For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राधॆश्यामी छन्द :
=====================


भारत की यह पावन धरती,प्रगटॆ कितनॆं भगवान यहाँ !!
समय समय पर महापुरुष भी,दॆनॆ आयॆ सद्ज्ञान यहाँ !!

वॆद,ऋचायॆं लिखकर जिसनॆ,जीवन शैली सिखला दी है !!
एक शून्य मॆं सारी दुनियाँ,जॊड़,घटा कर दिखला दी है !!

इतिहास यहाँ का भरा पड़ा, वलिदानों की गाथाऒं सॆ !!
गूँज रहा है शौर्य आज भी, वीरॊं की अमर चिताऒं सॆ !!

शौर्य-शिरॊमणि यॆ भारत है,सत्य,अहिंसा की है डॊरी !!
एक दृष्टि सॆ पूर्ण पुरुष है,एक दृष्टि सॆ माँ की लॊरी !!

सारी दुनिया जान गई है, यॆ साथ सत्य का दॆता हैं !!
पौरुष जाग उठॆ जॊ इसका,सूरज कॊ भी खा लॆता हैं !!

सब जाति,धर्म,भाषाऒं का,करना सम्मान सिखाया है !!
चाँद और मंगल पर जा कर, अपना झंडा फ़हराया है !!

खॆलॆ- कूँदॆ इसी धरा पर, हम इसी धरा पर बड़ॆ हुयॆ !!
भारत माता की जय गाथा,गानॆ कॊ कविगण खड़ॆ हुयॆ !!

सागर चरण पखारॆ जिसकॆ,सूरज अभिनंदन करता है !!
छॊटा सा यॆ कलम सिपाही,इस माँ का वंदन करता है !!

"राज बुन्दॆली"
३१/०१/२०१५

पूर्णत: मौलिक एवं अप्रकाशित रचना

Views: 533

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by gumnaam pithoragarhi on February 1, 2015 at 6:42pm
वाह बहुत खूब रचना बहुत अच्छी लगी बधाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 1, 2015 at 12:27pm

आदरणीय राज बुन्दॆली जी ,........प्रवाहमयी रचना  .....बहुत सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 1, 2015 at 8:57am

आदरणीय राज बुंदेली जी अच्छा प्रवाहमयी रचना है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by Sushil Sarna on January 31, 2015 at 8:16pm

सागर चरण पखारॆ जिसकॆ,सूरज अभिनंदन करता है !!
छॊटा सा यॆ कलम सिपाही,इस माँ का वंदन करता है !!

वाह आदरणीय कवि राज बुंदेली जी वाह उत्तम भावों की गहनता लिए इस लाजवाब प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें

Comment by Hari Prakash Dubey on January 31, 2015 at 7:01pm

आदरणीय राज बुन्दॆली जी ,........छॊटा सा यॆ कलम सिपाही,इस माँ का वंदन करता है !! .....बहुत सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई !

Comment by Shyam Narain Verma on January 31, 2015 at 3:45pm

लाजवाब प्रस्तुति के लिये बहुत बहुत बधाई स्वीकारेँ 

Comment by Shyam Mathpal on January 31, 2015 at 2:44pm

Aadarniya bundela ji,

Deshprem se bharpur rachna ke liye bahut badhai.

Iss chaman ke suman khilte rahain.sukh dukh main hum milte rahain

Lakh Koshish kare hamain todne ki,Hum Jude huwe judate rahain.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 31, 2015 at 2:30pm

आदरणीय बुंदेला जी

इस छंद का ज्ञान मुझे नहीं है  i कृपया इसके मीटर से अवगत कराएं  i  आपकी रचना उत्तम है i  सादर i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
18 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service