For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

निर्भया कौन ? (लघुकथा) / शेख़ शहज़ाद उस्मानी (45)

उन दोनों की भटकती आत्माओं की मुलाक़ात आज निर्भया की आत्मा से हो गई। उन की हरक़त पर कटाक्ष करते हुए वह बोली-

"कुछ भी हो, तुम दोनों को ख़ुदकुशी कतई नहीं करनी थी !"

"क्या करती ? पेट से थी ! कब तक छिपाती ? नाबालिग को तो कोई कसूरवार नहीं मानता ! मानता भी तो क्या मुझे इंसाफ़ मिलता ?" - एक ने कहा ।

दूसरी ने निर्भया की आत्मा को दुखी स्वर में बताया - "एक तरफ़ तो उस कुकर्मी नाबालिग के सामने देश के क़ानून भी उलझन में पड़ गये ! दूसरी तरफ़ तुम्हारी निर्मम हत्या के बाद वैसे ही गैंग-रेप होते ही रहे न ! किस ने क्या कर लिया ? मेरे वजूद की निर्मम हत्या बाहर वाले करते या मेरे घरवाले, सो मैंने ख़ुद ही अपनी हत्या कर ली ! "

निर्भया नि:शब्द होकर दोनों को अपने साथ लेकर सुप्रीम कोर्ट के अंदर-बाहर के नज़ारे और राजनीति से प्रेरित प्रदर्शनों में परेशान हाल अपने परिवारजन को देखने लगी।

"कुछ सुना निर्भया तुमने ! नाबालिग कहलाने की उमर घटाकर सौलह साल करने पर भी चर्चा हो रही है !"

निर्भया ने ठहाका लगाते हुए कहा- "ये भी ख़ूब रही ! दुष्कर्म रुक जाएँगे क्या ? मूल समस्या तो कुछ और ही है न ! लड़की कब और कैसे बनेगी 'निर्भया' ? पुरुष तो पुरुष ही रहेगा न !"

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 595

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2017 at 6:19am
इस रचना पटल पर समय देने हेतु सभी पाठकगण को तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 24, 2015 at 7:45am
मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर उपस्थित हो कर मुझे प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीया राजेश कुमारी जी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 23, 2015 at 7:04pm

आपने इस लघु कथा के माध्यम से आज के हर  संवेदनशील मन की बात लिख दी समस्या की जड़  तो कहीं और है उसे सही करना होगा |

आपको दिल से बधाई इस बेहतरीन रचना के लिए आ० उस्मानी जी .

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 23, 2015 at 1:17am
मेरी ब्लोग पोस्ट पर उपस्थित हो कर रचना के मर्म को समझते हुए सराहना करने व मुझे प्रोत्साहित करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया नीता कसार जी ।
Comment by Nita Kasar on December 22, 2015 at 8:41pm
आज की जवंलंत समस्या पर लेखनी उठाई है आपने कुछ तो सुकून मिला होगा उस मासूम को जब आज जुवेनाईल जस्टिस बिल क़ानून बनने की दिशा में आगे बढ़ा है ।कुछ लोगों की छोटी सोच से कब मुक्त होगा हमारा समाज आज की व्यवस्था पर कड़ा प्रहार करती कथा के लिये आपको बधाई आद०शहजाद भाई ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 22, 2015 at 1:07pm
त्वरित प्रतिक्रियाओं से ब्लोग पोस्ट की सार्थकता बढ़ाने व मुझे प्रोत्साहित करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी व आदरणीया राहिला जी।
Comment by Rahila on December 22, 2015 at 12:55pm
बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण घटना के मर्म को समझ आप ने खूब मुद्दा उठाया । काश न्याय मिल पाता । सादर
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 22, 2015 at 11:29am

आ० भाई शेख शहज़ाद जी .इस झहिझोड़ती लागूकथा के लिए कोटि कोटि बधाई . काश ! स्त्री की जगह पुरुष अपनी सोच बदल पाता ....

Comment by pratibha pande on December 22, 2015 at 11:14am

बहुत ही नाज़ुक मसले पर आपने कलम उठाई है ,  अंधे क़ानून पे क्या कहें ,  सच में समस्या की जड़ कहीं और है , नाज़ुक विषय पर कसे शिल्प के साथ लिखी कथा पर पर हार्दिक बधाई आपको आदरणीय उस्मानी जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
yesterday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service