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कुछ चट-पटॆ शेर = मगर बड़ॆ दिलॆर ,,,,,
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एक मुशायरा कराया था,बाज़ कॆ बाप नॆ !!
नॆवलॆ की गज़ल पॆ,खूब दाद दी साँप नॆ !!१!!

शॆर की सदारत, निज़ामत थी बाघ की,
बकरॆ कॆ हाँथ पाँव लगॆ, खुद ही कांपनॆं !!२!!

मॆं-मॆं करता रहा वॊ,माइक पॆ बस खड़ा,
हिरण की नज़र लगी, हालत कॊ भाँपनॆ !!३!!

खरगॊश कॊ निमॊनिया, हॊ गया ठंड सॆ,
काला कुत्ता लगा उसॆ,कम्बल मॆं ढ़ाँपनॆ !!४!!

सियार कॊ सियासती, नज़लॆ नॆ जकड़ा,
बुझॆ अलाव कॊ ही, बॆचारा लगा तापनॆ !!५!!

खर्राटॆ हाँथी कॆ तॊड़, दियॆ थॆ अचानक,
कमसिन लॊमड़ी कॆ, सुरीलॆ आलाप नॆं !!६!!

छॆड़खानी हुई जमकॆ, दॊनॊं कॆ दरमियां,
अँगड़ाइयाँ ली जब,निज़ामी कॆ पाप नॆ !!७!!

लौटा था भालू बिना,सुनायॆ ही क़लाम,
टी.बी, की बीमारी थी, लगा था हाँफनॆ !!८!!

माइक था छॊटा,चिढ़ गया था ज़िराफ़,
संयॊजक कॊ जुटा था, वॊ बस श्राप नॆ !!९!!

चूहॊं बिल्लियॊं मॆं, ठन गई थी "राज"
समझौता करवाया था,जाकर कॆ आपनॆ !!१०!!

कवि- "राज बुन्दॆली"
२१/०२/२०१३

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 25, 2013 at 10:29pm

क्या ऐसा नहीं लग रहा है, राजभाई, आप आराम से ’सीखना’ चाहते हैं .. . सीखने में आराम किसी को सफल जानकार नहीं बनाता.

मेरा एक निवेदन था जो मैंने किया, उसे मानने की बाध्यता नहीं है.

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 25, 2013 at 10:06pm
आदरणीय बुंदेली साहब!कल्पना की क्या उन्मुक्त उड़ान भरा है आपने।यह तो बिल्कुल अद्भुत सा लग रहा है।गजल के प्रत्येक शेर में कल्पना रस टपकता है।जिसकी प्रत्येक बूंद के लिये आपको बधाई।
Comment by कवि - राज बुन्दॆली on February 25, 2013 at 9:41pm

Saurabh Pandey ,,,,जी,,,आदरणीय,,,,एक निवेदन है कि मुझे गज़ल के शिल्प का जरा भी ज्ञान नही है,,,,, मैने अपनी गज़ल की कक्षा मे भी यथा समय पढ़ने की कोशिश की लेकिन गुरु बिन होय न ज्ञान वाली बात हमेशा रही,,,,,,,,मेरा निवेदन है मंच सह-भागियॊं से कि जो भी इस विधा मे पारंगत है,,,,कृपया नि: संकोच इसमे तब्दीलियां करके पोस्ट कर दॆं,,,,,,शायद वह तब्दीलियाँ मेरा मार्ग दर्शन कर सकें,,,मंच का अहसान होगा मुझ पर,,,,,,,,,,,,, धन्यवाद,,,,,,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on February 25, 2013 at 9:35pm

Abhinav Arun,,,जी,,,,,,,,,,,,,,,धन्यवाद,,,,आभार,,,,,, मेनका गांधी ने सपने मे आकर कहा था कि आप जानवरो के बारे मे नही सोचते,,,,,सो लिखना पड़ा,,,,आपका,,,,,,,,,,,, इस जंगली मुशायरे में आपका स्वागत है आइये इसका आनंद लिया,,,,,,जाये,,,,,,,,,,

Comment by Abhinav Arun on February 25, 2013 at 3:20pm

सियार कॊ सियासती, नज़लॆ नॆ जकड़ा,
बुझॆ अलाव कॊ ही, बॆचारा लगा तापनॆ !!५!!

खर्राटॆ हाँथी कॆ तॊड़, दियॆ थॆ अचानक,
कमसिन लॊमड़ी कॆ, सुरीलॆ आलाप नॆं !!६!!

वाह वाह राज जी ! टाइम टाइम पे ऐसे शेर भी टेस्ट बदलने के लिए ज़रूरी हैं आपने जायके का ख़याल रखा और तारीफ के काबिल शेर कहे हार्दिक बधाई !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 25, 2013 at 1:29pm

अयँ..?  .. अरे भाई, हम तो उसी मुशायरे में थे सामयिन की तरह. तभी तो कुछ कह रहे थे. आप फिर बुला रहे हैं तो हम फिर आयेंगे... ज़रूर.  आप ग़ज़ल के विधान पर ध्यान दीजिये और आगे से काफ़िया, बह्र आदि की गहनता को समझ कर अपनी ग़ज़ल पर मशक्कत कीजिये. फिर बुलाइये.

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on February 25, 2013 at 11:35am

Saurabh Pandey,,,,,,जी,,,,,,,aadarneey,,,,,,,,धन्यवाद,,,,आभार,,,,,, मेनका गांधी ने सपने मे आकर कहा था कि आप जानवरो के बारे मे नही सोचते,,,,,सो लिखना पड़ा,,,,आपका,,,,,,,,,,,, इस जंगली मुशायरे में आपका स्वागत है आइये इसका आनंद लिया,,,,,,जाये,,,,,,,,,,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 25, 2013 at 3:17am

ये शेर जितने आसान लगते हैं वस्तुतः वैसे आसान हैं नहीं. राज साहब की वैचारिकता पर चकित हुआ मन बार-बार इन अश’आर के तंज़ पर बलैया ले रहा है. बहुत खूब भाईजी.. .

खरगॊश कॊ निमॊनिया, हॊ गया ठंड सॆ,
काला कुत्ता लगा उसॆ,कम्बल मॆं ढ़ाँपनॆ

खर्राटॆ हाँथी कॆ तॊड़, दियॆ थॆ अचानक,
कमसिन लॊमड़ी कॆ, सुरीलॆ आलाप नॆं..

इन दोनों शेरों में बहुत कुछ पिरोया है आपने.  अपने आप में एक अलहदी प्रस्तुति है यह !

आपकी सृजनशीलता विस्मित करती है, राज साहब. सादर निवेदन है, आप ग़ज़ल के विधान पर थोड़ा और समय दें. कमाल करेंगी आपकी ग़ज़लें ! हार्दिक बधाई .. .

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on February 24, 2013 at 12:27pm

मित्रो,,,,,,,,,,,,,आपका,,,,,,आभार,,,,,, इस जंगली मुशायरे में आपका स्वागत है आइये इसका आनंद लिया,,,,,,जाये,,,,,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on February 23, 2013 at 8:17pm

Dr.Ajay Khare ,,,,,जी,,,,,,,,,,,,,,,धन्यवाद,,,,आभार आपका,,,,,,,,,,,, इस जंगली मुशायरे में आपका स्वागत है आइये इसका आनंद लिया,,,,,,जाये,,,,,,,,,,

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