ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे की पचासवीं क़िस्त में शामिल ग़ज़लों का संकलन पेश कर रहा हूँ| जो मिसरे लाल रंग में हैं, बेबहर है और जो नीले रंग में हैं उनमे कोई न कोई ऐब है| मुशायरे में गज़लें जिस तरतीब में आईं थीं उन्हें उसी स्थान पर रखा गया है|
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ASHFAQ ALI
 क्या कभी सोंचा है तुमने ऐश फरमाने के बाद
 अपनी नज़रों मैं भी उठ पाओगे गिर जाने के बाद
इक नज़र देखा था जिसको मैंने दिल आने के बाद
 देखते हैं आज भी वो मुझको शर्माने के बाद
इश्क में जब मिल गई मेराज की मंजिल मुझे
 शम्मा भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद
दर-ब-दर की खाक छानी आये है दर पर तेरे
 अब वफ़ा के मुन्तजिर हैं सर को टकराने के बाद
आज भी तुम रास्ता भटके हो शायद इसलिए
 बात जो मानी नही रहबर की समझाने के बाद
जा रहे हो तुम अगर तो बात सुन लो गौर से
 लौट कर घर आओगे इक रोज़ पछताने के बाद
वहशते दिल तू मुझे चाहे न चाहे और बात
 मैंने चाहा है तुझे इस उम्र में आने के बाद
दास्ताने ग़म सुनी तो सब की आंखें भर गयीं
 मुद्दतों रोया करेंगे मेरे अफ़साने के बाद
ज़िन्दगी भर जिसको "गुलशन" पूछता कोई नही
 जान देते हैं उसी पर लोग मर जाने के बाद
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गिरिराज भंडारी
 क्या समझता कोई मेरी बात अना छाने के बाद
 दूरियां बढ़ती गईं इतने करीब आने के बाद
दिल अभी सँभला हुआ है खूब समझाने के बाद
 हिचकियाँ रुक जायेंगी खुद, रू ब रू आने के बाद
है निशाना कौन तेरा सोच ले इक बार तो 
 फिर न लौटेगा ये तेरा तीर चल जाने के बाद
घर के हर कोने में है, तेरी छुवन, खुशबू तेरी
 मैं कहाँ तन्हा रहा दिल से तेरे जाने के बाद
खूब गुर्राया था सूरज आसमाँ में दो पहर
 देख फ़ीका हो गया है, बदलियाँ छाने के बाद
तोड़ के मायूसियाँ शायद परिंदे आ गये
 बन रहे हैं घोंसले कुछ, बाग़ जल जाने के बाद
शेर, पीछे हिरणियों के खेलने दौड़ा नहीं
 वो झपट्टा मार लेगा उनके थक जाने के बाद
क्यों न मानूँ ,मय ख़ुदा ने ख़ुद दिया है प्यार से 
 याद आती है मुझे मस्ज़िद की मयखाने के बाद
इश्क की किस्मत में शायद जल के मरना था लिखा
 "शमअ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद "
जो इशारों को समझ लेते हैं, सब बदले लगे 
 बाक़ी सब आँखें खुलेंगी ठोकरें खाने के बाद
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 भुवन निस्तेज 
 इस किले की ज़द में है तहखाना तहखाने के बाद
 है दबी खामोश सिसकी जिनमें वीराने के बाद
हुक्मरां का हुक्म है सारे सितम ढाने के बाद
 उफ़ नहीं करना बिना कारण सजा पाने के बाद
दफ्न जीते जी करें खुद को हुनर ये कम न था
 साहिबों कुछ यूँ किया हमनें उन्हें पाने के बाद
खेत में पड़ती दरारें देख सूरज हँस रहा
 अब बरस जाये ये बादल इतना तरसाने के बाद
कोई कह दे उस सियासतदां से जाकर आज तो
 सनसनी है खौफ़ है क्यों आपके आने के बाद
अब नहीं होता भुवन हमसे तमाशा रोज़ का
 रोज करना आचमन औ’ होम पैमाने के बाद
वो कसीदे रात के ही पढ़ रहा है बज़्म में
 कुछ असर तो है अँधेरे ने किया छाने के बाद
बंद पिंजरे में वो चिड़िया ये गिला करती रही
 कैद है सैयाद ने मुझको किया गाने के बाद
जब तलक परदे में थे घर था, थी घर की आबरू
 सब नुमाया है हुआ पर्दा सरक जाने के बाद
उस मुसाफिर ने नजाने रात की किस शह्र में
 जो सफ़र में चल दिया पल भर को सुस्ताने के बाद
इश्क़ में कुर्बानियों के अब सबब क्या ढूँढने
 शमअ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद
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 Mukesh Verma "Chiragh" 
 ज़िंदगी ये कब रुकी है ज़लज़ले आने के बाद
 उठ खड़ी होती है फिर से ठोकरें खाने के बाद
शर्म का घूँघट पड़ा है यक-ब-यक कैसे हटे
 मान जाएगी हसीना थोड़ा शरमाने के बाद
वक़्त की क़ीमत को समझो मत इसे ज़ाया करो
 काम पर लग जाओ बेटा थोड़ा सुस्ताने के बाद
दूर तक पानी ही पानी बह गये हैं आसरे
 फिर बसेंगी बस्तियाँ पानी उतर जाने के बाद
इश्क़ ले आया उसे फिर मौत के आगोश में
 फड़फड़ा कर रह गया वो होश में आने के बाद
उसकी क़िस्मत में है जलना, फ़र्ज़ अपना मानकर
 "शम्अ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद"
इश्क़ हैरत में है बाज़ी लग गयी दौलत के हाथ
 दिल समझता ही नहीं कम्बख्त समझाने के बाद
इश्क़ में नाकाम आशिक़ लोग कहते हैं चिराग
 दिखता है मैखाने में अब शाम ढल जाने के बाद
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 Saurabh Pandey 
 चाँदनी खुश्बू हवाओं का असर छाने के बाद 
 किस तरह ये चुप रहेगा.. दिल भला आने के बाद ?
मध्य अपने था समन्दर पर नहीं मालूम था 
 ये पता भी कब हुआ ? सहरा से याराने के बाद !
देखता हूँ बारहा अब आईने में ग़ौर से 
 इक नया परिचय हुआ है प्यार हो जाने के बाद
आपसी सम्बन्ध की ये डोर कुछ उलझी रहे 
 क्या करेंगे अन्यथा हम.. डोर सुलझाने के बाद ?
एक तारे के सहारे कर चुके जब तय सफ़र 
 दिख रहा है चाँद अब सबकुछ गुजर जाने के बाद
इस लिखे से काश ये दीवान मेरा खत्म हो -
 ’शम्अ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद’
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 वेदिका 
 रह गया बाकी नही कुछ भी तुझे पाने के बाद
 हो गये रोशन दिए घर में तेरे आने के बाद
 
 बाग़ क्या इससे जियादा और तो कुछ भी नही
 तेरी ही मासूमियत गुलज़ार खिल जाने के बाद
 
 कौन सा यह जाल है कमबख्त सौतन का हुनर
 है उलझता ही दिखे सौ बार सुलझाने के बाद
 
 दिल्लगी थी या कि दिल की ही लगी अब जो भी हो
 शमअ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद
 
 देखिये तो कह रहा तारों भरा उजला गगन
 गुल खिलेंगे वेदिका इस बार वीराने के बाद
 
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 ASHISH ANCHINHAR 
 कर्ज भी आता है उसके घर मे कुछ दाने के बाद 
 खेत भी बिक जाता है हल के निकल जाने के बाद
मैं तो पूरा था उसे खोकर भी सच कहता हूँ ये
 कुछ अधूरा सा लगा दुनियाँ में कुछ पाने के बाद
आ गया सलीका कुछ कुछ प्यार का ये देख कर
 शम्अ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद
सेब भी अंगूर भी तरबूज भी खरबूज भी
 चल दिया वह धान-गेहूँ-बाजरा खाने के बाद
राजा चुप है रानी चुप है मंत्री जी भी चुप हुए
 यूँ समझिये चुप हुआ सब अच्छे दिन आने के बाद
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 Nilesh Shevgaonkar 
 मै समझ पाया जो सारी उम्र पछताने के बाद,
 बात तुम वो ही न समझे लाख समझाने के बाद.
 
 झील में था चाँद उतरा रात गहराने के बाद,
 तुम मेरी आँखों में आए, आँख भर आने के बाद.
 
 फ़ैसला इक ड़ोर में बंधने का दोनों ने लिया, 
 तुम सुलझना चाहते हो मुझ को उलझाने के बाद. 
 
 सच ने कब बदली हैं शक्ले, मानिए, मत मानिए,
 हो गए सच्चे सभी इक सच को झुठलाने के बाद.
 
 शक्ल पर कुछ और है लेकिन ज़ुबां पर और कुछ, 
 हौसले की बात, वो भी ख़ुद से घबराने के बाद.
 
 बात पर कायम तो रहिये, क्या सुने हम आपकी? 
 आप ख़ुद भरमा गए हैं सबको भरमाने के बाद. 
 
 अनकहे जज़्बात से कोई उन्हें मतलब नहीं, 
 बस क़रार आता है उनको अपनी मनवाने के बाद.
रात भर पिघली, तड़पकर सिसकियाँ लेती रही
“शमअ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद.” 
 
 “नूर” सबके काम ने ही तय किया सबका मेयार,
 वो मसीहा हो गया सूली पे चढ़ जाने के बाद. 
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 laxman dhami 
 कौन सॅभला प्यार में यूँ ठोकरें खाने के बाद
 बढ़ नशा जाता है खुद ही जाम छुट जाने के बाद
खुद भी तड़पोगे किसी को यार तड़पाने के बाद
 शमअ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद
 
 उड़ गयी खुशबू हवा में फूल मुरझाने के बाद
 दे गयी गुल को उदासी बुलबुलें गाने के बाद
 .
 यूं बहुत हमराह मिलते राह पर आने के बाद
 याद किसको कौन रखता मंजिलें पाने के बाद
 
 आँख तो खामोश बैठी यार उकसाने के बाद
 मन उलझ के रह गया पर जुल्फ सुलझाने के बाद
 
 कितने दिल घायल न पूछो जुल्फ खुलजाने के बाद
 बात जब कोई न मानी लाख समझाने के बाद
 
 मंदिर-ओ-मस्जिद मिलेंगे यार मयखाने के बाद
 सिर झुकाने को न कहना तू नशा छाने के बाद
 
 मानने हम भी लगे थे तेरे समझाने के बाद
 उठ गया फिर से भरोसा बस्ती जल जाने के बाद
 
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 rajesh kumari 
 ढूँढते नूरे तबस्सुम क्यूँ सितम ढाने के बाद
 हाथ मलते ही मिले हैं लोग पछताने के बाद
क्या मिलेगी पाक़ नक़हत रूह झुलसाने के बाद?
 खिल नहीं सकता दुबारा फूल मुरझाने के बाद
मुन्तज़िर पलकें बिछाई शाम ढल जाने के बाद
 ख़्वाब बहता नीर सा कब रुक सका आने के बाद
कैद करना चाहती थी नील झीलों में उसे
 मनचला था चल दिया कुछ देर सुस्ताने के बाद
खींच लाएगी तुझे मेरी मुहब्बत की कशिश 
 जैसे फिर फिर लौटती है मौज टकराने के बाद
क्या अजब गर मैं जलूँ दिन रात तेरी चाह में
 शमअ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद
आज आँसू क्यूँ बहाते हो दिखाने के लिए
 खो दिया जब मीन को बिन नीर तड़पाने के बाद
नीड से होकर जुदा पंछी उड़ेगा कब तलक 
 लौट आएगा जवाँ परवाज़ ढल जाने के बाद
 
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 शकील समर 
 फूट कर रोया था मैं तेरे चले जाने के बाद
 पर सहारा मिल न पाया इक तेरे शाने के बाद 
मेरी सांसों में मिलाकर सांस अपनी सोचना
 क्या कोई ख्वाहिश है बाकी ये असर पाने के बाद
मैं तो खैर उसका था, उसका ही रहा, पर देखिए
 वो किसी की हो न पाई मुझको ठुकराने के बाद
तुमको क्या मालूम क्या-क्या जुल्म मौसम ने किया
 तुम तो मेरे पास आए हो समर आने के बाद 
प्यार है मुझसे तो फिर ये जीते जी एहसास दो
 यूं तो सब रोएंगे इक दिन मेरे मर जाने के बाद
मर भी जाए कोई फिर भी जिंदगी रुकती नहीं
 शमअ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद
रिज्क मुझको देते रहना मेरे मौला उम्र भर 
 शुक्रिया तेरा अदा करता हूं हर खाने के बाद
शायरी सुनकर मेरी हंस के कहा अब्बू ने ये
 फख्र है तुझ पर ऐ बेटे ये हुनर आने के बाद
इस अदालत पर मुझे आने लगा है अब तरस
 छुट गया इज्जत का कातिल सिर्फ हर्जाने के बाद
लोगों से वो कह रहा दोषी न छोड़ा जाएगा
 जो वहां से हट गया था दंगा भड़काने के बाद
यूं उलझकर याद में रोया न कर, लेकिन 'समर'
 सीख ये दुनिया को देना खुद को सुलझाने के बाद
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गिरिराज भंडारी
 नाम जो लेते दुआ को हाथ उठ जाने के बाद
 ये ग़ज़ल होगी मुक़म्मल नाम वो आने के बाद
ऐ ख़ुदा तूने बनाया ही भला इंसान क्यों 
 दिल ये मेरा पूछ्ता है , ख़ामुशी छाने के बाद
हो क़रीबी चाँद से , पर पास तारों का रहे
 ये ही काम आयेंगे तुमको, चाँद छिप जाने के बाद
हैं कहीं वीरानियाँ जैसे ये वीराँ दिल हुआ
 कोई वीराना बताये मेरे वीराने के बाद
दोस्त तेरी बातों में क्या दुश्मनों का है दखल 
 बेबसी बढने लगी क्यों तेरे समझाने के बाद
शुक्रिया ऐ दोस्त , दे के ज़ख्म साथी दे दिया
 दर्द रहता साथ है तनहाइयाँ छाने के बाद
आज पत्थर मार लो दीवानगी को , ठीक पर
 एक दिन दीवानगी ढूंढोगे , दीवाने के बाद
जो जलाया वो जले जब है यही इंसाफ़ तो
 "शम्अ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद "
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 Dayaram Methani 
 जिन्दगी आई समझ में ठोकरें खाने के बाद,
 चाह जागी है जीने की अब तुझे पाने के बाद।
भूख से बेचैन बच्चे रो रो कर ही सो गये,
 होंश तुमको था कहां आये सहर होने के बाद।
बेवफा तुम हो गये पर हम भुला पाये कहां
 शम्अ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद।
गिर गये है आप अपनी नजरों में ही आजकल,
 छल कपट से लूटने के कर्म अपनाने के बाद।
हाल दिल का क्या बताये हम किसी को ‘‘मेठानी’’,
 होंश में आये है हम सब कुछ तो लुटवाने के बाद।
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 कल्पना रामानी 
 दृग खुले रखना किसी बेदिल पे दिल आने के बाद।
 जग नहीं देता सहारा, पग फिसल जाने के बाद।
बाँध लो प्रेमिल पलों को, ज़िंदगी भर के लिए।
 गुल नहीं खिलते कभी, इक बार मुरझाने के बाद।
सब्र से सींचो हृदय में, प्रेम रूपी बीज को,
 ख़ुशबुएँ देता रहेगा, फूल-फल जाने के बाद।
प्यार है तुमसे मुझे, पर खार करता है जहाँ,
 इसलिए अब हम मिलेंगे, रात गहराने के बाद।
चलते-चलते तुम मिले, महका अचानक मन चमन,
 अब नहीं बाकी तमन्ना, प्रिय तुम्हें पाने के बाद।
देखकर वो माजरा मन भर गया अब प्रेम से,
 "शमअ भी जलती रही, परवाना जल जाने के बाद”
कल करेंगे ‘कल्पना’, हम आदि से कहते रहे,
 कब मिला वो ‘कल’ हमें, यह ‘आज’ टरकाने के बाद।
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मोहन बेगोवाल
 हम बताएं क्या मिला था जो तेरे आने के बाद l
 दिल न चाहे फिर कहे तुझ को वो कह जाने के बाद l१
खोल क्यों तुम ने रखे हैं दर ये अपने चारों पहर ,
 धुप तो बस दिन,चढ़े कब रात ढल जाने के बाद l२
जब लिखें कुछ ऐसा लिखना हो गज़ल या कोई गीत, 
 गुनगुनाएं लोग उनको उन तलक जाने के बाद l ३
दिल कहाँ से मैं वो लाऊँ साथ जो तेरा दे पाए,
 गाँव मेरा जो दि खाए शहर बन जाने के बाद l ४
कौन अपना है हुआ, हम से पराया भी है कौन 
 जिन्दगी को वो मिला, क्या दूर हो जाने के बाद l ५
क्या बताऊँ बस रहा ऐसा अभी तक उस का सफर, 
 शमअ भी जल ती रही परवाना जल जाने के बाद l ६
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 वेदिका 
 छोड़ दिलबर चल दिया लाखों सितम ढाने के बाद
 और हम बुद्धू कहाए लौट घर आने के बाद
 
 आजकल बिगड़ा हुआ सबका यहाँ ईमान है
 कौन छोड़े राज अपना तख्त हथियाने के बाद
 
 ये मेरा दावा है जो झूठा पड़े तो जो कहो
 लौट ही आओगे तुम इक रोज पछताने के बाद
 
 इस बुलंदी की कथा के सैकड़ों तो ठौर हैं
 जाम पर है जाम फिर भी प्यास पैमाने के बाद
 
 जल गयी रातें सुहानी दिन सुनहरे गल गये
 बेवफा जब हँस दिया वादे वो झुठलाने के बाद
 
 चाँदनी की रौशनी से रूह भी जलती रही
 शमअ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद
 
 शौक ही बन कर महज़ हम रह गये थे वेदिका
 वे झटक दामन गये थे इश्क फरमाने के बाद
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 शिज्जु शकूर
 देर तक रोती रही मुझको वो तड़पाने के बाद
 जैसे गरजी और बरसी हो घटा छाने के बाद
वो न जाने किस नजासत से गुज़र आया कि आज
 भूल बैठा बुतक़दे की राह मैखाने के बाद
बेबसी थी और क्या इसके सिवा होता कि ये
 “शम्अ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद”
लौट आया प्रश्न मेरा मुझ तलक ही आखिरश
 यूँ हुई ये बाज़गश्त आवाज़ टकराने के बाद
बज़्म की आराइयाँ आँखों में चुभती हैं मेरी
 और भी ज्यादा मचलता हूँ यहाँ आने के बाद
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 Gajendra shrotriya 
 फिर नही आता फ़लक से कोई भी जाने के बाद 
 मैं बहुत रोया उसे ये बात समझाने के बाद
बाँट कर खुशियां सभी का दर्द अपनाने के बाद 
 लुत्फ़ आया ज़िन्दगी में ये हुनर आने के बाद
रूह में तेरा मुक़द्दस नूर आ जाने के बाद 
 और क्या पाना मुझे या रब तुझे पाने के बाद
वो नफ़स औ आब-दाना गिनके करता है अता 
 उड़ ही जाता है परिंदा आखरी दाने के बाद
माँ परिण्डे बाँधती थी जिस शज़र की शाख से 
 बाबूजी गुमसुम रहे वो पेड़ कटवाने के बाद
जाग जाता है तसव्वुफ़ देखकर जलती चिता 
 फिर जहानी लोग हो जाते हैं घर जाने के बाद
दूर ही रखना जरा ये हाथ हमदर्दी भरा 
 दर्द बढ़ जाता है अक्सर ज़ख्म सहलाने के बाद
मैं हवा बनकर कभी छूने को आऊँगा तुझे 
 घर खुला रखना लहद में मुझको दफनाने के बाद
दाद के काबिल हुए जो हाथ उनके कट गए 
 शाह दुनियां में अमर है ताज़ बनवाने के बाद
आसमाँ में लाख तारे टिमटिमाते हो भले 
 नूर बढ़ता है फलक का चाँद के आने के बाद
वो पतंगा दे गया कैसी कसक दिल में उसे 
 "शम्अ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद "
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 AVINASH S BAGDE
 याद आती ही रहेगी आप के जाने के बाद
 किस तरह खो दें तुम्हे हम इस तरह पाने के बाद।
 
 याद में परवाने के वो शमअ क्या करती भला
 "शमअ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद "
 
 हमल में ही मार कर इन लड़कियों की जात को
 फिर किसे अम्मी कहोगे सब फ़ना होने के बाद।
 
 वहशतों की तुम इबारत लिख रहे हो बारहा ,
 सोच कर जन्नत मिलेगी तुम को मर जाने के बाद !!
 
 फूल पर बैठा था भौंरा पत्तियाँ खामोश थी ,
 पत्तियां ने की खिंचाई उसके उड़ जाने के बाद।
 
 अब बयानों पर बावलों के बवंडर उठ रहे ,
 क्यों जुबानें चल रहीं हैं अच्छे दिन आने के बाद।
 
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 Abhinav Arun 
 रास्ते में हर क़दम पर ठोकरें खाने के बाद |
 होश आया है मुझे मंज़िल गुज़र जाने के बाद |
आदमी समझा था जिसको वो मदारी था मियाँ,
 असलियत पर आ गया वो मुझको बहलाने के बाद |
है नहीं आसान प्यारे, ज़िंदगी का इम्तेहान,
 आएगा पर्चा समझ, पर थोड़ा भरमाने के बाद |
बैग में छोटी छुरी और लाल मिर्ची पाउडर,
 बेटी को, माँ ने दिया था थोडा घबराने के बाद |
ख़ूबियों के ख़त्म होने का कोई मौसम नहीं ,
 खुशबुएँ रह जाएँगी फूलों के मुरझाने के बाद |
वस्ल के उस एक लम्हे का असर तो देखिये,
 शमअ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद |
जाने किस एहसास ने उसको परेशां कर दिया,
 उसने गहरी सांस ली मेरी ग़ज़ल गाने के बाद |
आपकी रुसवाइयां, शिकवे, गिले, नादानियाँ
 एक एक कर याद आये आपके जाने के बाद |
और बढ़ जाती हैं उस अल्लाह से नज़दीकियाँ,
 आदमी होता फ़रिश्ता इश्क़ हो जाने के बाद |
नौनिहालों को सिखाना भी हमारा फ़र्ज़ है,
 शेर वो भी कह सकेंगे हौसला पाने के बाद |
हैं कठिन हालात लेकिन काम लेना सूझ से ,
 माँ परेशां हो गयी बेटी को समझाने के बाद |
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 laxman dhami 
 याद किसको, क्या हुआ कब होश में आने के बाद
 इसलिए सॅभला न कोई ठोकरें खाने के बाद 
 
 क्या बुरा जो वो ही तड़पे मुझको तड़पाने के बाद
 शमअ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद 
 
 जब तलक था वो सलामत हर तरफ से खींच तान
 राहतों का दौर आया टूट दिल जाने के बाद 
 
 जो मजा पगडंडियों में राजपथ पर कब नसीब
 फिर भटकना याद आया राजपथ पाने के बाद 
 
 जब तलक मिलना नहीं था थी कशिश भी बेहिसाब
 वो कशिश जाती रही अब यार खुल जाने के बाद 
 
 बढ़ रहा है धन हमारा अब तो यारो रोज रोज
 मुफलिसी में दिल किसी के नाम लिखवाने के बाद 
 
 इस चमक में आ न जाना ये चमक फीकी है यार 
 यह शहर मुर्दा लगेगा रौशनी जाने के बाद 
 
 रतजगे यूँ तो किए थे चाँद को हमने तमाम 
 नींद पर आती नहीं अब चाँद के जाने के बाद
 
 यूँ तो अपने सर खड़ी थी जिंदगी भर तेज धूप
 प्यास का अहसास जागा बदलियां छाने के बाद 
 
 भूलने देता ही कब है बनके यारो गम गुसार
 दाग जो बाकी बचा है जख्म भर जाने के बाद 
 
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 Dr Ashutosh Mishra 
 जिन्दगी में क्या रखा है यार मैखाने के बाद 
 चाहिए बस हमको पैमाना ही पैमाने के बाद
थाम कर उंगली नहीं चलती हैं नस्लें आज की 
 चाहती हर बात सीखें ठोकरें खाने के बाद
जिन्दगी की दौड़ का हमने लगाया जब हिसाब 
 दूरियां हासिल में आयीं मंजिलें पाने के बाद
चाँद जब तक सामने था कुछ कदर तुमने न की 
 चांदनी क्या ढूंढते हो बदलियाँ छाने के बाद
दोस्ती ऐसी भी क्या पहचान ही अपनी न हो 
 सोच दरिया रो उठा सागर में मिल जाने के बाद
नाज नखरे आज अपने तुम दिखाती हो बहुत 
 बढ़ के दामन थाम ले जो कौन दीवाने के बाद
दास्ताँ सागर की सुनकर शमअ के बदले मिजाज़ 
 शमअ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद
खिड़कियाँ तो बंद दिल की दर मगर घर के खुले 
 सोचते शायद वो आये हुश्न ढल जाने के बाद
अब नहीं मिलता सुकूं बस करके बातें आपसे 
 ये लगी दिल की बुझेगी आप के आने के बाद 
 
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 AVINASH S BAGDE 
 आज फिर से क्यों पिलाई लाख समझाने के बाद।
 देह बेकाबू हुई है सर ये चकराने के बाद।
 
 कह रही दीवारो-दर ये तुझसे मयखाने की सुन ,
 याद क्या किसको रहा है जाम टकराने के बाद।
 
 आँख से तूने पिया है या पिया है जाम से ,
 होश तुझको कब रहा है जुल्फ लहराने के बाद !
 
 साथ हाला,हाथ प्याला,और शिवाला बात में ,
 ऐसी मधुशाला-ए-बच्चन होश में आने के बाद।
 
 मय ,सुराही और प्याला देखतें हैं प्यार से ,
 बारहा आशिक की अपने जेब कट जाने के बाद !
 
 कितने परवाने शमा का जाम ले रुखसत हुए ,
 "शमअ भी जलती रही परवाना जल जा/ने के बाद "
 
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 वेदिका 
 
 देखिये तो क्या मजा आता नशा छाने के बाद
 नालियों में सो रहे हैं धुत्त मयखाने के बाद
 
 लाल चेहरा हाथ नीले और फूटी खोपड़ी
 आ रहे थे जख्म लेकर सुबह से थाने के बाद
 
 आ रहे है झूमते गाते अरे नस्सू मियाँ
 जोर से हँसते हुए ये आब चढ़ जाने के बाद
 
 अन्न के लाले पड़े है फिर भी बोतल चाहिए
 आयेगा क्या होश भी सब कुछ बिखर जाने के बाद
 
 कोई इज्जत ही नही बच्चों में भी परिवार में
 फिर रहे किस काम वो जूतियाँ खाने के बाद
 
 खिलखिला कर झूम कर आकाशगंगा घूम कर
 आओगे श्रीमान धरती पे ही इतराने के बाद
 
 जो मिले इनको हँसे और दूर से पहचान कर
 खूब लेता चुटकियाँ दे तालियाँ ताने के बाद
 
 क्या पता शर्मिंदगी या इम्तेहा थी प्यार की
 शमअ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद
 
 भाँग गांजा फिर चरस में मिल गयी कोकीन भी
 है बहाना क्या करे इन्सान थक जाने के बाद
 
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 Nilesh Shevgaonkar
 
 जो हवाओं की तरफ़ थे आग भड़काने के बाद,
 अम्न की करते हैं बाते, राख़ उड़ जाने के बाद. 
 
 इक चमकती रूह की लेकर तलब दाख़िल हुए, 
 गंगा से आए निकल बस जिस्म चमकाने के बाद. 
 
 पी रहा था बस तभी साक़ी से नज़रे जा मिली, 
 एक मैख़ाने में डूबा, एक पैमाने के बाद. 
 
 जिस्म की इस क़ैद से जब रूह ये होगी रिहा, 
 आसमां सातो नपेंगे दम निकल जाने के बाद. 
 
 यार बन के वार उसने पीठ पर मेरी किया, 
 मैं रफ़ू करवाऊँगा दिल, ज़ख्म सिलवाने के बाद.
 
 बात अपनी भी कहूँगा पहले तू अपनी सुना, 
 मै बताऊँगा हक़ीक़त तेरे अफ़साने के बाद.
 
 आशिक़ी दीवानेपन में कम नहीं कोई कहीं, 
 शमअ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद.
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 Amit Kumar "Amit" 
 जल गया बेख़ौफ़ होकर हुस्न सहलाने के बाद I
 मिट गया लब चूम कर कुछ देर मुस्काने के बाद II१II
 
 बे-अदब आशिक जलाने हैं फ़क़त ये सोच के I
 "शमअ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद "II२II
 
 शमअ ने मजनूँ मिटाये सैकड़ों जब इस तरह I
 बन गईं लाखों ग़ज़ल बेदर्द अफ़साने के बाद II३II
 
 हर तरह बे-आबरू होता रहा ता-उम्र जो I
 बढ़ गई इज़्ज़त महज़ दिलदार कहलाने के बाद II४II
फड़फड़ाती है बहुत वो दर्द में पर क्या करे I
पोंछती है अपने आंसू छुप के लहराने के बाद II५II
 
 हैं फ़क़त ररुस्वाइयाँ हीं क्यों नसीबे इश्क मैं I
 कुछ नहीं हासिल कभी महबूब ठुकराने के बाद II६II
 
 रात थक कर कह रही थी अब बुझा भी दो मुझे I
 मैं "अमित" कब तक जलूँगी अपने परवाने के बाद II७II
 
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 Atendra Kumar Singh "Ravi" 
 यूँ मुहब्बत घुट रही है उनके तड़पाने के बाद
 रात भी खामोश है दिन के उतर जाने के बाद ।
वो गये तो क्यूँ लगा जैसे कोई अपना गया है
 नींद भी अर्पित किया सपनों में आ जाने के बाद ।
दिल लगाने की सजा तो आज उसने दे दिया
 मिल गयी हमको भी कीमत उनको अपनाने के बाद ।
आज फ़िर मंजर वही बस पास आ जाते जरा
 गूँजती वो धुन फिज़ा में राग मिल जाने के बाद।
क्या क़यामत दिन थे वो भी बन गयी जो दासतॉं
 शमअ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद ।
प्रेम कोई क्या करेगा आज के इस दौर में
 दूसरी राधा कहॉं हैं आज बरसाने के बाद ।
वो दिये झूठे तसल्ली हम चलेगें साथ तेरे
 दो कदम भी चल सके ना इश्क़ फ़रमाने के बाद ।
गम मिला है दिल को देकर मिल गयी सौगात क्या
 हँस रहे हैं देखकर यूँ अपने नज़राने के बाद ।
प्यार करना जुर्म है तो जुर्म हमसे हो गया
 चैन उनको अब मिला यह बात मनवाने के बाद ।
चॉंदनीं में यूँ नहाकर प्यार के खिस्से बनें
 तैरते अब भी फ़िजॉं में शाम ढल जाने के बाद ।
प्यार के अब नाम पर यूँ आज बस कहना यही
 चैन अपने पास रखना 'रवि' के समझाने के बाद ।
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 Ashok Kumar Raktale 
 आज मीठे बोल बोली वक्त पर आने के बाद,
 प्यार आया है उसे भी हाथ गरमाने के बाद |
जेब मेरी देखती ही रह गई बस आज तो ,
 लौट कर आया नहीं कतरा भी इक जाने के बाद |
प्यार का दस्तूर है बस तोहफे दे रात दिन,
 एक मीठी सी हँसी है प्यार बस पाने के बाद |
गुमशुदा ही हो गया हूँ आज मैं इस प्यार में,
 खोजता हूँ मैं मुझे ही दिल के वीराने के बाद |
प्यार में उसकी तड़प बतला रही है रोशनी,
 शमअ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद |
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 Saurabh Pandey 
 
 चिलचिलाती धूप से रह-रह मिले ताने के बाद 
 आ गये फिर दिन सुहाने, मेघ के छाने के बाद
एक दिन की बादशाहत चढ़ न जाये इस कदर 
 पाँच वर्षों तक घिसें.. फिर वोट दे आने के बाद
जो जमीनी लोग हैं उनका चलन कुछ और है 
 भूल जाते हैं मगर बोतल नयी पाने के बाद
बेतुकी परिपाटियाँ के चोंचले भी खूब हैं 
 पूजती हैं कृष्ण-राधा बेटियाँ खाने के बाद
भावनाओं की चिता में बैठ कर चुपचाप, ये-- 
 शम्अ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद
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 arun kumar nigam 
 याद तुम हमको करोगे बज़्म से जाने के बाद 
 रंग लाता था दीवाना बज़्म में आने के बाद
मुँह छुपाये फिर रहा वो मूँछ मुड़वाने के बाद 
 शर्त कल जो हार बैठा, जाम टकराने के बाद
झुरझुरी को जिस्म की समझो न हरदम इश्क है 
 डॉक्टर डेंगू बताते रक्त जँचवाने के बाद
खेल समझा था बिसातों को बड़ा धोखा हुआ 
 अक्ल की बिजली हुई गुल पटखनी खाने के बाद
यूँ न इतरा फैसले पर जो तेरे हक में गया 
 इक अदालत और बाक़ी कचहरी थाने के बाद
वक़्त था जब जागने का आप सोते ही रहे 
 फाख्तों को क्या उड़ाते खेत चुग जाने के बाद
क्या मजा आता अगन में राज पाने के लिये 
 शमअ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद
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 शिज्जु शकूर
 इक नई उलझन में हूँ मैं एक सुलझाने के बाद
 दामे ग़म में फँस गया फिर से निकल आने के बाद
चोट सहकर भी मैं चुप हूँ ये तबीयत है मेरी
 हाँ मगर हैरत हुई उसको सितम ढाने के बाद
इश्क़ में परवाने को जलना तो था ही एक रोज़
 “शम्अ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद”
गौर से देखो सितारों की तरफ ऐ दोस्तो
 राहबर होते हैं ये ही रात गहराने के बाद
नज़्र करता हूँ तुम्हे हर लफ़्ज़ मैं ऐ हमनफ़स
 ये ग़ज़ल मक़बूल होगी मेरे नज़राने के बाद
ये मुहब्बत मोजिज़े क्या-क्या दिखाती है “शकूर”
 खिल उठा है धूप मे इक फूल मुरझाने के बाद
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 भुवन निस्तेज 
 ये सिला पाया है शौक-ए-इश्क़ फ़रमाने के बाद
 मैकदा, साकी है औ पैमाना पैमाने के बाद
इश्क़ में मायूसियाँ-नाकामियाँ छाने के बाद
बेवफा को हम नहीं भूले वफ़ा पाने के बाद
दिल्लगी होगी अदावत यार याराने के बाद
 और अब क्या नाम दोगे हम को बेगाने के बाद
गुल तबस्सुम के खिलें भी आज मुरझाने के बाद
 "शमअ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद"
कुछ जियादा ही भरोसा मैंने मुंसिफ पर किया
 पेश की अपनी दलीलें फैसला आने के बाद
रहबरी औ रहजनी में कुछ तो यारों फ़र्क हो
 वर्ना क्या किस्सा कहेंगे राह कट जाने के बाद.
उस मदारी का जमूरा खुद मदारी बन गया
 खूब होगा अब तमाशा तालियाँ पाने के बाद
 
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 वेदिका 
 पश्चिमी देशों की विकृत सभ्यता आने के बाद
 सब सुकूं पाने लगे हैं खूब चिल्लाने के बाद
 
 बाग़ में खुशबु का आलम फूल मुरझाने के बाद
 शमअ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद
 
 पीर परिजन की सुनी कब हित पड़ोसी का किया
 हो गये हम वैश्विक तकनीक नव लाने के बाद
 
 एक चवन्नी से जियादा क्या मिला ठक रास से
 हाथ काले पाये काले शूज चमकाने के बाद
 
 नैन अपने आप में पूरी ही माला वर्ण की
 बोलता है मौन मानस देह थम जाने के बाद
 
 डूब गहरी साध ही मोती दिलाये वेदिका
 लौट खाली हाथ ही आओगे उकताने के बाद
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 गिरिराज भंडारी 
 कहकहों के दौर में कुछ वक़्त खो जाने के बाद
 किसने जाना क्या लगा है मरसिया गाने के बाद
झील की गहराइयों में अब अकेला डूब के
 वक़्फ़े माजी खोजता हूँ मैं तेरे जाने के बाद
अब न आंसू रुक सकेंगे , तेरे इन शानों बिना 
 अब दिलासा कौन देगा , मेरे घबराने के बाद
कुछ मुहब्बत की रवायत और कुछ थी बेबसी
 “शम्अ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद”
कुछ न कुछ तो ग़ुफ़्तगू में तल्ख़ियाँ शायद हुईं 
 शोर करती है लहर साहिल से टकराने के बाद
क्या तग़ाफुल मैं ग़रीबों की वफ़ा का कर गया
 शाह ने सोचा न होगा ताज बनवाने के बाद
रोकना है रोक मुझको वक़्त की मानिंद मैं 
 फिर न लौटूंगा कभी इक बार बह जाने के बाद
 
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 VISHAAL CHARCHCHIT 
 उनके आगे पीछे डिस्को रोज दिखलाने के बाद
 'लव यू' बोला हमने उनकी शादी हो जाने के बाद
उनका खत अब्बा के हाथों में पड़ा जो गलती से 
 भूत उतरा आशिकी का जूता खा जाने के बाद
उनके नखरे अल्ला - अल्ला भाव खाना भी गजब
 बन्द हो जाती मुहब्बत छींक आ जाने के बाद
लड़ - झगड़ खर्राटे लेती फिर भी कहते लोग हैं
 शम्मा भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद
जबसे बीवी को ये शक चर्चित किसी के इश्क में
 सूंघती है वो लिपिस्टिक रोज घर आने के बाद
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 laxman dhami 
 अश्क दे जाती है फिर फिर याद वो आने के बाद
 खो दिया है यार जिसको हमने फिर पाने के बाद 
 
 जानना सच हो, पिला पैमाना पैमाने के बाद
 दिल कहेगा सब गलत ही होश में आने के बाद 
 
 हमसे छूटी तो किसी के लग गयी यारो गले
 जाम उनके हाथ में था हमको समझाने के बाद
कौन उसका दर्द समझा कौन उसकी बेबसी
 शमअ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद 
 
 गम का तड़का साथ में हो तो खुशी दे लज्जतें
 कम मजा आता है यारो बस खुशी पाने के बाद
 
 टोकती थी रात-दिन जब खीझ आती थी हमें
 मोल ममता का है जाना माँ के मर जाने के बाद 
 
 दिल करे है उस कली के पाँव यारों चूम लूँ
 जो बहारें भूल खिलती है खिजाँ छाने के बाद 
 
 हौसला पावों को देना जब विवश चलने से हों
 इक चमन महका भी होगा हमको बीराने के बाद 
 
 है अभी छायी उदासी तो ‘मुसाफिर’ क्या हुआ
 खिलखिलाएगा कभी दिल रंज मिट जाने के बाद
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 shashi purwar 
 धूप सी मन में खिली है ,मंजिले पाने के बाद
 इन हवाओं में नमी है फूल खिल जाने के बाद १
जिंदगी लेती रही हर रोज हमसे इम्तिहान
 प्रीति ही ताकत बनी है गम के मयखाने के बाद २
छोड़िये अब दास्ताँ , ये प्यार की ताकीद है 
 नज्म हमने भी कही फिर प्रेम गहराने के बाद ३
तुम वहीं थे ,मै वहीं थी और शिकवा क्या करें
 मौन बातों की झड़ी थी ,खुद को बहलाने के बाद ४
प्यार का आलम यही था ,रश्क लोगों ने किया
 शम्मा भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद ५
खुशनुमा अहसास है यह बंद पृष्ठों में मिला
 गंध सी उड़ती रही है फूल मुरझाने के बाद ६
वक़्त बदला ,लोग बदले ,अक्स बदला प्रेम का
 मीत बनकर लूटता है , जाम छलकाने के बाद ७
प्रेम अब जेहाद बनकर, आ गया है सामने 
 वो मसलता है कली को ,हर सितम ढाने के बाद
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गिरिराज भंडारी
जो भी पाओगे कभी तुम बेखुदी छाने के बाद
 साथ जायेगी वही इक चीज़ मर जाने के बाद
खूब घूरा हूँ अँधेरा तब कहीं जा के मुझे
 रोशनी थोड़ी दिखी है खूब तरसाने के बाद
नाम ही तो बस बदलता है ख़ुदा के नूर का
 पर समझ आयी नहीं ये बात, समझाने के बाद
गर्दिशे दौंरा के फेरों से कभी आगे निकल
 बाक़ी सब भी जान लेगा , राह में आने के बाद
अनुभवों की बात ये होती है शायद , इसलिये 
 कोई समझा ही नहीं है लाख समझाने के बाद
मिट के पाना अस्ल में पाना रहा है , इसलिये
 “शम्अ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद”
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 कल्पना रामानी 
 आए थे बादल धरा पर, खूब तरसाने के बाद।
 पर हुए घर को विदा, जल स्रोत भर जाने के बाद।
शुष्क माटी नम हुई, हल-बैल-बक्खर चल पड़े,
 खिल उठा हर खेतिहर, अंकुर निकल आने के बाद।
झाँकने अमराइयों में लोग जाते हैं तभी,
 जब बुलाती कोकिला है, आम बौराने के बाद।
चार होते ही नयन, कर लो हजारों कोशिशें,
 त्राण है मुश्किल, नज़र का बाण चल जाने के बाद।
दो दिलों को मिलने तो देता नहीं ज़ालिम जहाँ,
 हाँ गढ़ा करता मगर, अफसाने अफसानों के बाद।
‘कल्पना’ यह क्यों हुआ, इस बात की परवा किसे,
 शमअ भी जलती रही, परवाना जल जाने के बाद।
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 आशीष नैथानी 'सलिल'
 डायरी पर लफ्ज़ उतरे तेरे घर जाने के बाद 
 और भी वीरानियाँ हैं, दिल के वीराने के बाद |
ऐसे सच को सच की नजरों से भला देखेगा कौन 
 सामने जो आएगा अखबार छप जाने के बाद |
ज़िद कहें बच्चों की या फिर कह लें हम मासूमियत 
 खेल खेलेंगे उसी मिट्टी में समझाने के बाद |
ज़िन्दगी बस दो सिरों के बीच फँसकर रह गयी
 तीसरी भी हो जगह घर और मैखाने के बाद |
छोड़ दें ढीला न यूँ रिश्तों को अब उलझाइये 
 रस्सियाँ सुलझी नहीं टूटी हैं उलझाने के बाद |
आपके इस शहर में हासिल हुआ ये तज्रिबा 
 रास्तों पर बुत मिले हर ओर बुतखाने के बाद |
सुब्ह भी होती रही औ' दर्द भी घटता रहा
 'शम्अ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद |'
जाइये उजड़े घरों में फिर से गेरू पोतिये
 लौटकर है फायदा क्या उम्र ढह जाने के बाद |
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 AJAY KUMAR PANDEY 
 था बहुत महफूज़ तूफानों के घिर आने के बाद
 यह समझ आया मुझे तूफाँ गुजर जाने के बाद।
हो रहा था सुब्ह से ही आज फिर दिल बेक़रार
 चैन उसको भी न आया लाख समझाने के बाद।
उस अदाकारी पे क़ुर्बां हो रहा हूँ बार बार
 लूट लेती है मुझे जो राह दिखलाने के बाद।
साथ अपने ले गया सब जो बचा था उसके पास
 राज भी उसका न खुल पाया उसे दफ़नाने के बाद।
इस तरह उस ने मुझे भेजा इधर ये कह के आज
आएगा दर भी सनम का दूर मयखाने के बाद।
रात भी ढलती रही रिन्दों की पैमानों के साथ
 शम्अ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद।
रोज़ चमकाती रही किस्मत मेरी उसका नसीब
 चैन आया भी उसे यह बात मनवाने के बाद।
क्या मेरा अस्तित्व था औ’ था तेरा भी क्या वज़ूद
 होश ये किस को रहा दो चार पैमाने के बाद।
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 भुवन निस्तेज 
 आप की शाइस्तगी का हौसला पाने के बाद
 सोचते हैं और कह लें बज़्म में आने के बाद
आओ वाइज़ अमन की बातें करें अब चैन से
कौन बोलेगा ये देखें तेग खनकाने के बाद
हमने ग़म के अब्र को आँखों में रोका है अभी
 खूब फिर बारिश करेंगे यार के आने के बाद
यूँ न मेरी राह की फिसलन से खुश हो ऐ रकीब
 बिजलियाँ तो है असर करती ही गिर जाने के बाद
यूँ तो हम नें काम कोई काम का है कब किया
 काम के बन जायेंगे ये सोहबत पाने के बाद
हाथ में कखलौस है अब सर पे जिस के ताज था
 आ गयी गोया सुनामी इश्क़ हो जाने के बाद
सब्र कर ऐ अब्र तर कोई चमन मिल जायेगा
 राह में तितली है जो मीलों के वीराने के बाद
बोझ थोडा कम करो कांधों से बच्चों के ‘भुवन’
 लौट आएगी नहीं मासूमियत जाने के बाद
मैकदे में है कभी और है शिवाला में कभी
 ढूँढता है चैन वो जीवन से घबराने के बाद
आँख थी बोझिल मेरी खारा समंदर रोककर
 अब गगन हल्का हुवा है नीर बरसाने के बाद
हम उजाले की ललक में आगये औ फिर यहाँ
 शमअ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद
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 Krishnasingh Pela 
 बदगुमाँ सूरज बहुत था आग बरसाने के बाद
 देखो सहमा सा खडा है बदलियाँ छाने के बाद
सारे रंग धुंधला गए है आँख भर आने के बाद
 नूर नैनों में कहाँ है दिल के भर जाने के बाद
आईने सी दिख रही है अब तो सारी कायनात
 मैं भी इस क़ाबिल हुआ हूँ तेरे समझाने के बाद
है नहीं फूलों को अब बागों की आज़ादी नसीब
 पूछकर खिलना पड़ा गमलों में आ जाने के बाद
इश्क़ का गहरा समंदर है तू मेरे यार पर
 मैं ज़जीरा बन गया हूँ तुझको अपनाने के बाद
देखने जैसा है देखो आज दरिया का हुनर
पुल पे आया आज बस्ती में कहर ढाने के बाद
खुल गए हैं बंद किस्मत के सभी ताले मेरे
 आपने इसपर जरा सा गौर फ़रमाने के बाद
आज लहरों पर लगी है सैकड़ों पाबंदियां
 प्यार से हौले से इस साहिल को सहलाने के बाद
क़ाबिले तारीफ़ थी वो लौ से पीने की अदा
 शम्अ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद
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 Amit Kumar "Amit" 
 भूख तक लगती नहीं है रोटियां खाने के बाद I
 नींद भी आती नहीं है आँख लग जाने के बाद II
 
 क्या बताऊँ अब भला मैं हाल अपना दोस्तों I
 ठण्ड लगती है बहुत अब भैंस नहलाने के बाद II
 
 जानते हैं गोंद से भी हैं लगा सकते टिकट I
 पर मज़ा आता बहुत है थूक चिपकाने के बाद II
 
 चौंक जाते हैं सभी टाइड सफेदी देखकर I
चूमता हूँ मैं हमेशा बस्त्र धुलबाने के बाद II
 मर्ज़ भी हसता रहा औ दर्द भी हसता रहा I
 जख्म भी हसता रहा हर बार तड़पाने के बाद II
 
 जल रहा था तेल पर कहते रहे हम लोग ये I
 शम्मा भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद II
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 Tilak Raj Kapoor 
 कुछ नहीं मॉंगा न चाहा तुझसे याराने के बाद
 दूरियॉं दुनिया से कर लीं तेरे पास आने के बाद।
हम नहीं जो पी सकें पैमाना पैमाने के बाद
 देख मत यूँ तू नकाबे हुस्न सरकाने के बाद।
मानता हूँ फर्ज़ था इसका, मगर ये आईना
 सच किसी को क्या दिखाता, खुद बिखर जाने के बाद।
दिल किसी पर आ गया तो कौन समझाये इसे
 ये समझता ही नहीं है लाख समझाने के बाद।
कनखियों से देखते पीछा करेंगे दूर तक
 हॉं यही, ये ही करेंगे हम से शरमाने के बाद।
पास वो हरगिज़ न आता गर ये पहले जानता
 शम्अ भी जलती रही, परवाना जल जाने के बाद।
जो यकीं हर बात पर करता था ऑंसू देखकर
 क्यूँ वही है शक़ज़दा आतिश पे चलवाने के बाद।
देखकर अंधियार आता दूर अपने हो गये
 साथ कब रहता है साया, रौशनी जाने के बाद।
क्यूँ करें शिक़वा शिकायत आरज़ू मिन्नत कहो
 और क्या उम्मीद रक्खें आपको पाने के बाद।
हो नज़र आकाश पर जब बारिशों की आस में
 ऐ हवा मत रुख बदलना बदलियॉं छाने के बाद।
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मिसरों को चिन्हित करने में कोई गलती हुई हो अथवा किसी शायर की ग़ज़ल छूट गई हो तो अविलम्ब सूचित करें|
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आदरणीय अशोक रक्ताले जी
पहले मिसरे का बेबहर होने का सबब 'तोहफे' को गलत वजन में बांधना रहा है| दरअस्ल तोहफे को लिखते तो तोहफे की तरह हैं पर इसका सही वजन तुह्फे की तरह अर्थात २१२ की बजाय २२ होता है|
दूसरे मिसरे में व्याकरण की त्रुटि है| 'मैं मुझे ही' यह व्याकरण की दृष्टि से गलत होगा, 'मैं स्वयं ही' 'मैं खुद को' ,'मैं अपने आप को' आदि यहाँ पर सही होगा|
ओह ! बहुत मुश्किल है मेरे लिए ! आदरणीय राणा प्रताप सिंह साहब सादर, बहुत-बहुत आभार. समझ गया हूँ . मैं प्रयास करूंगा ऐसी गलतियाँ न हो पायें. सादर.
आदरणीय कृष्ण सिंह जी
आपके ऐब वाले मिसरे में 'कहर' तो सही वजन में हैं
'पुल पर आया है बस्ती में कहर ढाने के बाद' इस मिसरे में "बस्ती में कहर ढाने के बाद" इस हिस्से में कोई समस्या नहीं है| मतलब कि मिसरे के पहले और दूसरे अरकान से समस्या है| एक सुझाव है आपको पसंद आये तो
पुल पे आया आज बस्ती में कहर ढाने के बाद
जी यथोचित संशोधन कर दिया है|
आदरणीय राणा साहेब
ढेर सारी ग़ज़लों का संकलन, वो भी इतने कम समय में..निश्चित रूप से आप बधाई के पात्र हैं. उन सभी साथियों का भी आभार जिन्होने अपनी खूबसूरत रचनाओं से इस मुशायरे में चार चाँद लगा दिए.
यह सब तो आप सबके सहयोग से ही संभव हो सकता था|
आदरणीय तिलकराजजी के लिये मूल मैथिली गजल भावार्थ सहित दे रहा हूँ। सौरभ पांडेयजी और बागीजी तो मैथिली बोलने,लिखने और पढ़ने मे सहज है ही और भी अन्य सदस्य जो कि मैथिली जानते हो वो अवश्य देखें---
गहूमो नै भेलै धानक पछाति
उदासल खेतो खरिहानक पछाति
गबैए माए समदाउन उदासी
बहुत कानै सेनुरदानक पछाति
अकासक कोना कोना टेबि हम
पहुँचबै सूरज धरि चानक पछाति
बचा रखिहें कनियों अमरित गे बहिना
नै देतौ बेटा विषपानक पछाति
बिसरि जेबै जकरा तकरा तँ हम
इयादो करबै शमसानक पछाति
अर्थ--
१) गेहूँ भी नहीं हुआ धान के बाद। उदास है खेत भी खलिहान के बाद
२) गा रही है माँ उदासी ( दमाद के विदाई का गीत) और समदाउन ( बेटी के विदाई का गीत) और रोती रही बहुत सिंदूरदान के बाद।
३) आकाश का कोना छू कर पहुँचूगा सूरज तक चाँद के बाद। 
४) रखना बचा कर कुछ बूँदें अमृतक की। बेटा नहीं देगा विषपान के बाद।
५) मैं भूल जाऊँगा जिसे उसे याद करूँगा श्मसान के बाद।
भाई आशीषजी, अप्पन गजलक मैथिली भाषा में अहाँ प्रस्तुत कए बड्ड उपकार केलहुँ. देसी बिम्बक कथ्य सँ आ तकरा प एहेन गहन भाव सँ ओतप्रोत ई समृद्ध गजल सँ मन उन्मन भ गेल. (बहरक गणना अहाँ कोन ढंगसँ केने छी, ई उद्धृत करब)
किन्तु, हमरा बूझऽ मं ई अबइयै जे सभ कथ्यक अनुवाद ’विधा सँ विधा’ में होनाय असंभव जेहो नै तैं अत्यंत कठिन अवश्य अछि.
देखलो जाय जे मैथिलीक गजलक लालित्य आ तकरे हिन्दी भावानुवादम केहेन पैग अंतर प्रतीत भ रहल अछि. सभ भासा केर अप्पन विशेष संरचना अछि. रचनाकार सभ सँ भरसक भासा अनुसार संरचना निबाहक अपेक्षा बेजायँ नै.
अब त अहूँ बुझि सकैछि जे भाई राणा प्रताप जी केर मानक हिन्दी-उर्दू ग़ज़लक मानक अछि.
आदरणीय संचालक महोदय से आग्रह है कि मेरे प्रस्तुत गजल मे गिरह वाले शेर के बदले नीचे दिये गये शेर को स्थान दें--
आ न जाये फिर वही अंधेरा बस ये सोच कर 
 शमअ भी जलती रही परवाना जल जाने के बाद
आदरणीय आशीष जी
अन्धेरा गलत है सही शब्द है अंधेरा
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
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महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |