For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्नेह रस से भर देना …..

स्नेह रस से भर देना …..

कुछ भी तो नहीं बदला
सब कुछ वैसा ही है
जैसा तुम छोड़ गए थे
हाँ, सच कहती हूँ
देखो
वही मेघ हैं
वही अम्बर है
वही हरित धरा है
बस
उस मूक शिला के अवगुण्ठन में
कुछ मधु-क्षण उदास हैं
शायद एक अंतराल के बाद
वो प्रणय पल
शिला में खो जायेंगे
तुम्हें न पाकर
अधरों पर प्रेमाभिव्यक्ति के स्वर भी
अवकुंचित होकर शिला हो जायेंगे
लेकिन पाषाण हृदय पर
कहाँ इन बातों का असर होता है
घाव कहीं भी हो
उसे नेत्र जल ही धोता है
उच्च पर्वत शिखरों के मध्य
दूर अन्नंत में विलुप्त होती राह
हमारी स्मृतियों की धरोहर हो गयी है
मेरे काजल युक्त अश्रु मेघों से तुम्हें
मेरी हृदय पीड़ा का आभास हो जाएगा
व्योम के इन्द्रधनुष का हर रंग
मधु क्षणों को दोहराएगा
मेरे याचक नयनों की मौन अभिलाषा
तुम्हारी नयन देहरी तक
ये पवन ले आयेगी
देखो तब
सजल नयनों के
मौन निमन्त्रण को स्वीकार कर लेना
अपनी प्रेयसी के
विरही एकाकी पलों को
अपने स्नेह रस से भर देना

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 439

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on November 20, 2014 at 6:26pm

आदरणीय  लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी रचना पर आपकी मधुर प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on November 20, 2014 at 6:25pm

आदरणीय योगराज प्रभाकर जी रचना पर आपकी ऊर्जावान  प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on November 20, 2014 at 6:23pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव     जी रचना पर आपकी मधुर प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार। 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 20, 2014 at 10:22am

भावपूर्ण लाजवाब रचना मन को छू गई | हार्दिक  बधाई श्री सुशील सरना जी 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 19, 2014 at 11:25am

बहुत खूब आ० सरना जी। बहुत सुन्दर और भावपूर्ण हेतु  बधाई स्वीकारें।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 18, 2014 at 6:39pm

आमीन i ईश्वर आपकी अदम्य अभिलाषा पूरी करे i

Comment by Sushil Sarna on November 18, 2014 at 1:31pm
आदरणीया rajesh kumari जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 18, 2014 at 11:17am

बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति ..हार्दिक बधाई आ० सुशील सरना जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service