For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

 

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ सताइसवाँ आयोजन है.   

 

इस बार का छंद है - शक्ति छंद  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

25 दिसंबर 2021 दिन शनिवार से 

26 दिसंबर 2021 दिन रविवार तक

हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

चित्र अंर्तजाल के माध्यम से 

शक्ति छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक ...

जैसा कि विदित है, कईएक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो

25 दिसंबर 2021 दिन शनिवार से  26 दिसंबर 2021 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 1453

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

स्वागतम् .. 

 

सादर अभिवादन आदरणीय।

सादर नमस्कार आदरणीय

जुते  खेत  में  बैठकर  सोचता।
हुई है कहाँ फिर खुशी लापता।।
न बारिश हुई है न घन का पता।
सदा से रहा  खूब  मौसम सता।।
**
हुई भूमि देखो न कुछ भी सरस।
उगेगा कहाँ बीज अब के बरस।।
नहीं भाग्य खाये तनिक भी तरस।
इसी बात  से  मन  लिए है उमस।।
*
किरन भोर की क्यों निकलती नहीं।
कि तकदीर क्यों कर बदलती नहीं।।
यही  सोच  रोटी  निगलती  नहीं।
रुँधा कण्ठ पर आँख बहती नहीं।।
*
भरी   नीर   से   एक  बोतल   मगर।
अभी किन्तु प्यासी फसल की डगर।।
अगर  नीर  सारा  न  पीता  नगर।
कठिन यूँ न होता किसानी सफर।।
*
न टूटा कभी भाग्य की मार से।
महज है दुखी आज संसार से।।
सभी को लगन सिर्फ व्यापार से।
मदद भी न आती कि सरकार से।।
*
मौलिक/अप्रकाशित

नमस्कार भाई लक्ष्मण सिंह मुसाफिर  सार्थक रचना हुई है, शक्ति छंद  में  ! किन्तु सृजन  आशा  का संचार उतना  नहीं  कर पा रहा है जितना चित्रानुसार  होना चाहिए  ! सादर 

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। छन्दों पर आपकी उपस्थिति व उत्साहर्धन के लिए धन्यवाद। 

न टूटा कभी भाग्य की मार से
महज है दुखी आज संसार से 

क्या बात है ! 

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी पहल से ही आयोजन प्रारम्भ होता है. 

आपकी प्रस्तुति पर मेरी हृदयतल से बधाइयाँ स्वीकारें 

आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। छन्दों पर आपकी उपस्थिति और स्नेहाशीष के लिए हार्दिक आभार। 

आपके आशीष से आयोजनों के शुभारम्भ का प्रयास निरन्तर जारी रहेगा यही आशा है। सादर...

किरन भोर की क्यों निकलती नहीं।
कि तकदीर क्यों कर बदलती नहीं।।
यही सोच रोटी निगलती नहीं।
रुँधा कण्ठ पर आँख बहती नहीं।।...........प्रदत्त चित्र के माध्यम से कृषकों की पीड़ा को शब्द देते सुन्दर छंद रचे हैं आपने आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर

आ. भाई अशोक जी, सादर आभार..

गीत

____
बुझे दो नयन देख कर
 हैं दुखी
टिफिन में रखीं रोटियाँ सोचतीं
__
कृषक दूर किसको 
तके जा रहा
थकन से भरा पर 
न कुछ खा रहा
निवाला लिये हाथ 
क्यों जम गये
लबों पर गिले
कौन से थम गये
रखा खेत गिरवी 
कहाँ से भरे
कि घर में जवाँ पोतियाँ, सोचतीं
__
भुना कर इसे वो 
चमकते गये
सियासत पकाकर 
पनपते गये
न इससे रहा कुछ 
सरोकार है
कि ये बस रहा एक 
हथियार है
लिया नाम इसका
बिसातें बिछीं 
जमीं मतलबी गोटियाँ, सोचतीं
_______
मोलिक व अप्रकाशित
सियासत पकाकर 
पनपते गये
न इससे रहा कुछ 
सरोकार है
कि ये बस रहा एक 
हथियार है
लिया नाम इसका
बिसातें बिछीं 
जमीं मतलबी गोटियाँ, सोचतीं
आपने खूब महीन अंदाज में आजके शातिर राजनीतिबाजों की खबर ली है, आदरणीया प्रतिभा जी. आपकी प्रस्तुति का हार्दिक धन्यवाद तथा अशेष बधाइयाँ 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
14 minutes ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service