दोस्तों एक गजल लिखने की कोशिश की है अपने कुछ मित्रों के सहयोग से आशा है आप लोग अवलोकित करके मुझे मार्गदर्शित करेंगे |
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जूनून -ए-इश्क में आबाद, ना बर्बाद हो पाए
मुहब्बत में तुम्हारी कैद ना ,आज़ाद हो पाए ||
कहानी तो हमारी भी बहुत ,मशहूर थी लेकिन
जुदा होकर न तुम शीरी न हम, फरहाद हो पाए ||
न कुछ तुमने छुपाया था ,न कुछ हमने छुपाया था
न तुम हमदर्द बन पाए ना ,हम हमराज हो पाए ||
जुदाई के लिए हम तुम बराबर हैं वजह हमदम
जिरह तुम भी न कर पाए न हम जांबाज हो पाए ||
ग़लतफहमी हमारे दरमियाँ, बेवजह थी लेकिन
न तुम आये मनाने को ,न हम नाराज हो पाए ||
गुरूर -ए-हुश्न में तुम थे, गुरूर-ए-इश्क में हम थे
न हम नाचीज कह पाए, न तुम नायाब हो पाए ||
अभी भी याद आती है, नजर की वो खता पहली
न तुम नजरे झुका पाए, न हम आदाब कह पाए ||
जूनून -ए-इश्क में आबाद, ना बर्बाद हो पाए
मुहब्बत में तुम्हारी कैद, ना आज़ाद हो पाए ||................ manoj
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Comment
मित्रवर प्रयास हेतु आपको हार्दिक बधाई ग़ज़ल के नियमों की जानकारी के बगैर आप ऐसा लिख सकते हैं तो जानकारी होने पर आप कहर बरसा देंगे. ग़ज़ल का ज्ञान अर्जित करें सादर
मनोज जी लिख रहे हैं यूँ ही लिखते जाइये।बधाई।
जूनून -ए-इश्क में आबाद, ना बर्बाद हो पाए
मुहब्बत में तुम्हारी कैद ना ,आज़ाद हो पाए ||
अभी भी याद आती है, नजर की वो खता पहली
न तुम नजरे झुका पाए, न हम आदाब कह पाए ||
dost dono sher ki kafiaa alag hai aapne agar rdeef kafiya nahi nibhaya to gazal nahi hui ....aap bhut hi umada sait se jude hai jahan aap gazal khna seekh sakte hai//
बहुत ही अच्छी कोशिश और फिक्र! केवल थोड़ी ग़ज़ल शिल्प की जानकारी हासिल कर लें...मुझे यकीन है की आने वाले दिनों में इस मंच को एक बेहतरीन ग़ज़लकार मिलने वाला है....बहुत बहुत मुबारकबाद ।
बहुत खूब-
बधाई आदरणीय ||
सभी सम्मानित सुधि जानो का हार्दिक अभिनन्दन एवं धन्यवाद | मै आप सभी के सुझाओं का सम्मान करते हुए अगले प्रयास में आपको इससे भी बेहतर कर के दिखाऊंगा यह मेरी कोशिश रहेगी मान्यवर |
अच्छी कोशिश हुई है
ऐसी ही कुछ और कोशिशें से शिल्प और कहन में और समरसता आयेगी
अभी के लिए ढेरो बधाई
कुछ आधारभूत बातों पर ध्यान दीजिए
जानकारी यत्र तत्र फ़ैली है, समेत सकेंगे तो फ़ाइदे में रहेंगे
शुभकामनाएं
भाव और कथ्य से भली लेकिन शिल्प के लिए विशेष मशक्कत चाहती इस प्रस्तुति हेतु शुभकामनाएँ. ..
आपका प्रयास ग़ज़ल की कक्षा के पाठों से और निखरेगा.
शुभेच्छाएँ.
मनोज जी बहुत खूबसूरत ग़ज़ल का प्रयास किया है विंध्येश्वरि जी सही कह रहे हैं ग़ज़ल के नियमों में इसे बांधेंगे तो ये और निखर जायेगी बहर हाल दाद कबूल कीजिये
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