For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-2 (विषय: पहचान)

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,
सादर वन्दे।
 
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-१ में लघुकथाकारों ने बहुत ही जोशो खरोश से हिस्सा लेकर उसे सफल बनाया। लघुकथा विधा पर हिंदी साहित्य जगत का यह पहला आयोजन था जिस में तीन दर्जन से ज़्यादा रचनाकारों ने कुल मिलाकर ६५ लघुकथाएँ प्रस्तुत कीं। एक एक लघुकथा पर भरपूर चर्चा हुई, गुणीजनों ने न केवल रचनाकारों का उत्साहवर्धन ही किया अपितु रचनाओं के गुण दोषों पर भी खुलकर अपने विचार प्रकट किए।  कहना न होगा कि यह आयोजन लघुकथा विधा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर भी साबित हुआ है। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है:
 .
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-२ 
विषय : "पहचान"
अवधि : 30-05-2015 से 31-05-2015 
(आयोजन की अवधि दो दिन अर्थात 30 मई 2015 दिन शनिवार से 31 मई  2015 दिन रविवार की समाप्ति तक)
.
अति आवश्यक सूचना :-
१. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक सर्वश्रेष्ठ लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
२.सदस्यगण एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हलकी टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
३. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
४. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी लगाने की आवश्यकता नहीं है।
५. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
६.  नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
७. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
८. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं। रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें।
९ . सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर केवल एक बार ही संशोधन हेतु अनुरोध करें।
.
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 30 मई 2015, दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा)
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 15928

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आ० योगराज सर!लघुकथा पर आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी मन का बोझ हल्का हुआ,हार्दिक आभार गुरुवर!..

                       "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-2 का शीर्षक ''पहचान'' देख मेरे दिलो-दिमाग में सीधे-सीधे ''कश्मीरी पंडितो की पहचान'' का मुद्दा बिजली की तरह कौंध गया था!क्युकी !पिछले दिनों कश्मीरी पंडित और उनके पुनर्वास के मुददे बहुत चर्चा में रहे थे और कश्मीरी पंडित और उनकी पहचान से जुड़े बहुत से लेखों को पढ़ा..जिन्होंने अंतर्मन को अन्दर तक झकझोर के रख दिया..क्या विडंबना है कि अपने ही देश !अपनी ही जमीं से! कश्मीरी पंडितो को बबर्तापुर्वक शरणार्थी की जिंदगी जीने को मजबूर कर दिया गया!हिंदू होते हुए एक हिंदूबहुल देश में ऐसा होना कितनी गहरी पीड़ा और आक्रोश पैदा करता है..उसी को लघुकथा के माध्यम से आव़ाज देने के साथ ही एक सन्देश भी देने का प्रयास था ..अंततः जब रचना कुछ संतोषप्रद लगी तो मंच पर रक्खी..!!

                     इस कथा को बुनना वास्तव में मेरे लिए बहुत ही कठिन रहा..कथा में..रक्तरंजित दृश्यों का वर्णन कथा के फ़िल्मी टच देता इसलिये उसे नही रक्खा,इशारों में बात करने पर मूल सन्देश के भटकने का डर था,सो बहुत कुछ स्पष्ट कहा!ये सही है के घटना विशेष वर्ग से जुड़ी है..पर सन्देश धरम विशेष के साथ-साथ उस हर व्यक्ति,समुदाय,समाज से जुड़ा है जिसका कोई अपना मूल्य/सिधान्त/संस्कृति/मान्यता है...अपने ही देश में,अपने ही लोगो के बीच, कश्मीरी पंडित की ये स्थिति हमारे मुह पर कालिख की तरह है,हर एक भारतवासी पर धिक्कार की तरह है!इस लघुकथा के माध्यम से मेरा प्रयास यह मूल सन्देश देने का  था कि..अपने मूल्य/सिद्धांत/संस्कृति/मान्यता के लिए सतत रूप से लड़ना पड़ता है,उसके लिए हर जगह अपने भाइयों के साथ खड़ा भी होना पड़ता है न कि अपने दामन तक आग के पहुचने का इन्तजार करना!!..सिर्फ़ धरम/मूल्यों को मानने से काम नही चलने वाला,साथ खड़े होकर हर तरह से उसी रक्षा भी करनी होगी!!आज भारत के लगभग हर राज्य में नक्सली समस्या के आम होने का यही सबसे बड़ा कारण है,कि हम हमारे ही हितो की रक्षा के लिए साथ खड़े होना भूल गये है!... जिसके दामन में आग लगती है वह थक-हार कर दो में से एक रास्ता चुनता है १) कश्मीरी पंडितो वाला २)तथाकथित नक्सली बनने का!!

                          हालांकि सभी टिप्पणियों को पढ़कर मै ये संतुष्ट हूँ की कश्मीरी पंडितों के दर्द को साँझा कर सका उनकी आवाज को उठा सका! पर लघुकथा में मूल सन्देश को मै उभार नही पाया! ये भी निष्कर्ष मिला! इस कमी को भविष्य में दूर करने का प्रयास करूँगा!

सादर!

भाई कृष्णा मिश्र जान गोरखपुरी, आपकी इसी पृष्ठभूमि पर अत्यंत सशक्त लघुकथा पढ़ चुका हूँ. भुलाये नहीं भूलती वह प्रस्तुति !  उसके सापेक्ष इस लघुकथा को खड़ा नहीं कर रहा हूँ. लेकिन जिन इंगितों से कोई घटना साहित्यिक रचना बन जाती है उसे अपने स्मरण में रखना आवश्यक है.
आपकी सहभागिता के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ. सतत अभ्यासरत रहें, भाई.
शुभेच्छाएँ.

आ० सौरभ सर!लघुकथा पर आपकी उपस्थिति से मन हर्षित हुआ! मार्गदर्शन और शुभकामनाओ हेतु हार्दिक आभार! आ० जो कमियां रह गयी है भविष्य में सुधारने का प्रयत्न करूँगा! आ० पिछली प्रस्तुति और इस बार की प्रस्तुति में सबसे बडा फर्क यही है की पिछली प्रस्तुति स्वमेंव हो गयी थी जबकि इस बार सोच सोच कर कलम चलानी पड़ी!:-):-)

प्रभावी रचनाएँ अपने आप ही हुआ करती हैं. सोच समझ कर तो रिपोर्ट बनती है भाई ! .. :-))

कृष्णा जी आपकी सम्वेदन शील्रता  मन हरती है  . कहानी की ट्रीटमेंट और प्रभावी हो सकता था . आपकी फिर भी बधाई .

आ० गोपाल सर जी! कथा पर आपकी सकारात्मक टिपण्णी से बहुत संबल मिला.हार्दिक आभार आदरणीय! जो कमी रह गयी है उसे भविष्य में सुधारने का प्रयास रहेगा!सादर

आदरणीय कृष्ण भाई विषय तो आपने बहुत गंभीर चुना है किन्तु रचना किसी कहानी के संवाद सी लग रही है 

इतने गंभीर विषय पर बातें तो हो रही है मगर कहीं कथा या घटना का आभास नहीं मिल रहा है खैर इस विधा के शिल्प पर चूंकि बिलकुल नहीं जानता इसलिए हो सकता है मुझे ऐसा लग रहा हो. जब दो जुमलों से लघुकथा बन सकती है तो फिर इसमें तो बहुत कुछ है. इस प्रस्तुति पर आपको हार्दिक बधाई 

आ० निश्चय ही बहुत सी कमियां रह गयी है! सभी आ० गुरुजनों जिसकी ओर इशारा किया है,भविष्य में उन्हें सुधारने का प्रयास रहेगा!कथा पर मार्गदर्शन और विवेचना के लिए हार्दिक आभार आ० मिथिलेश सर!सादर

एक बढ़िया विषय पर बेहतरीन प्रस्तुति । जो सरकार हमारे घर नहीं बचा पायी वो हमें छत क्या देगी , वाह । बधाई आपको इस प्रस्तुति पर आदरणीय ..

रचना को मान देने के लिए हार्दिक आभार! भाई विनय कुमार जी!

बहुत ही बढ़िया कहा भाई कृष्णा मिश्रा जी| "भीख में मिली ‘पहचान’ नही चाहिए हमें", अंतिम पंक्ति झकझोर देती है |  

आदरणीय योगराज जी सर ने जो कुछ कहा उस पर ध्यान दें तो निःसंदेह ही यह लघुकथा शीर्ष को छू लेगी !!

आ० भाई चंद्रेश जी!आ० गुरुजनों जिन कमियों की ओर इशारा किया है,भविष्य में उन्हें सुधारने का प्रयास रहेगा!कथा पर आत्मीय मार्गदर्शन और विवेचना के लिए हार्दिक आभार!

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर ओ बी ओ का मेल वाकई में नहीं देखा माफ़ी चाहता हूँ आदरणीय नीलेश जी, आ. गिरिराज जी ,आ.…"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन आपकी प्रेरक प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ ।  इंगित बिन्दुओं पर…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"ओबीओ का मेल चेक करें "
7 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर सादर नमन....दोष तो दोष है उसे स्वीकारने और सुधारने में कोई संकोच नहीं है।  माफ़ी…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"भाई बृजेश जी, आपको ओबीओ के मेल के जरिये इस व्याकरण सम्बन्धी दोष के प्रति अगाह किया था. लेकिन ऐसा…"
7 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय धामी जी स्नेहिल सलाह के लिए आपका अभिनन्दन और आभार....आपकी सलाह को ध्यान में रखते हुए…"
8 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय गिरिराज जी उत्साहवर्धन के लिए आपका बहुत-बहुत आभार और नमन करता हूँ...आपसे आदरणीय नीलेश…"
8 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय नीलेश जी सर्व प्रथम रचना पटल पे उपस्थिति के लिए आपका हार्दिक आभार....वैसे ये…"
9 hours ago
Admin posted discussions
19 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सड़सठवाँ आयोजन है।.…See More
20 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
" आदरणीय सुशील सरना जी सादर, जीवन के सत्य पर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
22 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service