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गजल ...चाँद तारो से कभी पूंछा नही

बहर -2122/2122/2122/212

आज हम यह सोचते है के बिछड़ कर क्या मिला
हाँ ये सच है जो मिला उसका अलग रस्ता मिला

सोचता हूँ चाँद तारों से ज़रा मै पूछ लूँ
क्या तुम्हे भी राह में जो भी मिला तन्हा मिला

आज आँगन में कही तारा नहीं यादों भरा
छिप के कोने में पड़ा घर का हँसी प्याला मिला

मौसमो की ही तरह है इश्क की आबो हवा
जब चली तो घर मेरा दरका कही टूटा मिला

देख कर अंजाम अपना मैं बहुत हैरान हूँ
चल पड़ा जिस रास्ते पर वो ग़मों से जा मिला

.

मौलिक अप्रकाशित

Views: 728

Comment

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Comment by amod shrivastav (bindouri) on September 15, 2015 at 5:26pm
आदरणीय आप सभी का सादर अभिनन्दन
आगे भी आप का प्यार और आशीर्वाद ऐसे ही पाने की अभिलाषा है
हम अभी इस बिधा पर नए है इस लिए
गुणीजन त्रुटि से जरूर अवगत कराये
जिससे हम आगे और सुन्दर लिख सके
जो भी त्रुटियाँ हो
उसके लिए क्षमा करिये गा

सभी को सादर प्रणाम
Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 24, 2015 at 12:51am

आदरणीय आमोद जी इस सुंदर ग़ज़ल हेतु हार्दिक बधाई सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 23, 2015 at 10:42pm

देख कर अंजाम अपना मैं बहुत हैरान हूँ
चल पड़ा जिस रास्ते पर वो ग़मों से जा मिला----वाह्ह्ह्ह 

बहुत अच्छी ग़ज़ल लिखी है आमोद जी ,दिल से बधाई लीजिये और प्रयासरत रहें ,शुभकामनायें 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 22, 2015 at 4:42pm

बढ़िया प्रयास , सुन्दर .

Comment by amod shrivastav (bindouri) on August 20, 2015 at 7:44pm
सर मै अभी नवांकुर ही हु मुझे इस विधा की जानकारी नही है। गजल की कक्षा ग्रुप से जो सिखा वो लिख रहा हु।
और गलतिया आदरनीय वीनस सर ने सही की है।

आप सभी को नमन
Comment by amod shrivastav (bindouri) on August 20, 2015 at 7:42pm
आदरनीय विजय सर नमन
आप सभी अपना प्यार ऐसे ही बनाये रखियेगा
Comment by amod shrivastav (bindouri) on August 20, 2015 at 7:41pm
आदरनीय गिरी राज सर
सादर आभार नमन
Comment by vijay nikore on August 20, 2015 at 4:05pm

बहुत अच्छी गज़ल लिखी है। बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 20, 2015 at 7:11am

आदरणीय आमोद भाई , लाजवाब गज़ल कही है , सभी अशआर अच्छे हुये हैं , हार्दिक बधाई आपको ।

सोचता हूँ चाँद तारों से ज़रा मै पूछ लूँ
क्या तुम्हे भी राह में जो भी मिला तन्हा मिला   -- इस शे र के लिये दिली बधाइयाँ ।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on August 19, 2015 at 11:04pm
रवि सर आप को सादर नमन आभार

सर एक अनुरोध है
सर जोभी त्रुटी हो दिल खोल कर कहे
मै आप से वादा करता हूँ । मै अपने लेख में उन गलतियों को सही कर के पेश करुगा

सर अपना प्यार ऐसे ही बनाये रखिये गा

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