For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आईना तो सच दिखा रहा था

आईना तो
सच दिखा रहा था
जाला,
हमारी ही आखों में था

दुनिया जिसे
बेदाग़ समझती रही
धब्बा,
उसी केे दामन में था

वो बहुत पहले की बात है
जब लोग
दो रोटी और दो लंगोटी में
खुश रहा करते थे

तुम
ये जो राजपथ देखते हो
कभी वहां पगडंडी
हुआ करती थी
और एक
छांवदार पेड भी हुआ करता था

ये तब की बात है
जब लोग
धन में नही धर्म में
आस्था रखा करते थे

खैर छोडो मुकेश बाबू
इन बातों से क्या फायदा
आओ काम की बातें करें
या फिर
क्रिकेट, मौसम या सटटाबाजार
पे तजकरा करें

मुकेश इलाहाबादी ...............

Views: 485

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on November 20, 2014 at 11:13am

bahut bahut shukria Maharishi Tripathi jee

Comment by maharshi tripathi on November 19, 2014 at 11:20pm

आइने के जरिये पूर्व का ,सुन्दर वर्णन |

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on November 19, 2014 at 4:53pm

bahut bahut aabhaar Sri Lakshman Ramanuj Ladiwala jee, Yograj Prabhakar je, Giriraj Bhandari jee, Dr. Gopal Narayan jee ,Rajesh Kumari jee -

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 19, 2014 at 11:26am

बहुत सुंदर और अनुपम रचना अभिव्यक्ति  के लिए  हार्दिक  बधाई  


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 19, 2014 at 11:19am

बहुत खूब, सुन्दर प्रस्तुति.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 18, 2014 at 7:57pm

बहुत खूब , आदरनीय मुकेश भाई , हार्दिक बधाई ।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 18, 2014 at 6:48pm

vaah mukesh baboo --- sundar


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 18, 2014 at 10:50am

बहुत बढ़िया तंज कसा है क्षणिकाओं के माध्यम  से सुन्दर प्रस्तुति ..हार्दिक बधाई आपको आ० मुकेश श्रीवास्तव जी 

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on November 17, 2014 at 1:27pm

bahut bahut aabhaar is sarahnaa ke liye Shyam Narain Verma jee

Comment by Shyam Narain Verma on November 17, 2014 at 1:20pm

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ... सादर बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service