For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- ये ज़मीं सारी मेरा घर कह लें ( गिरिराज भंडारी )

2122   1212    22  / 112 

ये ज़मीं सारी मेरा घर कह लें

आप आयें जहाँ से, दर कह लें

 

जो कमाता है, बांटने के लिये 

है तो इंसाँ,  मगर शज़र कह लें

 

जान रखता हूँ मै हथेली पर

दोस्त माना मुझे अगर कह लें

 

सच को सच बोलने की आदत है  

मेरी राहों को पुर ख़तर कह लें

 

आपके दर पे मांगने आया

आप चाहें,  अगर- मगर कह लें

 

दिल के जज़्बात पिरो लाया हूँ

बिन पढ़े आप बे असर कह लें

 

मेरे अहबाब मेरी क़ुव्वत हैं

मेरी ख़ातिर, हैं बाल-- पर कह लें

 

भीड़ मेरी तरफ जो लगती है

अस्ल में है उधर , उधर कह लें

 

मै ने बस आइना दिखाया था

अब ग़लत मुझको उम्र भर कह लें  

 

आग लगती है मेरी बातों से

आप अब से उन्हें शरर कह लें 

****************************** 

मौलिक एवँ अप्रकाशित 

 

Views: 702

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 5, 2015 at 8:47am

आदरणीय सौरभ भाई , आपने सही पहचाना , इस रदीफ पर कुछ कहने  की सोच के ही गज़ल कही थी । आपका आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 5, 2015 at 8:45am

आदरणीय मिथिलेश भाई , आपका आभार ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 4, 2015 at 10:23pm

यह एक अभ्यासी प्रास हुआ है. हार्दिक बधाई, आदरणीय गिरिराजभाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on June 25, 2015 at 2:54am

आदरणीय गिरिराज सर शानदार ग़ज़ल हुई है 

शेर दर शेर दाद हाज़िर है 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 16, 2015 at 7:48am

आदरणीया कांता जी , आपका हार्दिक आभार ॥

Comment by kanta roy on June 16, 2015 at 7:22am
वाह ! बहुत खूब कही है यह गजल आपने

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 15, 2015 at 1:47pm

आदरणीय नेरेन्द्र भाई , उत्साह वर्धन के  लिये आपका आभारी हूँ ।

Comment by narendrasinh chauhan on June 15, 2015 at 12:48pm

क्या खूब गजल कही है..........बेहद उम्दा गजल


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 15, 2015 at 10:24am

आदरणीय दिनेश भाई , हौसला अफज़ाईका शुक्रिया ।  उस मिसरे मे गलती है , मै सुधार कर लूँगा । आपका आभारी हूँ ।

Comment by दिनेश कुमार on June 15, 2015 at 7:28am

बहुत खूब .. वाह वाह आदरणीय ... मुबारकबाद ..

दिल के जज़्बात पिरो लाया हूँ... पुनः देखने की ज़रुरत लगती है शायद सर..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service