For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दुखीराम नॆ जब जब दीनानाथ के द्वार पर ख़ुशामद की,,,,नतीज़ा हर बार उनकी पत्नी की कोंख से कन्या रत्न की ही प्राप्ति हुई,,इस तरह शासकीय जन-गणना मॆं चार अंकॊं की बढ़ोत्तरी हो गईं,,,लेकिन दुखीराम की ख़ुशामद परॆड अब तो पहले से भी ज्यादा बढ़ गई,,,ख़ुशामद करनॆ के स्थान भी अनगिनत हो गये, भगवान तो भगवान अब दुखीराम पंडित, मौलवी, और तुलसी, नीम, पीपल, बरगद,सभी की ख़ुशामद करनॆ लगॆ,,,और आखिरकार इस बार दुखीराम की ख़ुशामद नें अपना रंग दिखाया,,और दुखीराम कॆ घर मॆं कुल का चिराग़ जगमगाया,, दुखीराम कॆ सारे दुख: पता नहीं कहाँ गायब हो गयॆ,आज दुखीराम नॆ अपने मालिक की खूब खुशामद की तब जाकर हाँथ मॆं एक सौ रुपैया आयॆ,,,दुखीराम खुश हुआ कि बॆटॆ का पहला जन्मदिन तो सम्पन्न हो जायेगा,कर्ज का क्या है आज नहीं तो कल चुकता कर दूंगा,,देखते ही देखते बॆटा पाँच साल का हो गया,,दुखीराम ने आज फ़िर जमीदार की खूब ख़ुशामद की फ़िर एक सौ रुपैया हाँथ मॆं बेटे का दाखिला हुआ,,बॆटा होनहार था, पढ़ता रहा दिनो-दिन बढ़ता रहा, इसी दौरान दुखीराम की पत्नी बीमार हुई,,दुखीराम ने फ़िर पंडित, मौलवी, और तुलसी, नीम, पीपल, बरगद, सभी की ख़ुशामद लेकिन खुशामद किसी काम न आई,,और दुखीराम की पत्नी स्वर्ग सिधार गई,,अब तो दुखीराम सच मे दुखीराम हो गया,,समय बीतता गया,,खुशामद कर कर के बॆटियॊं के हाँथ पीलॆ कर दियॆ,,,,बॆटा पढ़ लिख कर तैयार हुआ तब दुखीराम ने बड़े साहब की जमकर खुशामद की और दुखीराम का बेटा पटवारी हो गया,,,दुखीराम बहुत खुश हुआ क्योकि जो हमेशा वह खुशामद करता था आज लोग उसकी और उसके बॆटॆ की खुशामद करते थे,,,समय आया बॆटॆ का रिश्ता आया,,इस बार लड़की वालों नॆ दुखीराम की जमकर खुशामद की, तब दुखीराम को खुशामद का स्वाद मालूम हुआ कि खुशामद का स्वाद कितना मीठा होता है,,,बॆटॆ की शादी धूम-धाम से हुई बहू नये ज़माने की पढ़ी लिखी मिली,,दहेज़ भी अच्छा खासा मिला,,समय गतिमान रहा,,दो पोती एक पोता भी दुखीराम के आँगन मॆं आ गये,,पहली बार दुखीराम ने सुखीराम का रूप धारण किया,,,,लेकिन यह क्षणिक था,,बहू नये ज़माने की,,,बेटा पटवारी,,,,बड़ॆ बड़े जमीदार उसके बेटॆ की खुशामद करते थॆ,,,,बहू ने नये ज़माने की परम्परा को निभाया और दुखीराम का हुक्का-पानी बंद हो गया,,दिन भर पोता पोतियो की देखभाल करता,स्कूल छॊड़नॆ जाता,लॆने जाता, सब्जी तरकारी लाता,गाय बकरी का चारा पानी,,,लकड़ी लाना गोबर फ़ेंकना सब काम दुखीराम के हिस्से मे आये,,,,और ऊपर से बहू के सुबह शाम प्रबचन और श्लोक,,,,दुखीराम के साथ समय आँख मिचौली खेलता रहा,,,जब दुखीराम बहू बेटॆ की खुशामद करता तब दो रॊटी चटनी अचार नसीब होतॆ,जब पोता पोतियो की खुशामद करता तब,,,एक गिलास पानी नसीब होता,,,,दुखीराम सच मे कितना दुखी था,,,,समय ने अब भी तो दुखीराम का पीछा नहीं छॊड़ा,,उम्र अपना रंग दिखा रही है,,,,कमर झुक कर धनुष बन गई है,,,,पॆट पींठ के साथ चिपक कर भरत-मिलाप कर रहा है,,,बालो मे सफ़ेदी अपना आधिपत्य जमा चुकी है,चेहरे पर लटकी चमड़ी और झुर्रियाँ कुश्ती कर रही हैं,,,बेचारा दमा कॆ मरीज़ दुखीराम ने बेटॆ की खूब खुशामद की, तब जाकर बेटॆ ने अपना दायित्व निभाया,,और सुना है,,,आज कल दुखीराम वृद्धाश्रम मॆं है,,,अब वहां कॆ मुन्सी की खुशामद करता है तब बेचारे का पॆट भर पाता है,,,,,,,अब दुखीराम हर आने जाने वाले से कहता है,, भाइयो,,, भगवान ने खुशामद क्यों बनाई है,,,,,,?

कवि-राज बुन्दॆली
४/३/२०१३

Views: 852

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on March 5, 2013 at 11:44am

वेदिका . ,, ,,,,,,,,जी मैने पहली बात गद्य या लघुकथा के रूप मॆं कुछ लिखने का प्रयास किया है , कितना सफ़ल हुआ हूँ मुझे पता नही ,,,आप ने स्नेह दिया इन भावो को इस हेतु आपका दिल से आभारी हूँ,,,बहुत बहुत धन्यवाद,,

Comment by वेदिका on March 5, 2013 at 9:45am

जीवन के शुरू से आखिर तक खुशामद ही खुशामद लेकिन नतीजा वो नही जो चाहिए ।

जीवन के कटु पहलु को उजागर करती हुयी लघुकथा, अच्छा प्रयास !

शुभकामनायें 

सादर वेदिका 

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on March 4, 2013 at 11:39pm

Rekha Joshi,,,, ,,,,,,,,जी मैने पहली बात गद्य या लघुकथा के रूप मॆं कुछ लिखने का प्रयास किया है , कितना सफ़ल हुआ हूँ मुझे पता नही ,,,आप ने स्नेह दिया इन भावो को इस हेतु आपका दिल से आभारी हूँ,,,बहुत बहुत धन्यवाद,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on March 4, 2013 at 11:28pm

सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' ,,,,,,,,जी मैने पहली बात गद्य या लघुकथा के रूप मॆं कुछ लिखने का प्रयास किया है , कितना सफ़ल हुआ हूँ मुझे पता नही ,,,आप ने स्नेह दिया इन भावो को इस हेतु आपका दिल से आभारी हूँ,,,बहुत बहुत धन्यवाद,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on March 4, 2013 at 11:27pm

बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज) ,,,,,,,,जी मैने पहली बात गद्य या लघुकथा के रूप मॆं कुछ लिखने का प्रयास किया है , कितना सफ़ल हुआ हूँ मुझे पता नही ,,,आप ने स्नेह दिया इन भावो को इस हेतु आपका दिल से आभारी हूँ,,,बहुत बहुत धन्यवाद,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on March 4, 2013 at 11:26pm

Laxman Prasad Ladiwala ,,,,,,,,जी मैने पहली बात गद्य या लघुकथा के रूप मॆं कुछ लिखने का प्रयास किया है , कितना सफ़ल हुआ हूँ मुझे पता नही ,,,आप ने स्नेह दिया इन भावो को इस हेतु आपका दिल से आभारी हूँ,,,बहुत बहुत धन्यवाद,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on March 4, 2013 at 11:21pm

SANDEEP KUMAR PATEL,,,,,,,,,,,,,,जी मैने पहली बात गद्य या लघुकथा के रूप मॆं कुछ लिखने का प्रयास किया है , कितना सफ़ल हुआ हूँ मुझे पता नही ,,,आप ने स्नेह दिया इन भावो को इस हेतु आपका दिल से आभारी हूँ,,,बहुत बहुत धन्यवाद,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on March 4, 2013 at 11:19pm

Dr.Prachi Singh ,,,,,,,,,,,,,,जी मैने पहली बात गद्य या लघुकथा के रूप मॆं कुछ लिखने का प्रयास किया है , कितना सफ़ल हुआ हूँ मुझे पता नही ,,,आप ने स्नेह दिया इन भावो को इस हेतु आपका दिल से आभारी हूँ,,,बहुत बहुत धन्यवाद,,,,,,,,,,,,

Comment by Rekha Joshi on March 4, 2013 at 10:16pm

सुंदर सदेश देती हुई लघु कथा ,बधाई राज जी .

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 4, 2013 at 8:40pm
बङी ही मार्मिक रचना प्रेसित की है आपने कविराज जी। आज हर नौकरीपेशा परिवार की यही हालत है। बाप ये सोचता रहता है कि बेटे को पढाया लिखाया काबिल बनाया पर अपने नसीब में सुख नहीं। खुशामद के साथ ही उसकी जिन्दगी कटती है।
यथार्थ रचना के लिए धन्यवाद।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service