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कुण्डलिया छंद - लक्ष्मण लडीवाला

ईद मनाये हम सभी गले मिले सब आज

सर्व धर्म सद्भाव के अकबर थे सरताज |

अकबर थे सरताज, सभी का मान बढाया

नवरत्नों के साथ, गर्व से राज चलाया

सभी तीज त्यौहार सुखद अनुभूति कराये

बढे ह्रदय सद्भाव सभी अब ईद मनाये |

(2)

नदियाँ सा बहता रहे, करे रक्त संचार

इडा पिंगला सुषम्ना संचारित आधार |

संचारित आधार रुधिर इनमे ही बहता

करे साधना योग वही बलिष्ठ भी रहता

करले लक्ष्मण ध्यान यही शरीर की निधियां

महाकुम्भ का स्नान कराती जैसे नदियाँ ||

(3)

नदी बनाती राह यूँ, संगम का रख चाव

गंगा यमुना सुरसती, भरे ह्रदय सद्भाव

भरे ह्रदय सद्भाव, उष्ण ताप भी सहती

करे नहीं आराम, सतत वह बहती रहती 

कृषकों का सौभग्य नदी जल लहरे लाती

निखरे शहर स्वरूप राह भी नदी बनाती

(मौलिक व अप्रकाशित)  

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Comment

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 1, 2014 at 12:05pm

कुण्डलिया पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री विजय निकोरे जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 1, 2014 at 9:35am

छंद सराहने के लिए आपका बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी | लय भंग को दुरस्त करने का सुझाव देने के लिए धन्यवाद 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 1, 2014 at 9:34am

कुण्डलिया छंद पसंद करने के लिए शुक्रिया श्री गिरिराज भंडारी जी | लय में पराव की कमी बताने के लिए धन्यवाद 

Comment by vijay nikore on July 31, 2014 at 7:02am

कुण्ड्लियाँ अच्छी लगीं। बधाई।

Comment by coontee mukerji on July 30, 2014 at 12:53pm

बहुत ही सुंदर कुण्डलियाँ है.....पढ़कर बहुत अच्छा लगा....सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 30, 2014 at 11:28am

बहुत सुन्दर कुण्डलिया रची हैं आ० लक्ष्मण जी ,आ० गिरिराज जी की बात से सहमत हूँ कहीं कहीं लय भंग है और आप अवश्य दुरुस्त कर लेंगे मुझे विशवास है बहुत- बहुत बधाई आपको सादर  

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 30, 2014 at 10:39am

ईद एवं तीज की शुभ कामानाओ सहित हार्दिक आभार सर्व श्री डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी एवं डॉ विजय शंकर जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 29, 2014 at 10:58pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , कुण्डलियों की अच्छी रचना की है , बधाइयाँ ! प्रवाह में कुछ कमी ज़रूर लगी ||

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 29, 2014 at 2:08pm
आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी , बधाई. बहुत सुन्दर भाव युक्त रचना है .
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 29, 2014 at 12:13pm

लडीवाला जी

अच्छी प्रस्तुति है i बधाई हो i

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