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मेरी बात तुझको जो लगती है कड़वी
उसी में तू पायेगा मेरी मुहब्बत ...
खूबसूरत शेर हैं सारे ... मुहब्बत में कितना कुछ है ... इस ग़ज़ल को पढ़ कर समझ आता है .... मुबारक कबूल करें पुरुषोत्तम जी ..
//चले आओ लिख दो इबारत हवा पर
महक बन के फ़ैलेगी अपनी मुहब्बत !//
बहुत बेहतरीन ख्याल आज़र साहिब - वाह !
Badhiya...
मेरी बात तुझको जो लगती है कड़वी
उसी में तू पायेगा मेरी मुहब्बत
बहुत अच्छी बात कहता है ये शेर...
बहुत सुंदर है ये ग़ज़ल...
लिखने के लिए धन्यवाद
है सबको पता आग-पानी में अंतर
मिलन से ही इनके है होती मुहब्बत.....
........शानदार.........
उस्तादाना ग़ज़ल. बधाई.
वाह जनाब वाह, आप तो महफ़िल के जान है, आपकी ग़ज़ल का इन्तजार हमे हर मुशायरे मे होती है, बेहतरीन शे'र लेकर आप आये है, दाद कुबूल कीजिये जनाब, बधाई आपको,
ग़ज़ल :-
कहाँ सरहदों से है हारी मुहब्बत
है नफरत के जज्बे पे भारी मुहब्बत |
ये राहत ये अदनान फूल उस चमन के
मगर इनकी खुशबू हमारी मुहब्बत |
मुहब्बत भरे दिल चटख बेल-बूटे
खुदा की है ये दस्तकारी मुहब्बत |
ये गोले ये बारूद बम के ज़खीरे
सिसकती है केसर की क्यारी मुहब्बत |
बहुत दुश्मनी की अमाँ छोड़ भी दो
करें अपने बाघा-अटारी मुहब्बत |
कदम दो चलो तुम कदम दो चले हम
ये दुनिया भी देखे हमारी मुहब्बत |
लता और ग़ुलाम अली गाते हैं ग़ज़लें
है दोनों तरफ बेकरारी मुहब्बत |
चलो सानिया और शोएब से सीखें
है बेटी हमारी तुम्हारी मुहब्बत |
ये लैला ये मजनू ये शीरीं ये फरहाद
निभालो तो यारों की यारी मुहब्बत |
जी नवीन भाई लगा मुहब्बत की इन दो पड़ोसियों को आज के हालात में बहुत ज्यादा ज़रूरत है इस लिये ये गज़ल एक विषय पर कह गया !! आपकी तारीफ का आभार!!
बहुत बढ़िया अरुण भाई। समसामयिक विषयों पर लिखी शानदार ग़ज़ल। बधाई
बहुत खूब ... अगर हर आदमी आपका ये पैगाम अपने जीवन में उतार ले .. तो भारत पाकिस्तान एक हो जाएँ ....
शुक्रिया अनीता जी और धर्मेन्द्र जी !! लिखना सार्थक प्रतीत हो रहा है !!
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