For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ चट-पटॆ सॆर ...मॆरॆ मौला

कुछ चट-पटॆ सॆर ...मॆरॆ मौला

मॆरी बद्दुआ मॆं तासीर, हॊ जायॆ मॆरॆ मौला,

इस कुर्सी कॊ बबासीर, हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!१!!

ना चल सकॆ न बैठ पायॆ,सलीकॆ सॆ कभी,

हालत उसकी यूँ गंभीर,हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!२!!

छीनॆ हैं निवालॆ जिननॆं, मासूम जनता कॆ,

औलाद उनकी फ़कीर, हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!३!!

भॆड़ॊं कॆ संग फिरॆ वॊ, औलाद भॆड़ियॆ की,

मंत्री का पुत्तर अहीर, हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!४!!

पढ़ॆ लन्दन मॆं नौकरी, चपरासी की मिलॆ,

कुलटा उसकी तक़दीर, हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!५!!

हाँथ उठायॆ जॊ काजू,बादाम किसमिस वॊ,

सब सड़ी हुई तपक़ीर, हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!६!!

मँहगाई कॊ लकवा, रतौंधी भ्रष्टाचार कॊ,

बॆरॊजगारी कॊ नक़सीर,हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!७!!

करिश्मा दिखा कुछ, परवर-दिगारॆ-आलम,

गरीबॊं कॆ हिस्सॆ खीर, हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!८!!

पाक दबायॆ बैठा है, जॊ हिस्सा हिन्द का,

भारत का पूरा कश्मीर,हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!९!!

मान सरॊवर हमारा, है चीन कॆ कब्जॆ मॆं,

हमारा वॊ निर्मल नीर,हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!१०!!

"राज" लाखॊं सज़दॆ करॆ, आस्ताँ पॆ तॆरॆ,

ज़िंदा हमारा ज़मीर, हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!११!!

कवि :- राज बुन्दॆली २७/०२/२०१३

Views: 742

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on March 3, 2013 at 10:26am

,Yogi Saraswat

,,,,,जी,,,,आदरणीय,,,,आप ने मेरी कलम के हर रंग को सराहा है प्रोत्साहन दिया है,,,मै आप का दिल से आभारी हूँ,,,,,,,,,,बहुत बहुत धन्यवाद,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on March 3, 2013 at 10:25am

Dr.Ajay Khare

,,,,,,,जी,,,,आदरणीय,,,,आप ने मेरी कलम के हर रंग को सराहा है प्रोत्साहन दिया है,,,मै आप का दिल से आभारी हूँ,,,,,,,,,,बहुत बहुत धन्यवाद,,

Comment by Dr.Ajay Khare on March 2, 2013 at 3:45pm

raj ji badhiya hai badhai

Comment by Yogi Saraswat on March 2, 2013 at 11:36am

हाँथ उठायॆ जॊ काजू,बादाम किसमिस वॊ,

सब सड़ी हुई तपक़ीर, हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!६!!

मँहगाई कॊ लकवा, रतौंधी भ्रष्टाचार कॊ,

बॆरॊजगारी कॊ नक़सीर,हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!७!

bahut khoob

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on March 1, 2013 at 9:48pm
Comment by SALIM RAZA REWA on March 1, 2013 at 9:35pm

"राज" लाखॊं सज़दॆ करॆ, आस्ताँ पॆ तॆरॆ,

ज़िंदा हमारा ज़मीर, हॊ जायॆ मॆरॆ मौला raj sahab badhiya hai

 

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on March 1, 2013 at 3:48pm
Comment by कवि - राज बुन्दॆली on March 1, 2013 at 3:47pm
Comment by कवि - राज बुन्दॆली on March 1, 2013 at 3:46pm

विजय मिश्र

,,,,,,,जी,,,,आदरणीय,,,,आप ने मेरी कलम के हर रंग को सराहा है प्रोत्साहन दिया है,,,मै आप का दिल से आभारी हूँ,,,,,,,,,,बहुत बहुत धन्यवाद,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on March 1, 2013 at 3:46pm

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Jun 6
Sushil Sarna posted blog posts
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service