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Vinay Kull's Comments

Comment Wall (201 comments)

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At 8:58pm on March 26, 2014,
सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari
said…

वाह्ह्ह बहुत खूब, बहुत खूब हर हर मोदी पर शानदार कटाक्ष. 

At 8:48pm on March 24, 2014,
सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari
said…

हाहाहा दलबदलू नेताओं पर अच्छा व्यंग्य किया है ..बधाई आपको 

At 3:09pm on March 23, 2014,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

आदरणीय विनयजी, अपने कार्टून के माध्यम से चुनावी माहौल में राजनीतिबाजों के ढुलमुल रवैये की अच्छी खबर ली है आपने. इनके लिए आदर्श, उद्येश्य या वैचारिक दृढता जैसे शब्द हाशिये पर पड़े शब्द हैं.
सादर बधाइयाँ

At 11:08am on March 2, 2014,
सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari
said…

हहाहाहा ये भी खूब रही चप्पल चुनाव चिन्ह :))))) झाड़ू है तो चप्पल जूता सब होगा ,वैसे ये सच है की ये मानव के अन्तरंग मित्र हैं 

At 5:03pm on February 1, 2014, Saarthi Baidyanath said…

बहुत ही दिलचस्प कार्टून है श्रीमान ...! मजा आ गया !बधाई :)

At 1:08pm on February 1, 2014, vijay nikore said…

सदैव समान बहुत ही रोचक कार्टून । बधाई।

At 7:51am on February 1, 2014, vandana said…

हा हा हा !! मजेदार कार्टून 

At 8:18pm on January 31, 2014,
सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari
said…

हहाहाहा बहुत मजेदार आज का कार्टून :D

At 1:20pm on January 2, 2014,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

:-))))

कजरेवाली के झाड़ू के साम्य में केजरीवाल का झाड़ू .. हा हा हा हा....

अद्भुत ! ..

भाईजी, आपकी कूँची और कलम का जवाब नहीं..

सादर

At 3:14am on December 20, 2013, vijay nikore said…

विनय जी, आपके दोनों कार्टून अच्छे लगे।

 

सादर,

विजय निकोर

At 3:41pm on December 17, 2013, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

vinay jee

विनय जी

आपके दोनों ही काटूंन सशक्त व्यंग्य  है i मन  को कचोटते  है i सोचने पर मजबूर करते है i  आपको बहुत बहुत बधाई  i

At 12:31am on November 26, 2013,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

आदरणीय विनयजी, आपकी संवेदनशीलता कार्टूनों के स्तर को असीम ऊँचाइयाँ देने में समर्थ है.

सब्जी के भाव और चुनाव के समय नेताओं द्वारा की जा रही टुच्चई पर आपकी कूँची-कलम खूब चली है ! 

सादर बधाइयाँ.

At 1:35pm on November 22, 2013, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

.विनय जी

आपके  भाव का जवाब नहीं I

सारा देश हक्का बक्का है  I

गरीब की परवाह  आप जैसे शिल्पी ही करते है  I

कवियों का भी धर्म है इस पर कलम उठाये  I

 

At 9:01pm on November 20, 2013, vijay nikore said…

"शुद्ध माँसाहारी भोजनालय"........ बहुत ही अनूठा खयाल है, आदरणीय विनय जी।

 

सादर,

विजय निकोर

At 5:37pm on November 19, 2013, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

पहले खंडन ओ मंडन दोनों होते थे पर आज की  राजनीति में केवल खंडन ही होते है  i ऐसे ही भंड  नेता बिना लहसुन प्याज वाला मुर्गा खाने का भी ढोंग करते  है  i  आडम्बर की  राजनीति और आडम्बरपूर्ण  आचरण पर बेहतरीन कटाक्ष  है  i  बधाई हो श्रीमन i

At 6:22am on October 10, 2013, Abhinav Arun said…

"हया '' ताखे पर ....हाल के दिनों में देखे व्यंग्य चित्रों में सर्व श्रेष्ठ !! साधुवाद आदरणीय !!

At 6:00pm on October 9, 2013,
सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh
said…

नवरात्रि में पत्नी पूजा का ख़याल बहुत ज़बरदस्त है ...हाहाहा 

बहुत सुन्दर..साथ में दिया भी जल रहा है वाह!

नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं आ० विनय कुल जी

सादर 

At 5:14pm on October 7, 2013,
सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी
said…

आदरणीय , कायदा नही तो अल कायदा , वाह !!! मज़ा आगया !! आपको बधाई !!

At 3:36pm on October 7, 2013, Abhinav Arun said…

वाह 'नौ रूप ' 'कायदा अल कायदा 'का बहुत सुन्दर प्रयोग आदरणीय मन भावन व्यंग्य चित्र ,हार्दिक साधुवाद !!

At 10:54am on October 7, 2013, रविकर said…


सुन्दर चित्र-
रविकर की आपबीती-\
बधाई आदरणीय-

आया फाँकी मार के, ऑफिस का तो नाम |
जल्दी कर बरतन सफा, रफा दफा कर काम |
रफा दफा कर काम , फटाफट डिनर बनाओ |
मेरे सिर पर बाम, किन्तु पहले मल जाओ |
शीघ्र कायदा सीख, गया "रविकर" धमकाया |
अलकायदा बुलाय, अन्यथा माली आया ||

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