख़ल्लुस में कोई खुदे-बुद मान्य नहीं हुआ करता. उसका कारण यही है. अलबत्ता, आंचलिक भाषाएँ वाचिक परम्परा की होने से वहाँ बात अलग हो जाती है. जिसपर फिर कभी चर्चा होगी. और, यह इस आयोजन की सीमा के बाहर का विषय भी है. यह अवश्य है कि आपकी रचना खड़ी बोली की रचना है.

दूसरा कारण यह है, कि हनुमान का शाब्दिक अर्थ हुआ, ’जिसके ’हनु’ (ठुड्डी) का ’मान’ यानी मर्दन या तहस-नहस हुआ हो’. हनुमान का नामकरण उनकी ठुड्डी के घायल या चोटिल हो जाने से हुआ है, जो उनपर वज्रप्रहार से हुआ था, ऐसा बताया जाता है. अतः, हनुमान को हनूमान कर देंगे तो आपके छन्द की मात्रा तो बैठ जायेगी, लेकिन हनुमान के हनुमान होने का मतलब खत्म हो जायेगा.
सादर

मोहतरम जनाब सौरभ   साहिब , छन्दों में गहराई से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का  बहुत बहुत शुक्रिया। .....
उर्दू शेरों का असर न चाहते हुए भी आजाता है ,  हर्फ़ गिराने की आदत छन्द विद्या में धीरे धीरे जाएगी , आपके मार्ग दर्शन पर अमल होगा, विस्तृत जानकारी देने के लिए आपका आभार,  आपकी माइक्रोस्कोपिक नज़र से जो निकल जाए वह वाकई कामयाब है , सादर 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
Sunday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service