आदरणीय विनयजी, अपने कार्टून के माध्यम से चुनावी माहौल में राजनीतिबाजों के ढुलमुल रवैये की अच्छी खबर ली है आपने. इनके लिए आदर्श, उद्येश्य या वैचारिक दृढता जैसे शब्द हाशिये पर पड़े शब्द हैं. सादर बधाइयाँ
पहले खंडन ओ मंडन दोनों होते थे पर आज की राजनीति में केवल खंडन ही होते है i ऐसे ही भंड नेता बिना लहसुन प्याज वाला मुर्गा खाने का भी ढोंग करते है i आडम्बर की राजनीति और आडम्बरपूर्ण आचरण पर बेहतरीन कटाक्ष है i बधाई हो श्रीमन i
आया फाँकी मार के, ऑफिस का तो नाम | जल्दी कर बरतन सफा, रफा दफा कर काम | रफा दफा कर काम , फटाफट डिनर बनाओ | मेरे सिर पर बाम, किन्तु पहले मल जाओ | शीघ्र कायदा सीख, गया "रविकर" धमकाया | अलकायदा बुलाय, अन्यथा माली आया ||
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Vinay Kull's Comments
Comment Wall (201 comments)
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सदस्य कार्यकारिणीrajesh kumari said…
वाह्ह्ह बहुत खूब, बहुत खूब हर हर मोदी पर शानदार कटाक्ष.
सदस्य कार्यकारिणीrajesh kumari said…
हाहाहा दलबदलू नेताओं पर अच्छा व्यंग्य किया है ..बधाई आपको
सदस्य टीम प्रबंधनSaurabh Pandey said…
आदरणीय विनयजी, अपने कार्टून के माध्यम से चुनावी माहौल में राजनीतिबाजों के ढुलमुल रवैये की अच्छी खबर ली है आपने. इनके लिए आदर्श, उद्येश्य या वैचारिक दृढता जैसे शब्द हाशिये पर पड़े शब्द हैं.
सादर बधाइयाँ
सदस्य कार्यकारिणीrajesh kumari said…
हहाहाहा ये भी खूब रही चप्पल चुनाव चिन्ह :))))) झाड़ू है तो चप्पल जूता सब होगा ,वैसे ये सच है की ये मानव के अन्तरंग मित्र हैं
बहुत ही दिलचस्प कार्टून है श्रीमान ...! मजा आ गया !बधाई :)
सदैव समान बहुत ही रोचक कार्टून । बधाई।
हा हा हा !! मजेदार कार्टून
सदस्य कार्यकारिणीrajesh kumari said…
हहाहाहा बहुत मजेदार आज का कार्टून :D
सदस्य टीम प्रबंधनSaurabh Pandey said…
:-))))
कजरेवाली के झाड़ू के साम्य में केजरीवाल का झाड़ू .. हा हा हा हा....
अद्भुत ! ..
भाईजी, आपकी कूँची और कलम का जवाब नहीं..
सादर
विनय जी, आपके दोनों कार्टून अच्छे लगे।
सादर,
विजय निकोर
vinay jee
विनय जी
आपके दोनों ही काटूंन सशक्त व्यंग्य है i मन को कचोटते है i सोचने पर मजबूर करते है i आपको बहुत बहुत बधाई i
सदस्य टीम प्रबंधनSaurabh Pandey said…
आदरणीय विनयजी, आपकी संवेदनशीलता कार्टूनों के स्तर को असीम ऊँचाइयाँ देने में समर्थ है.
सब्जी के भाव और चुनाव के समय नेताओं द्वारा की जा रही टुच्चई पर आपकी कूँची-कलम खूब चली है !
सादर बधाइयाँ.
.विनय जी
आपके भाव का जवाब नहीं I
सारा देश हक्का बक्का है I
गरीब की परवाह आप जैसे शिल्पी ही करते है I
कवियों का भी धर्म है इस पर कलम उठाये I
"शुद्ध माँसाहारी भोजनालय"........ बहुत ही अनूठा खयाल है, आदरणीय विनय जी।
सादर,
विजय निकोर
पहले खंडन ओ मंडन दोनों होते थे पर आज की राजनीति में केवल खंडन ही होते है i ऐसे ही भंड नेता बिना लहसुन प्याज वाला मुर्गा खाने का भी ढोंग करते है i आडम्बर की राजनीति और आडम्बरपूर्ण आचरण पर बेहतरीन कटाक्ष है i बधाई हो श्रीमन i
"हया '' ताखे पर ....हाल के दिनों में देखे व्यंग्य चित्रों में सर्व श्रेष्ठ !! साधुवाद आदरणीय !!
सदस्य टीम प्रबंधनDr.Prachi Singh said…
नवरात्रि में पत्नी पूजा का ख़याल बहुत ज़बरदस्त है ...हाहाहा
बहुत सुन्दर..साथ में दिया भी जल रहा है वाह!
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं आ० विनय कुल जी
सादर
सदस्य कार्यकारिणीगिरिराज भंडारी said…
आदरणीय , कायदा नही तो अल कायदा , वाह !!! मज़ा आगया !! आपको बधाई !!
वाह 'नौ रूप ' 'कायदा अल कायदा 'का बहुत सुन्दर प्रयोग आदरणीय मन भावन व्यंग्य चित्र ,हार्दिक साधुवाद !!
सुन्दर चित्र-
रविकर की आपबीती-\
बधाई आदरणीय-
आया फाँकी मार के, ऑफिस का तो नाम |
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