For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

डाली हरसिंगार की झूम उठी
मनमोहक फूलों के बोझ से
बल खाती हुई छेड़ जो रही थी
उसे ईर्ष्यालु सुगन्धित पवन
झर रहे थे पुहुप आलौकिक
दिल ही दिल में मगन
हर कोई चुन रहा था
सुखद स्वप्न बुन रहा था
अलसाई उनींदी पलकों
के मंच पर
ये द्रश्य चल रहा था
मेरा भी मन ललचाया
एक पुष्प उठाया
अंजुरी में सजाया
तिलस्मी पुष्प आह !
ताजमहल रूप उभर आया
अद्वित्य ,अद्दभुत
मेरे स्वयं ने मुझे समझाया
ये तेरा नहीं हो सकता
तुमने गलत पुष्प उठाया
मुस्काई और बोली
हर सिंगार लता
मुझको है सबका पता
जो दिन के उजाले में
अपने से छल करते हैं
वो उनींदी आँखों से तमस में
मेरे इन पुहुपों को चुनते हैं
इनमें बंद हैं सभी के
स्वप्नों के महल
हाँ ताज महल !!!

Views: 587

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 9, 2012 at 8:59am

आदरणीय अशोक रक्ताले जी आपको रचना पसंद आई हार्दिक धन्यवाद 

Comment by Ashok Kumar Raktale on October 9, 2012 at 8:27am
सांझ ढले पर हरसिंगार की खुशबु को बिखेरती सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकारें आद. राजेश कुमारी जी. 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 6, 2012 at 9:28am

आदरणीय अम्बरीश जी आपकी प्रतिक्रिया से मेरी लेखनी को संबल मिला हार्दिक आभारी हूँ 

Comment by Er. Ambarish Srivastava on October 6, 2012 at 9:20am

//मेरा भी मन ललचाया
एक पुष्प उठाया
अंजुरी में सजाया
तिलस्मी पुष्प आह !
ताजमहल रूप उभर आया//

आदरेया राजेश कुमारी जी, इस रचना के माध्यम से परिलक्षित होता हुआ आपका प्रकृति प्रेम अद्वितीय है .....कृपया हार्दिक बधाई स्वीकार करें |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 6, 2012 at 8:46am

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आपकी प्रतिक्रियाओं से मेरी लेखनी का उत्साह एवं  ऊर्जा वर्धन होता है हार्दिक आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 6, 2012 at 12:33am

आदरणीया राजेश कुमारीजी, हरसिंगार के पुष्प को बीनना,  उसमें यादों को दफ़्न होते देखना.. एक ताज़महल के होने की अनुभूति .. वाह !

आपका प्रकृति सुषमा के प्रति आग्रह अभिभूत करता है.  इस रचना हेतु बधाई स्वीकार करें.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 5, 2012 at 9:54pm

बहुत सुन्दर रचना, आपकी कविताओं में प्रकृति का जिस कोमलता से  वर्णन होता है, दिल खुश हो जाता है. 

हरसिंगार के फूल और उनकी खुशबू, मुझे कॉलेज लाइफ में बेहद पसंद थे हरसिंगार के फूल, और मेरी एक अभिन्न सहेली नें मुझे जन्मदिन के तोहफे में, एक सुन्दर से गिफ्ट बॉक्स में बंद करके ढेर सारे हरसिंगार के फूल दिए थे, जो कई सालों मेरे पास रहे और महकते भी रहे.... बनस्थली कि यादें ताज़ा हो गयी...हार्दिक बधाई इस अभिव्यक्ति पर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 5, 2012 at 5:10pm

हार्दिक आभार राजेश कुमार झा जी आपको यह रचना पसंद आई 

Comment by राजेश 'मृदु' on October 5, 2012 at 3:38pm

अद्भुत तरीके से अपनी बात आपने कही है । ईर्ष्‍यालु पवन,पलकों के मंच... बड़े सुंदर बिबों का प्रयोग रचना की सुंदरता को और बढ़ा देती है ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 5, 2012 at 12:22pm

बहुत- बहुत शुक्रिया राज नवद्वी जी  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
16 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service