For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बुजुर्ग दिवस के उपलक्ष में

बुजुर्ग दिवस के उपलक्ष में 

सेदोका एक जापानी विधा ३८ वर्ण ५७७५७७

(१)बूढ़ा बदन 

कंपकपाते हाथ 

किसी का नहीं साथ 

लाठी सहारा 

पाँव से मजबूर 

बेटा बहुत दूर 

(२)धुंधली आँखें 

झुर्री  भरा चेहरा 

भाव बड़ा गहरा 

भूख है लगी 

चूल्हे पर नजर 

बच्चे हैं बेखबर

(३)बीमार बूढा 

रात भर खांसता

परिवार कोसता 

गीला बिछौना

सर्दियों का महीना 

मुश्किल हुआ जीना 

(४)एकांत कक्ष 

मन कहाँ लगता 

प्यार को तरसता 

कुछ बोला तो 

ऐश में  बना रोड़ा 

वृधाश्रम में  छोड़ा 

(५)सौभाग्य वही 

वृद्धों का जो साथ है 

आशीष का हाथ है 

उनसे पूछो 

ना माँ है ना बाप है 

जीना अभिशाप है 

************  

 

Views: 514

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 4, 2012 at 9:18am

आदरणीय सौरभ जी हार्दिक आभार रचना के मर्म को महसूस करने के लिए ,आस पास घटने वाली घटनाएं ,अनुभव ही लिखने की प्रेरणा देते हैं |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 3, 2012 at 10:34pm

हृदय भर आया और् अमन नम हो गया.  कुछ शब्द-चित्र तो एकदम से झकझोर देते हैं. इस सफल अभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाइयाँ.

एक बात और, आपने विधा को बेहतर निभाने की कोशिश की है.  पुनः बधाइयाँ.

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 3, 2012 at 8:40am

हार्दिक आभार प्रिय कुमार अजीतेंदु जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 3, 2012 at 8:39am

आदरणीय सतीश मापत पुरी जी हार्दिक आभारी हूँ रचना के मर्म को महसूस करने के लिए और प्रशंसा करने के लिए 

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on October 3, 2012 at 8:06am

आदरणीया राजेश जी.....बुजुर्गों के सम्मान में लिखी एक सार्थक रचना के लिए बधाई स्वीकारें.........

Comment by satish mapatpuri on October 3, 2012 at 1:59am

ये बुजुर्ग ही हमारी थाती हैं . आज के युवा पीढ़ी  इस थाती की उपेक्षा करने लगी है ,ऐसी स्थिति में  आपकी इस रचना की सार्थकता  और बढ़ जाती है . इस सारगर्भित सामयिक रचना के लिए बधाई राजेश कुमारी जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 2, 2012 at 4:26pm

बहुत बहुत शुक्रिया प्रिय प्राची जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 2, 2012 at 4:25pm

हार्दिक आभार गणेश बागी जी आपको रचना पसंद आई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 2, 2012 at 2:18pm

बुजुर्गों को पीड़ा को बहुत संवेदनशीलता  के साथ व्यक्त किया है. इस अभिव्यक्ति हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया राजेश कुमारी जी


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 2, 2012 at 2:08pm

बहुत ही सामयिक रचना है आदरणीया, बहुत बहुत बधाई इस शानदार अभिव्यक्ति पर |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
20 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service