For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नमस्कार साथियो !

चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अंक-20 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है |

इस बार भी इस आयोजन के लिए कुछ अलग अंदाज़ का चित्र प्रस्तुत किया जा रहा है यह चित्र आदरणीय श्री योगराज प्रभाकर प्रधान सम्पादक ओबीओ द्वारा मेरे पास प्रेषित किया गया है,  अब आप सभी को इसका काव्यात्मक मर्म चित्रित करना है !

दोहन अंधाधुंध है, फिर भी सोये लोक.  

भूजल नीचे जा रहा, रोक सके तो रोक..

तो आइये, उठा लें अपनी-अपनी लेखनी, और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण, यह आयोजन सिर्फ भारतीय छंदों पर ही आधारित होगा, कृपया इस आयोजन में दी गयी छंदबद्ध प्रविष्टियों से पूर्व सम्बंधित छंद के नाम व प्रकार का उल्लेख अवश्य करें | ऐसा न होने की दशा में वह प्रविष्टि ओबीओ प्रबंधन द्वारा अस्वीकार की जा सकती है | 

नोट :-

(1) १७ तारीख तक रिप्लाई बॉक्स बंद रहेगा, १८ से २० तारीख तक के लिए Reply Box रचना और टिप्पणी पोस्ट हेतु खुला रहेगा |

(2) जो साहित्यकार अपनी रचना को प्रतियोगिता से अलग रहते हुए पोस्ट करना चाहे उनका भी स्वागत है, अपनी रचना को "प्रतियोगिता से अलग" टिप्पणी के साथ पोस्ट करने की कृपा करें | 

सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो, रचना मात्र भारतीय छंदों की किसी भी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है | हमेशा की तरह यहाँ भी ओबीओ के आधार नियम लागू रहेंगे तथा केवल अप्रकाशित एवं मौलिक कृतियां ही स्वीकार किये जायेगें | 

विशेष :-यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें|  

अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक-२० , दिनांक १८ नवंबर से २० नवंबर की मध्य रात्रि १२ बजे तक तीन दिनों तक चलेगी, जिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य अधिकतम तीन पोस्ट अर्थात प्रति दिन एक पोस्ट दी जा सकेंगी साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |

मंच संचालक: अम्बरीष श्रीवास्तव

Views: 9388

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

कुंडली 

कुंडली छंद आधारित न होने के कारण यह रचना हटाई जा रही है !

एडमिन १२११२००४

बढ़िया सन्देश-

पेड़ लगाओ पानी बचाओ ।।

शुभकामनायें आदरणीय प्रदीप जी ।।

कहन और भाव अपनी जगह यह किस किस्म की कुण्डलिया छंद है, आदरणीय प्रदीपजी. हम अक्सर कुण्डलिया पढ़ते हैं और इसके ढंग और विधा पर कई तरह से चर्चा हो चुकी है. फिर भी यदि यह कोई विधा विशेष हो तो यथोचित प्रकाश की सादर अपेक्षा है.

आदरणीय प्रदीप जी 

                 सादर, जल संरक्ष्ण का सुझाव और भाव तो सुन्दर है किन्तु यह कुंडलिया छंद तो नहीं है. आपके सुन्दर भावों के लिए बधाई.

स्वागत है आदरणीय प्रदीप जी, बहुत सुंदर भाव  व्यक्त किये हैं आपने ! परन्तु शिल्प के स्तर पर इस छंद को बहुत कसे जाने की आवश्यकता है| फिलहाल यह कुंडलिया नहीं है | हाँ इसमें यथोचित सुधार करके इसे कुंडलिया बनाया अवश्य जा सकता है ! सादर

प्रतियोगिता से बाहर

मदिरा सवैया

तुलसी तमिसा तड़के तटनी तरखा तर की परवाह नहीं ।

तब तामस तापित तृष्णज से तनु-तृप्ति बुझावन चाह रही ।

धिक नश्वर देह सनेह बड़ा, पतनी ढिग दुर्गम दाह सही ।

तन सूख गया झट लौट गए, पग चिन्ह लखे भर आह रही ।।

तमिसा = घना अँधेरा

तरखा = तेज बहाव

ततनी = नदी

तृष्णज = प्यासा, लोभी

प्रवाह और प्रयास हेतु बधाई, आदरणीय, परन्तु इस छंद रचना की गठन पर थोडा और प्रयास हुआ होता.

सादर

आदरणीय रविकर जी 

                   सादर, बहुत सुन्दर आज तुलसी होते तो नदी प्रवाह नहीं सहते पैदल ही नदी पार कर जाते. सुन्दर सवैया पर बधाई स्वीकारें.

तुलसी न अकेल रहे अब तो, हर के घर ही गण नाच रहे,

पितु मात सभी समझाय रहे,फिरभी पतनी गुण गाय रहे,

बिनकी न करें परवाह भले,जिनसे पतनी  यह  पाय रहे,

पतनी न तजे इस खातिर वे,पतनी ढिग दूम हिलाय रहे/

आदरणीय रविकर जी, यह सवैया भी मदिरा सवैया नहीं है ......यह भी दुर्मिल सवैया ही है !

सुंदर दुर्मिल के प्रस्तुतीकरण हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय !

आदरणीय संचालक जी,बिहार में अर्ध्य देते हुई दुर्घटना पर काव्यात्मक रचना (दोहे)
   
सीख इन घटनाओं से, अब सच्चाई  जान, 
मन मंदिर को छोड़कर, कहाँ मिलेगा मान ।-1
 
त्यौहार घर में मना, घर का भी रख मान,
घर लक्ष्मी का वास है, तुझे न इसका भान ।-2
 
अर्ध्य जल छत पर करे, पानी का भी मोल,
पानी का भी मोल रख, पानी है अनमोल ।-3
 
सूर्य चन्द्र को अर्ध्य दे, धर्म अगर तू मान,
अर्ध्य जल पौध पर पड़े, सिंचित का हो भान ।-4
 
बार बार घटना घटे, संकट में है जान,
जीवन भी अनमोल है, इतना तो तू मान । -5
 
पग तले आ सिसक रही,बूँदों की आवाज,
घायल पँछी फड़क रहे, देख रहे परवाज ।-6
 
अर्ध्य देते मरण भये, मर गए वे सब मौन,
तर्पण उनका भी करे, अर्ध्य देय अब कौन ।-7
 
तर्पण करता प्राण है,सरिता बहती माय,
तट तब निरा मसान है, जब कूड़ा आ जाय ।-8
 
तर्पण अर्पण कर अगर, भूजल का कर भान,
अति दोहन जल ना रहे, रहे न  तर्पण मान ।-9
 
अंधाधुंध दोहन है, जन जीवन की मार,
जल ही जीवन तत्व है, सब बाँतो का सार ।- 10
 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर 

आदरणीय लड़ीवाला जी 

                     सादर, मुझे छठ पूजा का अधिक ज्ञान तो नहीं है मगर जैसा अपने दोहे में कहा है यदि घर पर अर्ध्य देने से पूजन संपन्न हो सकता है तो यह बेहतर मार्ग है. कल का हादसा विशेषकर बच्चो की मृत्यु के कारण बहुत अधिक दुःखदायी रहा. है इश्वर उन सभी के घर वालो को दुःख सहने की शक्ति प्रदान करे. 

                     आपके सुन्दर दोहों के लिए बधाई.

आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला जी,

सुंदर संवेदनात्मक दोहों के प्रस्तुतीकरण के लिए हार्दिक बधाई मित्रवर ! काश आप शिल्प का सटीक निर्वहन भी कर पाते !

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service