For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

'चित्र से काव्य तक' छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार तिरपनवाँ आयोजन है.

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  18 सितम्बर 2015 दिन शुक्रवार से 19 सितम्बर 2015 दिन शनिवार तक

 

इस बार भी गत अंक की तरह वही तीन छन्द रखे गये हैं - दोहा छन्द, रोला छन्द और कुण्डलिया छन्द.

 

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.

 

इन तीनों छन्दों में से किसी एक या दो या सभी छन्दों में प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द रचना करनी है. 

इन छन्दों में से किसी उपयुक्त छन्द पर आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.  

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो तीनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.  केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

जैसा कि विदित ही है, छन्दों के विधान सम्बन्धी मूलभूत जानकारी इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

 

दोहा छन्द की मूलभूत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें.

 

रोला छ्न्द की मूलभूत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

 

कुण्डलिया छन्द की मूलभूत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

********************************************************

दोहा छन्द पर आधारित गीत के उदाहरण केलिए यहाँ क्लिक करें.

                                                                               

(प्रयुक्त चित्र अंतरजाल के सौजन्य से प्राप्त हुआ है)

दोहा छन्द आधारित नवगीत के उदाहरण केलिए यहाँ क्लिक करें.

 

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 18 सितम्बर 2015  से 19 सितम्बर 2015 यानि दो दिनों के लिए  रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  5. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  6. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  7. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

 

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

 

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 13184

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

उत्साह वर्धन हेतु आभार आदरनीय सचिन देव जी!

आदरणीय जवाहर भाई , चित्रानुरूप दोहों के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

उत्साह वर्धन हेतु आभार आदरनीय गिरिराज भंडारी साहब!

जाति धर्म से अलग है, वासुदेव के रूप|---जाती धर्म से हैं अलग ---कर लीजिये गेयता सही हो जायेगी 

देख देख हम सीखते, सर्व धर्म समभाव|---वाह्ह्ह 

भारत में अब दीखते, इसका निरा अभाव||-----भारत में हम देखते --कर लीजिये 

 

आजा फिर से मिल गले, नया बनायें देश|

दिल से हम सब एक हैं, भिन्न भिन्न परिवेश||---बहुत शानदार 

आ० जवाहर लाल जी ,सुन्दर प्रस्तुति हेतु आपको बहुत बहुत बधाई. 

सुन्दर सुझाव के लिए हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी!

आदरणीय जवाहर भाई,  आपकी प्रस्तुति पर आदरणीया नीरज शर्मा की सुगढ़ प्रतिक्रिया आयी है. आप उनकी पंक्तियों पर ध्यान दें. 

लगता है इस बार आप तनिक अधिक ही शीघ्रता में थे. प्रस्तुति में भाषायी तौर पर भी गठन की आवश्यकता बन रही है. भारत में अब दीखते, इसका निरा अभाव  जैसी पंक्तियाँ उचित नहीं. 

एक बात विशेष तौर पर -- 

सुवन शब्द का आपने सटीक तथा बड़ा ही ठोस प्रयोग किया है.

कई विद्वान जो देश के मध्य-दक्षिण या पश्चिमी भाग से हैं और इस शब्द का अर्थ नहीं जानते, मनमाने ढंग से व्यवहृत करते हैं. हनुमान चालीसा में संकर सुवन केसरी नन्दन को मैंने कई विद्वानों के मुँह से संकर स्वयं केसरी नन्दन करते सुना है और दुखी हुआ हूँ. कई बार ऐसे विद्वानों के बीच होने का सौभाग्य मिला है और मैंने कहा है कि यह शब्द ’सुवन’ अवधी और भोजपुरी का है. इसका अर्थ बेटा या पुत्र होता है. 

शुभेच्छाएँ 

आदरणीय सौरभ सर आपकी प्रेरणामय टिप्पणी अभिभूत करती है ... कोशिश करता हूँ, चूक हो ही जाती है सुझावों पर ध्यान देता हूँ औए संशोधन के लिए निवेदन करूंगा ... सादर!

आ० जवाहर लाल जी  थोड़ा समय और आप देते तो रचना बहुत अच्छी बनती . इस प्रयास पर बधाई.

आजा फिर से मिल गले, नया बनायें देश|

दिल से हम सब एक हैं, भिन्न भिन्न परिवेश||........प्रदत्त चित्र को सार्थकता प्रदान करता सुंदर दोहा.

जाति धर्म से अलग है, वासुदेव के रूप| ......जाति धर्म से हैं अलग .....

लीलाधर कहते उसे, वे है सदा अनूप||............लीलाधर कहते उन्हें......वे के साथ उसे कहना ठीक नहीं है.

आदरणीय जवाहर जी भाई सादर, प्रदत्त चित्र पर सुंदर दोहे रचे हैं. बहुत-बहुत बधाई. फिरभी कई जगह अनुस्वार का प्रयोग न करना खटक रहा है. सादर.

आदरणीय जवाहर जी बढ़िया दोहावली हुई है हार्दिक बधाई----------------------

द्वापर युग में कृष्ण ने, थामा यसुदा हाथ|

कलियुग में भी देखिये, कृष्ण सबीना साथ||  .................. चित्र को खूब परिभाषित हुआ है बहुत सुन्दर 

जाति धर्म से है अलग,  वासुदेव के रूप|

लीलाधर कहते उसे, वे है सदा अनूप||............. बहुत सुन्दर 

मोर मुकुट धारी सुवन, पकड़े माँ का हाथ|

खीचे आगे की तरफ, ऐसा सुन्दर साथ !!............. बढ़िया दोहा 

देख देख हम सीखते, सर्व धर्म समभाव|

भारत में अब दीखते, इसका निरा अभाव||.............. दोहा बढ़िया हो सकता है थोड़ा समय चाहता है 

आजा फिर से मिल गले, नया बनायें देश|

दिल से हम सब एक हैं, भिन्न भिन्न परिवेश||................ आमीन 

बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर 

 

दोहे

 

हरियाली निज शीश पर, धारे हैं जहँ धाम |

पीताम्बर कटि बाँध तहँ, दिखे ठुमकते श्याम ||

 

गोर वर्ण शिशु श्याम के, मन की देखो चाह |

सूर्य चढ़ा है शीश पर, हुआ न कम उत्साह ||

 

हाथ धरे हैं मातु का, और तीव्र है चाल |

मनमोहन छवि बाल फिर, चला बदलने काल ||

 

अपलक शिशु निहारता, बैठ मातु की गोद |

निर्मल ह्रदय सुभाव से, पाता है मन मोद ||

 

अधरों पर मुस्कान है, मन में ख़ुशी अपार |

भारतमाता श्याम सा, देख तनय सिंगार ||

 

मौलिक/ अप्रकाशित.

हरियाली निज शीश पर, धारे हैं जहँ धाम |
पीताम्बर कटि बाँध तहँ, दिखे ठुमकते श्याम ||

गोर वर्ण शिशु श्याम के, मन की देखो चाह |
सूर्य चढ़ा है शीश पर, हुआ न कम उत्साह ||

हाथ धरे हैं मातु का, और तीव्र है चाल |
मनमोहन छवि बाल फिर, चला बदलने काल || अति उत्तम दोहा और कथ्य

अपलक शिशु निहारता, बैठ मातु की गोद |
निर्मल ह्रदय सुभाव से, पाता है मन मोद || यहाँ कुछ मात्रा कम है, और चित्र से भटकाव भी है;सादर

अधरों पर मुस्कान है, मन में ख़ुशी अपार |
भारतमाता श्याम सा, देख तनय सिंगार || ये तो बहुत ही श्रेष्ठ दोहा गढ़ा गया

श्रेष्ठ दोहा रचना के लिए ह्रदय से अभिवादन; सादर।।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
16 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
28 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service