For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-49

परम आत्मीय स्वजन,

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के 49 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह हिन्दुस्तान के मशहूर शायर जनाब इब्राहिम 'अश्क' साहब की ग़ज़ल से लिया गया है| पेश है मिसरा-ए-तरह

 

"ख़ामोश रहेंगे और तुम्हें हम अपनी कहानी कह देंगे"

22 112 22 112 22 112 22 22

फेलुन  फेलुन  फेलुन  फेलुन  फेलुन  फेलुन  फेलुन  फेलुन

22     22     22       22      22       22      22      22 

(बह्रे मुतदारिक की मुजाहिफ सूरत)

रदीफ़ :- कह देंगे 
काफिया :- आनी (कहानी, निशानी, ज़बानी, पुरानी आदि )
विशेष : जैसा कि तरही मिसरा देखने से ज्ञात होता है, उल्लिखित बहर में 22 को 112 या 211 अथवा 121 करने की  छूट है . 

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 25 जुलाई दिन शुक्रवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक 26 जुलाई दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन से पूर्व किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | ग़ज़लों में संशोधन संकलन आने के बाद भी संभव है | सदस्य गण ध्यान रखें कि संशोधन एक सुविधा की तरह है न कि उनका अधिकार ।

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 25 जुलाई दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 10124

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

अदरणीय तिलक राज सर पूरी गज़ल हमेशा की तरह लाजवाब है 

ये दोनों अशआर के क्या कहने ...

पूछा जो कभी क्यूँ उड़ते हो, रुत है ये सुहानी कह देंगे 
इस जोश का कारण पूछा तो, बाक़ी है जवानी कह देंगे ।


माथे पे शिकन का कारण हम बिटिया है सयानी कह देंगे
हम डरते हैं वो दुनिया से बिल्कुल है अजानी कह देंगे।

वाह वाह ....वाह वाह ...

हम थोड़ा भी मुँह खोलें तो बस नाफरमानी कह देंगे
हमको मुज़रिम ठहराने को वो कोई कहानी कह देंगे

जो प्यास बुझा देगा अपनी हम उसको पानी कह देंगे
जो सुलझा दे जीवन उलझा हम उसको ज्ञानी कह देंगे

ये ठीक ज़ुबाँ पर क़ैद सही पर आँख़ों की तो भाषा है
"ख़ामोश रहेंगे और तुम्हें हम अपनी कहानी कह देंगे"

ये सूरज चाँद तुम्हें ठहरा न देखें इसी जगह पर कल
तुम धीरे भी यदि सरक सके, वो उसे रवानी कह देंगे

तुम जो पाये हो दुनिया से वो ही तो बांटोगे इक दिन
जो सवालात तुम छोड़ रहे, हम उसे निशानी कह देंगे

बेदाद गरों की महफिल में यूँ अश्क़ बहाना ठीक नहीं
बेबस के अश्क़ न समझेंगे , वो खारा पानी कह देंगे

है खून जवाँ , है गर्मी तो , आँखों से जाहिर होने दो
इन ठंडी ठंडी आहों को , क्या यूँ ही जवानी कह देंगे ?

तू रोक नही ज़ज्बात अभी, तू अश्क़ बहा हलका हो जा
समझाने वाले , जान गई तो , आनी जानी कह देंगे

इस रोज़ बदलती दुनिया में, हर लम्हा नया नया कुछ है
जिस मंज़िल पे तुम पहुँचे हो, कल उसे पुरानी कह देंगे

मौलिक एवँ अप्रकाशित

आदरणीय गिरिराज सर ग़ज़ल पर मेहनत तो हुई है, गिरह भी बढ़िया लगाया है आपने इसके लिये बधाई स्वीकार कीजिये।
लेकिन हाँ रवानी थोड़ी और अच्छी हो सकती है।

आदरणीय शिज्जु भाई , सराहना के लिये आपका दिल से शुक्रिया ॥

वाह वाह आदरणीय ... बहुत शानदार ग़ज़ल कही है .. बधाई 

आदरणीय निलेश भाई , आपका बहुत बहुत आभार ॥

आदरणीय गिरिराजभाईजी, आपकी ग़ज़ल के लिए दिल से बधाई.
ग़िरह आपने कमाल बाँधा है.

इस शेर पर विशेष बधाई स्वीकारिये आदरणीय ..
बेदाद गरों की महफिल में यूँ अश्क़ बहाना ठीक नहीं
बेबस के अश्क़ न समझेंगे , वो खारा पानी कह देंगे  .. बहुत खूब !

इस शेर का उला कुछ स्पष्ट नहीं आया, देख लीजियेगा - ये सूरज चाँद तुम्हें ठहरा न देखें इसी जगह पर कल

है खून जवाँ , है गर्मी तो , आँखों से जाहिर होने दो  .. उला में ज़ाहिर होने दें .. कहें तो क्या गलत ? और शुतुर्ग़ुर्बा का शुबहा, हाँ, शुबहा ही.. जाता रहेगा.
इन ठंडी ठंडी आहों को , क्या यूँ ही जवानी कह देंगे ?

इस रोज़ बदलती दुनिया में, हर लम्हा नया नया कुछ है
जिस मंज़िल पे तुम पहुँचे हो, कल उसे पुरानी कह देंगे ...   आय-हाय ! ज़वाब नहीं !!

आपकी इस ग़ज़ल के लिए दिल से बधाई, आदरणीय

आदरणीय सौरभ भाई , आपकी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिये आपका दिल से आभारी हूँ ॥

ये सूरज चाँद तुम्हें ठहरा न देखें इसी जगह पर कल  - इसको अगर ऐसे कहें तो ?

हैं सूरज चाँद रवाँ हरदम, अटके अटके  से तुम न रहो

तुम धीरे भी यदि सरक सके, वो उसे रवानी कह देंगे   - कैसा रहेगा ?, बात साफ हो रही है क्या ?

2- है खून जवाँ , है गर्मी तो , आँखों से ज़ाहिर होने दें  ,  ----- इस मिसरे को ऐसा ही कर लूँगा 

हैं सूरज चाँद रवाँ हरदम, अटके अटके  से तुम न रहो

तुम धीरे भी यदि सरक सके, वो उसे रवानी कह देंगे ..

ये शेर शायद और बेहतर हो जाये यदि ऐसे हुआ हो -

हैं सूरज चाँद रवाँ हरदम, यों रुके-रुके भी तुम न रहो

तुम आहिस्ता भी बढ़ने लगे, वो उसे रवानी कह देंगे..  ..

लेकिन गुंजाइश अभी बहुत है.. हम बस रवानी को लेकर ही कह रहे हैं ..

सादर

अच्छी ग़ज़ल हुई है आ० भंडारी साहिब - हार्दिक बधाई स्वीकारें। सुधिजनो की  सलाह का संज्ञान अवश्य लें.

आदरणीय योग राज भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥

aadarnie giriraaj sir bahut khub sir dili shubhkamnaen

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी, बहुत धन्यवाद। आप का सुझाव अच्छा है। "
14 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से मश्कूर हूँ।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service